0 मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी बेहद लोकप्रिय
-अरूण बंछोर
नीरज विक्रम को जानें
छत्तीसगढ़ कॉलेज के लॉ के छात्र नीरज विक्रम ने वकालत का कोर्स करने के बाद फिल्मी दुनिया से लगाव के चलते वे रायपुर से मुंबई चले गए। वहां पहुंच कर उन्होंने कई कहानियां लिखी। इसमें शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसी बच्चों से जुड़ी कहानियां प्रमुख हैं। अत्यधिक सफलता मिली मोटू और पतलू से। वे 1995 से व्यावसायिक रूप से लिख रहे हैं और 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से वे इंडोनेशिया के लिये कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं.
-अरूण बंछोर
बच्चे सुबह होते ही किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो वह है टीवी पर कार्टून चैनल। जिसमे मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसे कई धारावाहिक सीरियलें चलती है जो बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी काफी लोकप्रिय है. इसके लेखक है रायपुर के नीरज विक्रम जो इन दिनों मुम्बई में रहकर स्क्रिप्ट और कहानी लेखन का कार्य कर रहे हैं.लोकप्रियता इतनी है कि बाजार में पोस्टर व खिलौने तक मोटू-पतलू के नाम से बिकते हैं। 1975 के दशक में आई केतन पांडेय की कामिक्स मोटू-पतलू को टीवी के परदे तक रायपुर के नीरज विक्रम ने ही पहुंचाया। हाल अब ये है कि कार्टून सीरियल की दुनिया में मोटू-पतलू अपना परचम लहरा रहा है। चारों ओर बस मोटू-पतलू की बच्चों के बीच धूम दिखाई देती है।
नीरज विक्रम छत्तीसगढ़ी फिल्म महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी के तीन निर्माताओं में से एक हैं. इस फिल्म के मुहूर्त अवसर पर रायपुर के स्वपनिल स्टूडियो में उनसे मुलाक़ात हुई. 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिंन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म की कहानी लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से उन्होंने इंडोनेशिया में कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि कॉमिक्स की कहानी में थोड़ा बदलाव किया। इसमें इंपेक्टर चिंगम और डॉ. झटका का किरदार डाला, जो बच्चों से लेकर बड़ोंं को भी पसंद आ रहा है। वे बतातें हैं कि अपने सालों के कॅरियर में उन्होंने बच्चों से जुड़ी कहानियां ज्यादा लिखीं, ताकि उनके मनोरंजन में कमी ना आएं।नीरज विक्रम को जानें
छत्तीसगढ़ कॉलेज के लॉ के छात्र नीरज विक्रम ने वकालत का कोर्स करने के बाद फिल्मी दुनिया से लगाव के चलते वे रायपुर से मुंबई चले गए। वहां पहुंच कर उन्होंने कई कहानियां लिखी। इसमें शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसी बच्चों से जुड़ी कहानियां प्रमुख हैं। अत्यधिक सफलता मिली मोटू और पतलू से। वे 1995 से व्यावसायिक रूप से लिख रहे हैं और 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से वे इंडोनेशिया के लिये कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं.
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