बुधवार, 21 नवंबर 2018

बनना था पुलिस, बन गयी अभिनेत्री

माँ-बाप का नाम रौशन करना चाहती है नीलूशंकर 

- अरुण कुमार बंछोर
हिन्दी फिल्म आखिर कब तक की नायिका नीलू शंकर सिंह को छत्तीसगढ़ की धरती, छत्तीसगढ़ की भाषा और छत्तीसगढ़ के लोग इतने भा गए है कि वे अब छत्तीसगढ़ी फिल्म करना चाहती है. वे कहती है कि उनका सपना पुलिस बनकर जनता की सेवा करने का था लेकिन ना चाहते हुए भी वे फिल्म की नायिका बन गयी. अब वे इसी लाइन पर ही काम करते रहना चाहती है.
उनकी दिली तमन्ना है कि वे अभिनय के क्षेत्र में ही काम कर अपने माँ बाप का नाम रौशन करें। नीलूशंकर ने अपने फि़ल्मी कॅरियर की शुरुवात फिल्म बिटवा बाहुबली 2 से की। उसके बाद उन्हें बहुत सी फिल्मो का ऑफर मिला और नीलू ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नीलूशंकर से हमारी मुलाक़ात फिल्म आखिर कब तक के सेट पर हुआ. उन्होंने बताया कि फिल्मो में काम करने की उनकी रुचि कभी थी ही नहीं, किस्मत ने उन्हें खींच लाया। अब इस क्षेत्र में आ ही गयी है तो इसी इंडस्ट्री में काम करती रहेंगी। नीलू शंकर ने बताया कि पुलिस बनाकर जनता की सेवा करना ही उनका सपना था अब वे फिल्मो में काम कर अपने माँ बाप के नाम रोशन करना चाहूँगी। रायबरेली की नीलू मुम्बई में रहने लगी है. वे पिछले साल ही फिल्म इंडस्ट्री में आई हैं और जल्द ही बहुत सी फिल्मे अपने नाम कर ली है.इनकी दूसरी फिल्म लज्जो है जो यही रायपुर में शूट हुई है इसलिए नीलू को छत्तीसगढ़ बहुत भा रही है. वे कहती है कि यहां के लोग यहां के कलाकार बहुत ही अच्छे हैं.इसलिए वे छालीवुड में काम करना चाहेंगी। नीलू की पहचान बनी थी मॉडलिंग से। वे कहती हैं कि दर्शकों का प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड या तोहफा होगा। जिस दिन मैंने लोगो के दिल में जगह बना ली उस दिन मेरा सपना पूरा हो जाएगा। फिल्म आखिर कब तक में नीलूशंकर सिंह मुख्य भूमिका में है. वे आशीष शेंद्रे की बेटी रहती है जिसका मर्डर हो जाता है और इसका इन्वेस्टीगेशन योगेश अग्रवाल जी करते हैं.

छॉलीवुड के दमदार खलनायक धर्मेंद्र अहिरवार

लोग मुझे मेरी कला से पहचाने, बस यही तमन्ना है

सुपर डुपर हिट फिल्म *प्रेम सुमन* के खलनायक धर्मेंद्र अहिरवार फिल्म बंधन प्रीत के में आपको एक नए एवं जबरदस्त विलेन के किरदार में दिखाई देंगे। पहली बार निर्माता दिव्या नागदेवे ने उन्हें अपनी फिल्म प्रेम सुमन में आजमाया था जिसमे वे सफल रहे. उनकी एक ही तमन्ना है कि लोग उसे उनकी कला से पहचाने। धर्मेंद्र अहिरवार अब छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी किस्मत आजमा चुके धर्मेंद्र को प्रेम सुमन फिल्म में ब्रेक मिला उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा और आगे बढ़ते गए। धर्मेंद्र अहिरवार को अपनी नई फिल्म बंधन प्रीत के से बहुत उम्मीद है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर की कमी भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है। धर्मेंद्र अहिरवार को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है।

