रविवार, 21 जनवरी 2018

पीरा

(अरपा अउ बिलासा दाई के गोठ)
बिलासा हां चिल्लईस - कहाहस् हो बहिनी अरपा का करत हस, आज बड़े बहिनी महिमा(महानदी) आने वाला रहिस हे आइस हे का।
घर के भीतरी आये के बाद अरपा ल देख के फेर बिलासा कईथे।
कईसे ओ बहिनी अरपा तोर तबियत तो बने हे ना कईसे दिखत हस बने खावत पियस नई का अतका काबर सुखा गे हस।
 बिलासा के बात ल सुन के अरपा हा कहिथे।
का बताओ ओ बहिनी तोला मैं हा
मोर लइका मन अब मोला मया नई करये।
पहली बने खुशाली म लहर-लहर बोहात रहेव अब तो दिनों दिन सुखात जात हौ।
सबो मैला कचरा ल मोरे म डाल देथे देख ले मोर हाल ल देख तो मोर अंग मन ल कईसन गन्दा दिखत हे।
अउ मैं तो महतारी हौ भले सुखा जाव फेर मोर लईका मन के प्यास ल देख के कल्लासि लागथे ओ बहिनी। कतका समझाबे लईका मन ला अपन गलती ल समझबे नई करय।
सब्बो कचरा-गन्दगी ल लाके मोरे मुढ़ी म पटक देथे।
लईका मन ला घलोक नई दिखय ओखर दाई कतका मैली होंगे हे अउ दिनों दिन प्यास म सुखात जात हे।
वहा दे देख ले अपन कचरा ल ला के मोर ऊपर कुडहात हे मैं खुदे ईहा बेसुधहा पड़े हौ फेर येला कहा बोहा के ले जाहु।
तै बता बहिनी तोर का हाल हे।
बिलासा- काला बताबे तहु देखत तो हस बने सुग्घर दिखत हौ बस ऊपरे ऊपर ले, अंदर ले तो अतका पीड़ा हवाए काला देखाबे मोरो सब्बो लईका मन मोर हाल ला देखत हे तभो ले अपन दाई के तकलीफ ल दुरिया नई कर सकत हे। देखत तो हस तै हा जहा देखबे उहा कोडाये हेद्य
मोर हिरदे ल कईसन चानी-चानी कर(ख़ोद)डाले हे। का बताओ ओ बहनी अपन तकलीफ ल।
लईका मन कहिथे दाई तोर बिकास करबो तोला सुग्घर चमकाओ।
मेहा कैहिथौ बिकास जब होही तब होही अभी अतका तकलीफ सहत हौ तेन मोर लईका मन ला नई दिखत हे। जल्दी अपन दाई के पीरा ल कम करतीं ता अउ समय समय म नया नया दु:ख ल देथे अइसने तो हाल हे। जइसने बेरा हा बढ़त हे तइसने मोर दु:ख तकलीफ ह बढ़त हे।
दुनो बहिनी मन के गोठ होवत रहिथे तभे महानदी हा अरपा मेर मिले ला पहुचथे।
महानदी- कइसन दुबरा गए हस ओ बहिनी अरपा तोला देख के महू ला अब्बड़ दु:ख होथे ओ बहनी। अतका दिन बाद तोर ले मिले बर आये हौ अउ तोर ये हाल हे।
अरपा - बने हंव बहिनी।

भीड़ इकट्ठा करने की हुनर भूल चुके है हम

भीड़ इकट्ठा करने की हुनर भूल चुके है हम -पवन कुमार गुप्ता
 - अरुण बंछोर
बचपन से एक्टर बनने का ख्वाब ,और बना भी । मैं बहोत सारे थियटर किये और बहोत कामयाबी भी पाई. उस समय हम लोग थियटर में एक्टिंग करते थे और बहुत अच्छा लगता था।  कई बार हम लोगो ने टिकट बेच कर शो किये और पब्लिक आती थी। नुकड़ में चिल्ला चिल्ला कर कहते थे नाटक होगा नाटक आज यहां पर नाटक होगा और भीड़ इकट्ठा हो जाती थी। लोग आकर मिलते थे.गले लगाते थे. लेकिन आज सब कुछ खत्म हो गया है।


