बुधवार, 3 जनवरी 2018

राधे अंगूठा छाप से माहिरा की छॉलीवुड में एन्ट्री

राधे अंगूठा छाप से माहिरा की छॉलीवुड में एन्ट्री- श्रीमती -केशर सोनकर
छत्तीसगढ़ की मायानगरी बन चुकी बिलासपुर में निर्माता जेठू साहू की फिल्म राधे अंगूठा छाप से माहिरा खान की छालीवुड में शानदार एंट्री हो रही है. माहिरा की तमन्ना एक बड़े कलाकार बनकर छालीवुड में खूब नाम कमाने की है।

दबंग दरोगा ,बधन प्रीत के जैसी फिल्मो में अपनी भूमिका का जादू बिखेर चुकी माहिरा को दुख है कि यहां के फिल्म इंडस्ट्री को सरकार से मदद नहीं मिलती। एक्टिंग उनका शोक है और इस शौक को पूरा करने अब इस इंडस्ट्री में काम करती रहेगी। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी में दर्शकों की कमी है। फिल्मे भी अच्छी बनती है फिर भी यहां की जनता में अपनी भाषा के प्रति मोह नहीं होने के कारण फिल्मे नहीं चल पाती। इसके अलावा थियेटरों की भी कमी है। करण खान के साथ काम करके माहिरा अपने को धन्य समझ रही है और निर्माता जेठू साहू का शुक्रिया अदा करने से नहीं चुकती है,जिन्होंने उनके काम करने का मौका दिया।

माहिरा को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। पर अब शौक पूरा करने का मौका मिल रहा है. राधे अंगूठा छाप उनकी पहली फिल्म है.वे कहती है कि इस फिल्म से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है क्योकि बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मजा ही कुछ और है. उनका कोई प्रेरणाश्रोत नहीं है अपने आप एक्टिंग सीखी है। टीवी देख कर अभिनय की ओर उनका रुझान हूआ।
माहिरा कहती है कि मेरा सपना है कि एक दिन मैं बड़ा कलाकार बनूँ और खूब नाम कमाऊं। मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ। मुझे हर प्रकार की भूमिका पसंद है और मै दिल से निभाना चाहूंगी। जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व मेहसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
रील और रियल लाइफ में फर्क के बारे में उनका कहना है कि दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में भूमिका निभाते है और रियल लाइफ में पारिवारिक जीवन जीते हैं। उनका मानना है कि छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण यहां के थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि यहां दर्शक ही नहीं है छत्तीसगढ़ के लोग ही फिल्मे नहीं देखते। उन्हें अपनी भाषा से लगाव नहीं है।





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