राखी सिंह की छालीवुड में धमाकेदार वापसी

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की : राखी सिंह

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे, उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री राखी सिंह का। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 10-12 फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी राखी दूरदर्शन की धारावाहिक में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है। मौका मिलने पर वे हिन्दी फिल्मो में भी काम करने की तमन्ना रखती है। राखी कुछ सालों बाद छालीवुड में वापसी की है. अभी हाल ही में वे भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी में बनी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल में आइटम डांस की शूटिंग की है.अभिनय का शौक बचपन से ही था पर उन्होंने सोचा नहीं था की उसे मौका मिलेगा। टीवी देख देखकर उनके मन में जिज्ञासा पैदा होती थी। महेश वर्मा की धारावाहिक मिला तो वे अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। करीब 10 -12 सीरियल की है। उसके बाद तो वे आगे बढ़ती चली गयी। सोचा नहीं था कि मै ये सब कर पाएंगी। आज वे खुश है कि उन्हें जो भी काम मिला उसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से पूरा किया है। उन्होंने 30-40 एल्बम में काम किया है , कॉमेडी नाटक किया है, करीब 15 फिल्मे की है और कुछ आइटम सांग भी किया है।उनका कोई प्रेेरणाश्रोत नहीं है बस वे अपनी मेहनत और अपनी इच्छा से अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। छत्तीसगढ़ी फिल्म की नायिका मोना सेन उन्हें पसंद है। ऐसा कोई नहीं है जिसे वे अपना आदर्श कह सकें।

कॉमेडी, एक्शन, सस्पेंस से भरपूर है फिल्म सोल्जर छत्तीसगढिय़ा

छत्तीसगढ़ी फिल्म सोल्जर छत्तीसगढिय़ा में वो सब कुछ है जो छत्तीसगढ़ के दर्शकों को पसंद होता है. फिल्म की पूरी शूटिंग कोरबा शहर व आसपास के खूबसूरत लोकेशन्स पर की गयी हैं. फिल्म की खूबी है इसकी सशक्त पटकथा व मनमोहक गीत-संगीत। पारिवारिक माहौल में बनी इस फिल्म में कॉमेडी, एक्शन, सस्पेंस सब कुछ है। नृत्य और गीत बेहतर है. भावुक सीन भी इस फिल्म में देखने को मिलेगा।

  1. सभी मसाले इस फिल्म में परोसी गई है, जिससे दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिले. फिल्म के ज्यादातर कलाकार कोरबा क्षेत्र से ही हैं, जिसमें फिल्म के हीरो कीर्ति प्रकाश जायसवाल तथा अन्य कलाकारों में देव यादव, आदिल खान, राम यादव, योगेश चन्द्रा, एसएस कटकवार, महफूज खान, नवीन यादव व पहेली चौहान प्रमुख हैं । कुछ कलाकार रायपुर से भी हैं जिनमें हीरोईन हेमा शुक्ला तथा एजाज़ वारसी, उपासना वैष्णव, आराध्या सिन्हा, यमन साहू आदि सशक्त रोल में हैं। फिल्म के निर्माता-निर्देशक हैं कोरबा के मुकेश स्वर्णकार, जिन्होंने कथा, पटकथा व संवाद भी तैयार किया है । गीतकार सूबेसिंग चौहान व राघवेन्द्र वैष्णव ने फिल्म के गीतों को सजाया है । संगीतकार परशुराम यादव व राघवेन्द्र वैष्णव है । मेकअप, हेयर व कॉस्ट्यूम का कार्य कोरबा के प्रीति स्वर्णकार ने बखूबी संभाला है । कोरियोग्राफी कार्य कोरबा के ही राम यादव, विनोद चंद्र डे, आदिल खान व देवाशीष ने संभाला है। फिल्म की पूरी टीम को आशा है कि यह फिल्म कोरबा क्षेत्र की छिपी हुई विभिन्न प्रतिभाओं को पूरे छत्तीसगढ़ के सामने लाने में सफल होगी ।

किस लाल और पुनीत सोनकर की संयुक्त प्रस्तुति

ग्रामीण नौजवानों की कहानी है दहाड़


किस एंटरटेमेंट के बैनर तले एक और फिल्म दहाड़ दिसंबर में दहाड़ मारने की तैयारी में है, ग्रामीण परिवेश पर बनी इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है और अब फिल्म के डायरेक्ट एजाज वारसी एडिटिंग की टेबल पर इस फिल्म को फिनिशिंग दे चुके हैं, फिल्म के डायरेक्टर एजाज वारसी ने बताया कि उनकी कोशिश होगी कि इस फिल्म को जल्द प्रदर्शित किया जाए साथ ही उन्होंने बताया कि ये फिल्म ग्रामीण परिवेश में रह रहे नौजवानों की कहानी है जिसमें सोशल वर्क का मैसेज भी है।