आज लोगो के पास टाइम नही है। या ये कहे कि हम भीड़ इकट्ठा  करने की हुनर भूल चुके है  एक्टर हु एक्टिंग का कीड़ा निकलता नही था सोचा आज कल छत्तीसगढ़ में फिल्मे बनती है. वहां कुछ किया जाए और मैं फिल्मो में काम पाने के लिए संघर्स करने लगा.सुरुवात में बहुत तकलीफ आई। लेकिन संघर्स कामयाब रहा।  एलबम का दौर था और कॉमेडी फिल्म जो आधे या एक घंटे की होती है ऐसे फिल्मे बनती थी। सुरुवात में एक फि़ल्म आई ,,मोर छइयां भुइया। फि़ल्म ने बहुत अच्छा कारोबार की ,,,लोगो मे जोश देखने को मिली छत्तीसगढ़ अपना लगने लगा और फिर सुरु हुआ छत्तीसगढ़ फिल्मो का शिलशिला उस दौरान कुछ अच्छी फिल्में भी आई  ,,, लोग बहुत जोश में थे और होस खो बैठे और बाहत सारि फिल्मे मुह के बल गिरने लगी। ,प्रोड्यूशर डायरेक्टर समझ नही पा रहे थे कि फिल्मे तो अछि बन रही है लेकिन चल क्यो नही रही। और सभी उधेड़ बन में लग गए कुछ लोगो ने हल खोजा और लोगो को आगह भी किया लेकिन लोगो का काम है सुन्ना और दूसरी कान से निकल देना। कुछ लोगो तो खुजली मिटाने लगे ,,,फि़ल्म। हिट हो न हो मैं फि़ल्म बनाऊंगा। स्टोरी की भी चयन अच्छा नही होता था। कुछ तो ऐसे लोग भी थे जिन्हें फि़ल्म बनती कैसे है ओ भी पता नही था कुछ लोग प्रोड्यूशर को मुर्गा जैसे शब्दों का भी स्तमाल करते थे और फिल्मो का अंबार लगता गया और फिल्मे फ्लाप होती गई। उस समय कुछ सूझ बूझ वाले व्यक्ति फिल्मे सुरु किये विजय गुमगावकर जी की तीजा के लुगरा  सतीश जैन जी की माया मनोज वर्मा जी की महु दीवाना तहु दीवानी फिल्मे हिट साबित हुई  और फिल्मो का क्रेज जो खत्म हो रहा था जो फिर से  वापस हो गया फिर तीसरा दौर आया। और प्रोड्यूशर ही हीरो बनने लगा और फिल्मो की स्थिति फिर गिरती गई।  कलाकारों से काम करवाना पैसा नही देना अब लोगो ने देखा कि फिल्मो से पैसा नही निकल रहा है तो  फिल्मो का बजट करने में लग गए  फिर भी बात नही बनी फिर भी पैसा नही निकलता था। फिर लोगो ने सोचा कि यार कम से कम पैसे में फि़ल्म बनाने से भी पैसा नही निकल रहा है। ,तो लोगो ने सरकार को मुद्दा बनाया की फिल्में इस कारण नही चल रही है क्यो की यह टॉकीज की कमी है। ,और लगे आंदोलन करने मीटिंग करने। लेकिन एक बार भी लोगो ने अपने अंदर नही झाँका की हम कहा कमजोर है। पब्लिक तो पहले आती थी अब क्यो नही आती कभी किसी ने जानने की कोशिश नही की.दुकान तो खोला मंगर बगर प्लानिंग के मार्किट था ही नही और लोगोने कहा ग्राहक क्यो नही आ रहे है.दोस्तो जब  मोर छइयां भुइया आई थी तो लोगो को नया उत्साह था और उस उत्साह की सुरुवात तो अच्छी हुई थी लेकिन उस उत्साह में आप लोग वही परोसने लगे जो पहले से खा चुके है अब  कुछ नया चाहिए था ,तो लोगो ने समझा नया का मतलब क्या और उन्हें ये समझ मे आया कि कॉमेडी करना चाहिए और कॉमेडी करने लगे ,,,,लेकिन उन्हें ये भी मालूम नही था कि कॉमेडी क्या होता है और कॉमेडी के जगह फूहड़ता देने लगे.

