रविवार, 21 जनवरी 2018

जीवन कला में ही गुजरे यही तमन्ना है

आवाज की मल्लिका लक्ष्मी कंचन
-श्रीमती केशर सोनकर
छत्तीसगढ़ी फिल्मो को अपनी आवाज दे चुकी आवाज की मल्लिका लक्ष्मी कंचन की तमन्ना है कि उसका पूरा जीवन कला में ही गुजरे। आज लक्ष्मी गायिका के रूप में काफी चर्चित है.300 से अधिक एल्बम, 3000 गाने और 4000 से अधिक स्टेज शो कर चुकी लक्ष्मी कंचन कहती है कि कलाकारों को देख देखकर ही उन्होंने भी कला सीखी और आज इस मुकाम पर है. एवीएम स्टूडियो ने उन्हें ना केवल मंच दिया बल्कि उन्हें तरासने में कोइ कसार नहीं छोड़ी। ममता चंद्राकर और सूरज बाई खांडे उनका रोल मॉडल है तो एवीएम स्टूडियो के संतोष कुर्रे  प्रेरणाश्रोत हैं.

लक्ष्मी कंचन ने दो छत्तीसगढ़ी फिल्मो को अपनी आवाज दी है और मौका मिलाने पर वे फिल्मो में काम भी करना चाहती है. गायिका लक्ष्मी कहती है कि शुरू के दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है.जब किसी ने हम पर ध्यान नहीं दिया ऐसे समय में एवीएम स्टूडियो ने हमें मंच प्रदान किया। आज हम जो भी हैं उनके ही बदौलत हैं.एवीएम हैं तो हम है.लक्ष्मी कंचन ने कला देख देख कर सीखा है. लोरिक चन्दा में वह पहले चंदैनी बना करती थी.और ममता  फॉलो करते करते गायिका बन गयी और आज सिंगिंग ही उनका कॅरियर है. 25 सालों से वे एल्बम, स्टेज शो और गायन करती आ रही हैं.
तीन फिल्मो के लिए उन्होंने गाने भी गाये हैं, वे कहती है कि  मौका मिला तो वे फिल्मो में भी काम करना चाहेंगी। छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है? पूछे जाने पर वे कहती है - बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ओर है।

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