आपको बता दें कि इस फिल्म में विलेन से हीरो बने मनमोहन सिंह ठाकुर, शेखर चौहान, और किसलाल कुर्रे मुख्य भूमिका में है, वहीं फिमेल अदाकारों की बात की जाए तो अंजना और पुष्पांजली अहम किरदार अदा में है, जबकि इस फिल्म को किसलाल कुर्रे और पुनीत सोनकर प्रोड्यूस कर रहे हैं संजय तेलंग और रवि टेमरे को-प्रोड्यूसर की भूमिका में हैं, वहीं अगर फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो इस फिल्म को शिव जांगड़े ने म्यूजिक दिया है और उनके इन गानों पर मनोज दीप ने न सिर्फ  कोरियोग्राफी की है, बल्कि फाइट सीन का जिम्मा भी इन्हीं के कंधों पर रहा है, जबकि इस फिल्म को खूबसूरत तरीके से फिल्माने का काम पुनित सोनकर और जॉनसन अरुण ने किया है ।

भोजपुरी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल की शूटिंग पूरी


दुर्ग के कई लोकेशन पर शूट होने वाली भोजपुरी फिल्म तहरा दुप्पटा सरक गईल का क्लाइमेक्स, आइटम सॉन्ग और फाइट सीन की शूटिंग हाल ही में सम्पन्न हुआ । यह हमारी फि़ल्म का अंतिम शेड्यूल था। इसी के साथ फिल्म की सारी शूटिंग पूरी हो गयी। यह फिल्म छत्तीसगढ़ी भाषा में भी देखने को मिलेगी। 

भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल एक पारिवारिक और मनोरंजक फिल्म है जिसमे पांच अदाकारा अपनी अभिनय का जलवा बिखेरती नजर आएंगी। वे हैं - पायल चोरे, दिव्या नागदेवे, केशर सोनकर, पूजा देवांगन, सुमन कोसरे। छालीवुड के दो उभरते सितारे आदित्य दीपक देवांगन और पूजा देवांगन भोजपुरी फिल्म 'तहरा दुपट्टा सरक गईल में रोमांस करते नजर आएंगे। यह एक शुद्ध पारिवारिक फिल्म है जिसकी कहानी भी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है. आदित्य और पूजा दोनों इस फिल्म में दर्शकों को हसांयेंगे तो रुलायेंगे भी. आदित्य दीपक का कहना है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह साबित किया है आदित्य दीपक देवांगन ने। छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। उनका मानना है कि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता ही है। वे अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट है। छालीवुड में एलबम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका पूजा देवांगन की तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है। पूजा छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए।

छॉलीवुड की सुपर स्टार बनने की तमन्ना रखती है प्रियंका परमार

- श्रीमती केशर सोनकर
भोपाल से छत्तीसगढ़ी फिल्म करने रायपुर आई अभिनेत्री प्रियंका परमार अब छॉलीवुड की सुपर स्टार बनने की तमन्ना रखती है. वे कहती हैं कि यहां के लोगो का प्यार ही उनके लिए सबसे बड़ा अवार्ड होगा। अभी हाल ही में वे फिल्म संगी रे में अपनी कला का जलवा दिखाया है जो अगले हीने रिलीज होने वाली है. उन्हें छत्तीसगढ़ की माटी, छत्तीसगढ़ के लोग , छत्तीसगढ़ की संस्कृति इतनी भा गयी कि अब वह यही बसने की सोच रही है. 
तीन छत्तीसगढ़ी फिल्म में अपने अभिनय का परचम फहरा चुकी प्रियंका को बस छत्तीसगढ़ की जनता का प्यार और सम्मान चाहिए। उन्हें बॉलीवुड में जाना कतई भी पसंद नहीं  है.उनकी तमन्ना छालीवुड में ही रच बस जाने की है। वे एक मंजे हुए कलाकार है. दो फिल्मे उन्होंने कारन खान के साथ की है और तीसरी फिल्म अभी प्रेम यादव के साथ संगी रे की। फिल्म संगी रे  से प्रियंका परमार को काफी उम्मीद है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म करने का आनंद ही कुछ अलग है.यहां बहुत प्यार और सहयोग मिलता है.इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता दी है. संगी रे फिल्म करके मुझे अच्छा लगा. यह एक पारिवारिक फिल्म है। आप देखिये आपको पुराने दिन याद आ जाएंगे। कैमरे के सामने आने से पहले मै अपने किरदार को लेकर बहुत मेहनत करती हूँ. जिससे करेक्टर को समझने का मौका मिले और अपनी भूमिका आसान हो जाए। निर्देशक और नायक प्रेम कुमार यादव का काफी सहयोग मिला। फिल्म की सफलता पर प्रेम के साथ मै संगी रे 2 में काम करना चाहूंगी। संगी रे जो फिल्म बनी है वह परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य फिल्म है.प्रियंका कहती है कि मैं यहां हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी जो फिल्म प्रधान हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। उनकी ख्वाहिश बड़ी है और वे एक दिन जरूर कामयाब होगी। 
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छत्तीसगढ़ के इकलौते अभिनेता है जिन्हें प्रशासन ने मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आइकॉन बनाया