संगीत ही सब कुछ है

गानों को स्वर देना बहुत बड़ी चुनौती है -सरला गंधर्व
- श्रीमती केशर सोनकर

संगीत ही सब कुछ है, यह कहना है गायिका सरला गंधर्व का. छत्तीसगढ़ी फिल्मो की खूबसूरत गायिका सरला गंधर्व अपने गायन को खूब इंज्वॉय करती है। उनकी तमन्ना एक सफल गायिका बनने की है। हालांकि आज सरला गंधर्व काफी उचाईयों को छू चुकी है फिर भी वे लगातार आगे चलते रहना चाहती है. वे एक अच्छी एक्ट्रेस भी है. गायिका सरला गंधर्व कहती है कि वे गायन को ही अपना कॅरियर बनाना चाहती है। गायन उनके रग-रग में है। सरला गायन के अलावा 500 से अधिक स्टेज शो और 200 एल्बम भी कर चुकी है। 700 से अधिक गानों को वे अपना स्वर भी दे चुकी है. वे बताती है कि बचपन से ही मेरी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। मुझे गाने का बहुत शौक था। टीवी रेडियो में गाने देखकर सुनकर मुझे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। सबसे पहले मै गायिका बनी। मैंने एल्बम में काम किया। सिंगिग करते करते अभिनय की ओर कदम बढाई। और मै आगे बढ़ते चली गयी। 

 
0 अब तक आपकी उपलब्धि क्या है?
500 से अधिक स्टेज शो और 200 एल्बम और 700 से अधिक गानों को वे अपना स्वर दे चुकी हूँ, जनता ने मुझे खूब सराहा है यही मेरी उपलब्धि है.
0 भविष्य में क्या बनना चाहेगी। गायिका या अभिनेत्री ?
दोनों! गायन को ही मै अपना कॅरियर बनाना चाहूंगी। सिंगिग मेरा कॅरियर है पर अभिनय मेरा शौक होगा।
0 हिन्दी फिल्मो में भी काम करना चाहेंगी?
जरूर करना चाहूंगी। अगर मौका मिला तो पीछे नहीं हटूंगी। बल्कि हिन्दी फिल्मो के लिए गाना मेरा उद्देश्य होगा।
0 आपकी आगे चलकर क्या करने की तमन्ना है?
एक सफल गायिका बनने की ख्वाहिश है । 0 आपके प्रेरणाश्रोत कौन है और कैसे मंच मिला?
एवीएम स्टूडियो के संचालक संतोष कुर्रे ही मेरे प्रेरणाश्रोत है, आज मै जो कुछ भी हूँ उनकी ही दें है. उन्होंने मुझे मंच भी दिया और मेरे कला को भी निखारा।
0 गायन कितनी बड़ी चुनौती है?
किसी भी गाने को स्वर देना बहुत बड़ी चुनौती है. सब कुछ देखना पड़ता है. मेरे लिए तो संगीत ही सब कुछ है.

जीवन कला में ही गुजरे यही तमन्ना है

आवाज की मल्लिका लक्ष्मी कंचन
-श्रीमती केशर सोनकर
छत्तीसगढ़ी फिल्मो को अपनी आवाज दे चुकी आवाज की मल्लिका लक्ष्मी कंचन की तमन्ना है कि उसका पूरा जीवन कला में ही गुजरे। आज लक्ष्मी गायिका के रूप में काफी चर्चित है.300 से अधिक एल्बम, 3000 गाने और 4000 से अधिक स्टेज शो कर चुकी लक्ष्मी कंचन कहती है कि कलाकारों को देख देखकर ही उन्होंने भी कला सीखी और आज इस मुकाम पर है. एवीएम स्टूडियो ने उन्हें ना केवल मंच दिया बल्कि उन्हें तरासने में कोइ कसार नहीं छोड़ी। ममता चंद्राकर और सूरज बाई खांडे उनका रोल मॉडल है तो एवीएम स्टूडियो के संतोष कुर्रे  प्रेरणाश्रोत हैं.

लक्ष्मी कंचन ने दो छत्तीसगढ़ी फिल्मो को अपनी आवाज दी है और मौका मिलाने पर वे फिल्मो में काम भी करना चाहती है. गायिका लक्ष्मी कहती है कि शुरू के दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है.जब किसी ने हम पर ध्यान नहीं दिया ऐसे समय में एवीएम स्टूडियो ने हमें मंच प्रदान किया। आज हम जो भी हैं उनके ही बदौलत हैं.एवीएम हैं तो हम है.लक्ष्मी कंचन ने कला देख देख कर सीखा है. लोरिक चन्दा में वह पहले चंदैनी बना करती थी.और ममता  फॉलो करते करते गायिका बन गयी और आज सिंगिंग ही उनका कॅरियर है. 25 सालों से वे एल्बम, स्टेज शो और गायन करती आ रही हैं.
तीन फिल्मो के लिए उन्होंने गाने भी गाये हैं, वे कहती है कि  मौका मिला तो वे फिल्मो में भी काम करना चाहेंगी। छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है? पूछे जाने पर वे कहती है - बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ओर है।

