यहां के कलाकारों की प्रतिभा बेजोड़ है- रजनीश झांझी
- थिएटर की मशहूर शख्सियत और छत्तीसगढ़ी एवं भोजपुरी फिल्मों के स्टार कलाकार रजनीश झांझी का मानना है कि यदि शासन का थोड़ा सा सहयोग मिले तो छत्तीसगढ़ी बोली की मिठास और यहां की फिल्मों की ताजगी पूरे देश में अपनी पहचान बना सकती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को बने 18 वर्ष हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग का इतिहास भी इतना ही पुराना है। हमने कुछ अच्छी फिल्में भी दीं किन्तु दर्शक कम होने और शासन को किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिलने के कारण लोग अपना मकान-खेत बेचकर फिल्मों में पैसा लगा रहे हैं।
- वर्ष बाद भी छत्तीसगढ़ फिल्म से जुड़े लोग इसे अपनी आजीविका नहीं बना पाए हैं। देश विदेश के अनेक मशहूर निर्देशकों के साथ काम कर चुके रजनीश बताते हैं कि अन्य राज्यों में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को शासन अनुदान देता है। इतना ही नहीं क्षेत्रीय फिल्मों के प्रदर्शन के लिए वहां के टाकीजों पर भी शासन का दबाव रहता है। क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों के दर्शक आम तौर पर उसी राज्य में सिमटे होते हैं, इसलिए ऐसा करना जरूरी भी है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों की स्थिति की चर्चा करते हुए रजनीश बताते हैं कि देखते देखते छालीवुड में दूसरी पीढ़ी आ गई है पर हालात नहीं बदले हैं। बालीवुड की करोड़ों की बजट वाली फिल्मों की तुलना में यहां 40-50 लाख की फिल्मों में तकनीकी अंतर साफ दिखाई देता है। दोनों ही फिल्मों को एक समान दर की टिकटों पर देखना अधिकांश लोगों को गवारा नहीं होता। यदि शासन छत्तीसगढ़ी फिल्मों को मनोरंजन कर से मुक्त कर दे तो बात बन सकती है। रायपुर को छोड़ दें तो भिलाई और धमतरी में ही छत्तीसगढ़ फिल्मों का प्रदर्शन हो पाता है। हमारे पास कुल 23-24 टाकीज ही हैं जहां काफी चिरौरी विनती कर हम अपनी फिल्म लगा पाते हैं। उसपर भी यह टाकीज मालिक पर निर्भर करता है कि वह हमारी फिल्म को चलने दे या फिर उसे उतार दे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए लागत निकालना इसलिए भी मुश्किल हो जाता है कि हमारे ऑडियो या वीडियो राइट्स खरीदने के लिए भी कोई आगे नहीं आता। फिल्म के प्रमोशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भी हमें ही अपने स्तर पर प्रयास करना होता है। रजनीश अपने परिवार में रंगमंच से जुड़ी तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने अनुभव के आधार पर वे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ बोली की मिठास, छत्तीसगढ़ी गीतों की खनक और यहां के कलाकारों की प्रतिभा बेजोड़ है। एक दिन आएगा जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों का जादू सिर चढ़ कर बोलेगा। फिलहाल तो मेहनत और कुर्बानियों का ही दौर है।
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