बहुत ही रचनात्मक सोच के इंसान है अखिलेश पांडे

 
छत्तीसगढ़ में वैसे तो बहुत अभिनेता है परंतु इस अभिनेता की बात कुछ निराली है इस अभिनेता में कुछ तो खास है वह जिस भी प्रोजेक्ट से जुड़ते हैं वह प्रोजेक्ट विश्व स्तरीय हो जाता है जैसे कि उनकी पिछली बॉलीवुड फिल्म कठोर जिसने की लगातार आठ खेल में चलकर इतिहास रच दिया साथ ही फिल्म गिनीज बुक ऑफ  वल्र्ड रिकॉर्ड में भी जा रही है अखिलेश का काम करने का तरीका बहुत ही अलग है बहुत ही रचनात्मक सोच के इंसान है वह ना  केवल अच्छे कलाकार हैं बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं समाज को सदैव कुछ नया और अच्छा देने का प्रयास करते रहते हैं और उनकी इसी काबिलियत को देख कर प्रशासन के द्वारा उन्हें मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आइकॉन बनाया गया और उन्होंने अपनी छवि के अनुसार ही कार्य कर के दिखाया और इस कार्यक्रम को भी विश्व स्तर तक लेकर गए 1 दिन में 210000 से ज्यादा शपथ पत्र भरवा कर बिलासपुर जिला प्रशासन ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया है और इस कार्य का श्रेय अखिलेश कलेक्टर पी दयानंद को देते हैं अखिलेश ने मतदाताओं को जागरूक करने की ऐसी मुहिम छेड़ी की कोई भी वर्ग और समुदाय उनकी पहुंच से दूर नहीं रहा वह लगातार अलग-अलग वर्गों के बीच में पहुंचकर उनके ही वेशभूषा में उनके साथ मिलकर काम कर कर उन्हें जागरूक किए उनके इस तरीके को सभी जगह पर काफी पसंद किया जा रहा है और सभी वर्ग के लोग अपने आप को इस अभियान से जुड़ा महसूस कर रहे हैं अखिलेश का मानना है की वह लगातार समाज के लिए अच्छे कार्य करते रहेंगे और अपने छत्तीसगढ़ के नाम को विश्व पटल पर एक अलग रूप में स्थापित करने का प्रयास करेंगे इस अभियान के दौरान अखिलेश सफाई कर्मचारी कुली डॉक्टर वकील प्रोफेसर फौजी पुलिस किसान छात्र के रूप में अपने आप को उन्हीं की वेशभूषा में ढाल कर सभी लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया इस अभियान के अलावा अखिलेश छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए भी एक अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं जिससे कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बढ़ावा मिल सके और यहां के कलाकार भी अपने प्रतिभा को विश्व स्तर पर प्रदर्शित कर सके अखिलेश ने बताया कि आइकॉन बनने के बाद उनका उद्देश्य शत प्रतिशत मतदान कराने का है जिससे कि लोक सही प्रत्याशी को चुने और लोगों को एक अच्छी सरकार मिल सके. छत्तीसगढ़ के एक ऐसे अभिनेता जिन के जुड़ते ही परियोजनाएं विश्व स्तरीय हो जाती हैं पिछले 2 महीने में उनके दो प्रोजेक्ट गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए गए हैं जिनमें से उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म कठोर जोकि लगातार आठ खेल में चल कर इतिहास रच दिया और फिल्म गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने के लिए गई है इसके अलावा मतदाता जागरूकता अभियान के आईकॉन बनने के बाद बिलासपुर जिला प्रशासन के द्वारा 210000 शपथ पत्र वोट डालने के लिए भराए गए और यह भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए गया हुआ है . 
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दर्जन भर फिल्में रिलीज न होने से आहत हैं अवार्डों के बादशाह डॉ. अजय सहाय