छत्तीसगढ़ के 22 हजार कलाकारों ने बनाया करमा नृत्य का विश्व रिकॉर्ड

सुनील तिवारी का निर्देशन रहा कामयाब
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित सोमनी गांव में स्काउट-गाइड की जंबूरी में 22 हजार स्काउट-गाइड ने एक साथ करमा नृत्य करके वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया। यह आयोजन स्कूल शिक्षा विभाग का था। इसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया। सुनील तिवारी छत्तीसगढ़ के ख्यातिनाम कलाकार हैं। सुनील मंच पर गायन ही नहीं, फिल्मों में भी अभिनय करते हैं।
 उन्होंने टीवी चैनलों में बतौर एंकर भी काम किया है। सुनील के हिस्से में इसके अलावा भी कई भव्य आयोजनों में छत्तीसगढ़ के लोक कला को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करने का श्रेय है। संभवत: इसीलिए स्कूल शिक्षा विभाग ने उन्हें विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए करमा नृत्य को इस तरीके को संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी। गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड की तरफ से वल्र्ड रिकॉर्ड का खिताब दिया गया है। इस मौके पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के एशिया हेड मनीष विश्नोई मौजूद थे। इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह, लोकसभा सांसद अभिषेक सिंह, राज्य स्काउट-गाइड के मुख्य आयुक्त गजेन्द्र यादव तथा कई दूसरे जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी अलग-अलग दिन शामिल हुए।

रोमांस करते नजर आएंगे पूजा और दीपक


भोजपुरी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल में
- अरुण बंछोर
छालीवुड के दो उभरते सितारे आदित्य दीपक देवांगन और पूजा देवांगन भोजपुरी फिल्म 'तहरा दुपट्टा सरक गईल में रोमांस करते नजर आएंगे। यह एक शुद्ध पारिवारिक फिल्म है जिसकी कहानी भी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है. 

पिछले दिनों इस फिल्म के गानों की शूटिंग दुर्ग में की गयी.दो नायिकाओं और एक नायक वाली इस फिल्म में दर्शकों को बहुत कुछ देखने को मिलेगा। आदित्य और पूजा दोनों इस फिल्म में दर्शकों को हसांयेंगे तो रुलायेंगे भी. आदित्य दीपक का कहना है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह साबित किया है आदित्य दीपक देवांगन ने। 
छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। उनका मानना है कि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता ही है। वे अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट है। आदित्य को कभी निराशा नहीं होती और ना ही वे किसी की नक़ल नहीं करना चाहते , अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। दीपक रोज 15 रुपये कमाकर अपनी पढ़ाई पूरी की और आज वे बड़ी कंपनी में रीजनल मैनेजर है. दीपक ने दो फिल्मे की है और बतौर हीरो उनकी तीसरी फिल्म तहार दुपट्टा सरक गईल है. छालीवुड में एलबम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका पूजा देवांगन की तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है। पूजा छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे एक ओडिय़ा फिल्म सहित 4 फिल्मे कर चुकी है और पांचवे की शूटिंग ने व्यस्त है। उन्हें छालीवुड में महज एक साल ही हुए है। एक साल में 5 फिल्मे अच्छी सफलता और इंडस्ट्री में शानदार एंट्री ही है. वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी।

एक्टिंग मेरा पेशा नहीं है, शौक है तारा साहू

राजू दिलवाला में अहम किरदार में है

- श्रीमती केशर सोनकर
स्टेज शो में अपनी एक खास पहचान बना लेने और साथ ही तीन फिल्में कर लेने के बाद भी छत्तीसगढ़ की अभिनेत्री और सिंगर तारा साहू को एक ऐसी मूवी का इंतजार है, जिसमें उनका काम अलग दिखे। परदे पर वे भले कम दिखें, लेकिन भूमिका ऐसी हो, जो पूरी फिल्म पर अलग छाप छोड़ जाए।