नायक, खलनायक, लेखक, निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कलाओं में पारंगत डॉ अजय मोहन सहाय इन दिनों अपने दर्जन भर फिल्मो के रिलीज ना होने से काफी आहत हैं फिर भी वे लगातार फिल्मे कर रहे हैं . व्यस्तता इतनी ज्यादा है कि उन्हें कई फिल्में छोडऩी पडी है. छत्तीसगढ़ी फिल्मों का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है । अवार्डों के बादशाह हम उन्हें यूं ही नहीं कहते। विभिन्न कलाओं और समाजसेवा में उनके नाम 150 से अधिक अवार्ड है. अभी हाल ही में उन्हें गुजरात में ग्लोबल डिग्नीटरी 4 अवार्ड और रायपुर में अखिल भरतीय कायस्थ महासभा द्वारा उत्कृष्ट सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया है. उन्होंने टीवी धारावाहिक सावधान इंडिया में भी काम किया है. सतीश जैन की हंस झन पगली फंस जाबे, प्रेम चन्द्राकर की लोरिक चंदा, जेठू साहू की सॉरी लव यू, गणेश मेहता की 4 फंटूश (हिंदी), राठौर निर्मित साउंड ऑफ वाटर (हिंदी) उनकी हालिया अभिनीत फिल्में है। हिन्दी धार्मिक फिल्म भक्त माँ कर्मा, अंधियार, कहर जैसी फिल्मों के प्रदर्शित होने का उन्हें ब्रेसब्री से इंतजार है।

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

दुनियाभर में धूम मचा रहे हैं नीरज की कहानी पर बनी धारावाहिक

0 मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी बेहद लोकप्रिय

-अरूण बंछोर

      बच्चे सुबह होते ही किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो वह है टीवी पर कार्टून चैनल। जिसमे मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसे कई धारावाहिक सीरियलें चलती है जो बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी काफी लोकप्रिय है. इसके लेखक है रायपुर के नीरज विक्रम जो इन दिनों मुम्बई में रहकर स्क्रिप्ट और कहानी लेखन का कार्य कर रहे हैं.लोकप्रियता इतनी है कि बाजार में पोस्टर व खिलौने तक मोटू-पतलू के नाम से बिकते हैं। 1975 के दशक में आई केतन पांडेय की कामिक्स मोटू-पतलू को टीवी के परदे तक रायपुर के नीरज विक्रम ने ही पहुंचाया। हाल अब ये है कि कार्टून सीरियल की दुनिया में मोटू-पतलू अपना परचम लहरा रहा है। चारों ओर बस मोटू-पतलू की बच्चों के बीच धूम दिखाई देती है।

नीरज विक्रम छत्तीसगढ़ी फिल्म महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी के तीन निर्माताओं में से एक हैं. इस फिल्म के मुहूर्त अवसर पर रायपुर के स्वपनिल स्टूडियो में उनसे मुलाक़ात हुई. 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिंन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म की कहानी लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से उन्होंने इंडोनेशिया में कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि कॉमिक्स की कहानी में थोड़ा बदलाव किया। इसमें इंपेक्टर चिंगम और डॉ. झटका का किरदार डाला, जो बच्चों से लेकर बड़ोंं को भी पसंद आ रहा है। वे बतातें हैं कि अपने सालों के कॅरियर में उन्होंने बच्चों से जुड़ी कहानियां ज्यादा लिखीं, ताकि उनके मनोरंजन में कमी ना आएं।

नीरज विक्रम को जानें 

छत्तीसगढ़ कॉलेज के लॉ के छात्र नीरज विक्रम ने वकालत का कोर्स करने के बाद फिल्मी दुनिया से लगाव के चलते वे रायपुर से मुंबई चले गए। वहां पहुंच कर उन्होंने कई कहानियां लिखी। इसमें शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसी बच्चों से जुड़ी कहानियां प्रमुख हैं। अत्यधिक सफलता मिली मोटू और पतलू से। वे 1995 से व्यावसायिक रूप से लिख रहे हैं और 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से वे इंडोनेशिया के लिये कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं.
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गायक से एक्टर बन धूम मचाया

0 हमर पारा तुंहर पारा फेम सुनील मानिकपुरी

         छत्तीसगढ़ी फिल्म आई लव यूं जिसने भी देखा होगा खलनायक सुनील मानिकपुरी की अदाकारी के कायल हो गए होंगे। सुनील मानिकपुरी वही है जिसने फिल्म में डराते धमकाते नजर आते हैं। इन्होने ही हमर पारा तुंहर पारा गीत को अपनी आवाजें दी है। सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड की यह एल्बम काफी चर्चित रहा है। वे बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें लोक कला और लोकसंगीत की ओर रुझान था.लोकगीत गाने की तमन्ना 15 साल  की उम्र से और ज्यादा बढऩे लगी और अपने लिखे हुए गीतों को ही रिकॉर्डिंग करने लगा। 

      छत्तीसगढ़ी गीत संगीत के कलाकार सुनील मानिकपुरी अपने लिए खुद ही गीत लिखते हैं और  देती हैं। इन्हे तराशने का काम किया मोहन सुंदरानी ने। हमर पारा तुंहर पारा उनका पहला ऑडियो विडियो एल्बम है जिसे सुंदरानी ने बाजार में लाकर चर्चित किया यही नहीं उनकी लगन देख उन्हें अपनी फिल्म आई लव यूं में काम दिया जिस पर वे खरे उतरे। सुनील बताते हैं कि हमर पारा तुंहर पारा एल्बम के हिट होने पर मुझे नाम और पहचान मिली उसके बाद विडियो वर्ल्ड ने मुझे मौका दिया। गीत और संगीत में मैंने बहुत मेहनत की और जब मुझे सुंदरानी विडियो वर्ल्ड की और से फिल्म में काम करने का मौका मिला तो खुद को मैं रोक नहीं पाया और इस मौके को खोना नहीं चाहता था।गायन में मै मास्टर सलीम जी को फॉलो करता हूँ ।जो कि पंजाब के रहने वाले और भारत के मशहूर गायक हैं उनके ही वीडियो देख कर कुछ सीखने की कोशिश करता हूँ। फिल्म आई लव यू में काम करना एक अलग अनुभव था ।मेरी पहली फिल्म और मेरे चारो ओर छत्तीसगढ़ी फिल्म के मंजे हुए कलाकार और निर्देशक निर्माता सारे लोग बहुत अनुभवी थे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला और बहुत मजा आया इस फिल्म में अपने किरदार को लेकर। मै अपने गीत संगीत और एक्टिंग में अपने आप को एकदम अलग देखना चाहता हूँ।और एक  खास बात मै जो भी रहूँ अपने राज्य के ही लिए रहूँ ।ताकि मैं जब भी कहीं बाहर या दूसरे राज्य जाऊँ तो लोग मुझे मेरे राज्य के नाम से जाने बस. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को कम प्रमोशन के बाद रिलिज किया जाता है। जिससे फिल्म लोगों तक पहुँच नहीं पाती। सरकार से मेरी अपेक्षा है कि हमारी कला और संस्कृति को और ज्यादा बहेतर मंचों में  प्रस्तुत करने का मौका प्रदान करे  । सुपर डुपर हिट फिल्म आई लव यू के एक गीत  'देख के टुरी तोर जवानीÓ को सुनील ने ही लिखा है ...  अपनी आवाजें भी दी है.जिसे सूरज महानंद ने संगीत संगीतबद्ध किया है.
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नेता-अफसरों ने भी आजमाई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में किस्मत

०  पद्मश्री अनुज शर्मा की कलम से

      राज्य निर्माण के बाद एक समां बंधा और हर कोई छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जुडऩा चाहता था। दोनों प्रमुख पार्टियों-भाजपा कांग्रेस के नेता, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अफसरान, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी सभी वर्ग के लोगों की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में सहभागिता रही। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मधुकर कदम की फिल्म 'मोर सपना के राजा में अभिनय किया था। उन्हें एक दृश्य में भाषण देते हुए फिल्माया गया था। उसी दौर में उनके मंत्री परिषद के सदस्य व वर्तमान में अभनपुर से विधायक धनेन्द्र साहू ने फिल्म 'तुलसी चौरा में अभिनय किया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की झलक ईरा फिल्म्स की 'अजब जिनगी गजब जिनगी फिल्म में दर्शकों को मिली थी। भाजपा नेता व पूर्व संसदीय सचिव विजय बघेल ने फिल्म 'माटी के लाल में नायक सुनील तिवारी के साथ व 'मोर मन के मीत फिल्म में अनुज शर्मा के पिता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ज्योत्सना महंत ने प्रस्तुत किया 'महतारी