यह बात उन्होंने तब कही, जब वे छालीवुड स्टारडम के साथ एक खास चर्चा कर रही थीं। आपको बता दें, अब तक तारा साहू कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। जिसमें किरिया, चक्कर गुरूजी के और बाप बड़े न भईया-सब ले बड़े रुपइया प्रमुख हैं। वे बताती हैं, किरिया में वे लीड रोल पर थीं, जबकि चक्कर गुरूजी के में उन्होंने टीचर का किरदार निभाया। बाप बड़े न भईया-सब ले बड़े रुपइया में उन्होंने हीरो की भाभी यानी मंझली बहु की भूमिका निभाई। तारा कहती हैं, मैं उन लोगों में शामिल हूं, जिनका मकसद हीरोइन बनना ही नहीं है। हां, यह जरूर है कि अच्छी कहानी और अच्छी भूमिका मिली तो जरूर करूंगी। वे कहती हैं, एक्टिंग मेरा पेशा नहीं है, मेरा शौक है। इसलिए अच्छे प्रोजेक्ट्स चून कर करती हूं।

तारा साहू यह भी कहती हैं, कि सिंगिंग मेरा पेशा है। मैं रंग-तरंग नाम से खुद का स्टेज शो करती हूं, लेकिन इन दिनों सरकारी कार्यक्रमों का समय पर भुगतान न हो पाने के कारण छत्तीसगढ़ के कलाकार परेशान हैं। छत्तीसगढ़ी व्यंजन, छत्तीसगढ़ की जीवन शैली, गार्डनिंग, कुकिंग जैसी एक्टिविटीज का शौक रखने वाली अदाकारा तारा कहती हैं, कि सरकार को न केवल कलाकारों के हितों का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा के उत्थान के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। तारा बताती हैं, कि अभी उनकी दो फिल्में रीलिज होने के लिए तैयार हैं, जिसमें से एक है राजू दिलवाला और दूसरी है अंधियार । प्रकाश अवस्थी निर्देशित और अभिनीत राजू दिलवाला में भी तारा एक अहम किरदार में आ रही हैं। वे पूरे समय स्क्रीन पर हीरोइन शिखा चितांबरे के इर्द-गिर्द ही नजर आएंगी। यह फिल्म 25 जनवरी 2018 को रीलिज होने जा रही है।
तारा कहती हैं, अंधियार में भी उनकी भूमिका एक फ्रेंड की ही है। यह फिल्म एजाज वारसी के निर्देशन में बनी है। आपको बता दें, तारा साहू का नाम छत्तीसगढ़ी कला जगत में उन नामों में शुमार हैं, जो अपने काम से मतलब रखती हैं। उनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि वे बेहद रिजर्व नेचर की हैं। लेकिन इसके जवाब में तारा यह कहती हैं, कि शो और शूट से जो भी समय बचता है, उसमें या तो वे परिवार के साथ होती हैं या फिर रियाज करती हैं। खाली समय में पढऩा-लिखना और देश-दुनिया की खबरें जानना भी तारा साहू के रूटीन में शामिल है।

बुधवार, 3 जनवरी 2018

राधे अंगूठा छाप से माहिरा की छॉलीवुड में एन्ट्री

राधे अंगूठा छाप से माहिरा की छॉलीवुड में एन्ट्री- श्रीमती -केशर सोनकर
छत्तीसगढ़ की मायानगरी बन चुकी बिलासपुर में निर्माता जेठू साहू की फिल्म राधे अंगूठा छाप से माहिरा खान की छालीवुड में शानदार एंट्री हो रही है. माहिरा की तमन्ना एक बड़े कलाकार बनकर छालीवुड में खूब नाम कमाने की है।

दबंग दरोगा ,बधन प्रीत के जैसी फिल्मो में अपनी भूमिका का जादू बिखेर चुकी माहिरा को दुख है कि यहां के फिल्म इंडस्ट्री को सरकार से मदद नहीं मिलती। एक्टिंग उनका शोक है और इस शौक को पूरा करने अब इस इंडस्ट्री में काम करती रहेगी। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी में दर्शकों की कमी है। फिल्मे भी अच्छी बनती है फिर भी यहां की जनता में अपनी भाषा के प्रति मोह नहीं होने के कारण फिल्मे नहीं चल पाती। इसके अलावा थियेटरों की भी कमी है। करण खान के साथ काम करके माहिरा अपने को धन्य समझ रही है और निर्माता जेठू साहू का शुक्रिया अदा करने से नहीं चुकती है,जिन्होंने उनके काम करने का मौका दिया।

माहिरा को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। पर अब शौक पूरा करने का मौका मिल रहा है. राधे अंगूठा छाप उनकी पहली फिल्म है.वे कहती है कि इस फिल्म से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है क्योकि बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मजा ही कुछ और है. उनका कोई प्रेरणाश्रोत नहीं है अपने आप एक्टिंग सीखी है। टीवी देख कर अभिनय की ओर उनका रुझान हूआ।
माहिरा कहती है कि मेरा सपना है कि एक दिन मैं बड़ा कलाकार बनूँ और खूब नाम कमाऊं। मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ। मुझे हर प्रकार की भूमिका पसंद है और मै दिल से निभाना चाहूंगी। जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व मेहसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
रील और रियल लाइफ में फर्क के बारे में उनका कहना है कि दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में भूमिका निभाते है और रियल लाइफ में पारिवारिक जीवन जीते हैं। उनका मानना है कि छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण यहां के थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि यहां दर्शक ही नहीं है छत्तीसगढ़ के लोग ही फिल्मे नहीं देखते। उन्हें अपनी भाषा से लगाव नहीं है।

गायिका लेखश्री की एक्टिंग में धमाल

गायिका लेखश्री की एक्टिंग में धमाल 

दोनों ही मेरे जीवन का हिस्सा होगा


- अरुण कुमार बंछोर
गायन और थियेटर से छालीवुड में कदम रखने वाली अभिनेत्री लेखश्री नायक कहती है की गायन मेरा शौक है और चाहत भी,लेकिन अब फिल्म को भी अपना कैरियर बनाउंगी। जब इंडस्ट्री में आ ही गयी हूँ तो पीछे नहीं हटूंगी। उनका कहना है कि मुझे हर तरह के रोल करने की इच्छा है। फि ल्म भाई बहिनी अटूट बंधन में मुख्य भूमिका लक्ष्मी का रोल अदा कर रही है। वे अपनी भूमिका के साथ बहुत ही मेहनत कर रही है। छत्तीसगढ़ी फि ल्म दांव से छॉलीवुड में कदम रखने वाली लेखश्री नायक यूँ तो कई शार्ट फि ल्मे कर चुकी है यह उनकी भाई बहन अटूट बंधन उनकी तीसरी छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म है। जिसकी अभी शूटिंग चल रही है और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। अच्छा सोचकर इस लाईन में कदम रखी हूँ तो एक दिन छालीवुड में कुछ बनकर जरूर दिखाउंगी।
  • आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
  • मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में भी एक्टिंग किया करती थी। कई नाटकों में भाग लिया था। वैसे मेरा रुझान गायन की तरफ ही रहा है।
  • 0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
  • एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है थियेटर की कलाकार हूँ। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। संतोष सारथी ने मुझे अपनी फिल्म दांव ने मौका दिया था.
  • 0 फिल्म भाई बहिनी एक अटूट बंधन में आपका क्या रोल है और कैसे कर पा रही है?
  • ये मेरी तीसरी फिल्म है। ये दो भाईयों और एक बहन की कहानी है जिसमे मै बहन लक्ष्मी का किरदार निभा रही हूँ। इसमें मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैं इस फिल्म में बहुत मेहनत कर रही हूँ ।
  •  क्या है इस फिल्म में दर्शकों के लिए?
  • इस फिल्म में भाई बहन के प्यार का एक सन्देश है जो दर्शकों को पसंद आएगा। इसमें सब कुछ है दो नायक और एक नायिका है । आप अपने जिंदगी को कैसे जी सकते है इस फिल्म में बेहतर तरीके से बताया गया है। इस फिल्म को लेकर हम आश्वस्त हैं।
  •  इस फिल्म की क्या सम्भावनाये दिखती है?
  • बेहतर है। उम्मीद है कि और बॉलीवुड की अन्य फिल्मो की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये ,हमें तो पूरी उम्मीद है।
  • कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
  • नहीं ! मेरा रुझान गायन की ओर ही था। एक्टिंग करने की कभी नहीं सोची थी । अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी ।
  • आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
  • हाँ मै चाहती हूँ कि जनता मेरी एक्टिंग को सराहे। अपने दम पर कुछ बनाकर करके दिखाना चाहती हूँ.