      रायपुर शहर उत्तर के विधायक श्रीचंद सुन्दरानी ने फिल्म निर्माण के साथ ही साथ अभिनय भी किया। पूर्व सांसद चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत ने छत्तीसगढ़ महतारी फिल्म को प्रस्तुत किया था, जिसके निर्माता पुष्पेन्द्र सिंह थे। परिवार की बात करें तो एक रोचक बात छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी फिल्मों के सशक्त अभिनेता रजनीश झांजी के परिवार से जुड़ी हुई है। उनकी माता संतोष झांजी, पत्नी मिनी झांजी और पुत्र लक्षित झांजी ने एक साथ एक ही फिल्म 'झन भूलव मां-बाप ला में काम किया था। 

परेश ने अभिनय भी किया

पूर्व विधायक परेश बागबाहरा ने 'भोला छत्तीसगढिय़ा फिल्म का निर्माण-निर्देशन के साथ-साथ उसमें अभिनय भी किया था। इससे पूर्व भी परेश सनी देओल अभिनीत फिल्म गुनाह का निर्माण कर चुके हैं। वहीं बालोद के पूर्व विधायक स्व. लोकेन्द्र यादव ने 'मयारू भौजी और मनोज वर्मा निर्देशित फिल्म 'बैर में काम किया था। दुर्ग नगर निगम के पूर्व सभापति डोमार सिंग वर्मा ने एक हिंदी फिल्म और एक छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मोर धरती मंईया का निर्माण किया था। छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के अनुज योगेश अग्रवाल की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में सक्रियता सभी जानते हैं।

शशि मोहन रहे सक्रिय, राकेश चतुर्वेदी ने की सरपंची

     पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी राजीव श्रीवास्तव ने फिल्म 'अंगना में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। वर्तमान में राजनांदगांव में पदस्थ पुलिस अधिकारी शशि मोहन सिंह ने 2 वर्ष का अवकाश लेकर यह पूरा समय फिल्मों को दिया। मया दे दे मयारू, माटी के लाल, बैरी के मया जैसी फिल्मों के साथ भोजपुरी फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया।
    रंगमंच पर भी शशि मोहन सक्रिय दिखाई देते हैं। निर्देशक क्षमानिधि मिश्रा की फिल्म में वर्तमान में संस्कृति संचालक राकेश चतुर्वेदी ने सरपंच की भूमिका निभाई थी। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलसचिव रह चुके प्रशासनिक अधिकारी पी.आर. उरांव ने भी फिल्म का निर्माण, निर्देशन और अभिनय किया था। छत्तीसगढ़ के सफल डॉक्टर अजय सहाय छत्तीसगढ़ी फिल्मों में लगातार नजर आते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लगभग सभी निर्देशकों ने कहीं न कहीं अभिनय भी किया है। ऐसा है छत्तीसगढ़ी सिनेमा का जादू, जो हर किसी को अपना बना लेता है और खुद उसका हो जाता है।

नत्था को छॉलीवुड में नहीं मिली सफलता
     बहुत से ऐसे कलाकार जो छत्तीसगढ़ से मुंबई गए थे, उन्होंने भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों में किस्मत आजमाई, जिनमें संजय बत्रा, ओमी शर्मा, शाहनवाज, शंकर सचदेव, श्याम चावला शामिल हैं। संजय बत्रा को 'परदेसी के मया और 'मया दे दे मयारू के जरिए सफलता मिली। प्रसिद्ध कला निर्देशक जयंत देशमुख ने फिल्म 'मोर छंइहा भुईयां में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। नत्था के नाम से पूरे देश में लोकप्रिय हुए ओंकार दास मानिकपुरी को छत्तीसगढ़ी फिल्म किस्मत के खेल में भी सफलता नहीं मिली। गायिका ममता चंद्राकर बहुत सी फिल्मों में अपने गीत गाते हुए दिखाई देती हैं तो कहीं दुकालू यादव।
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प्रेम अमर हे के चुलबुले किशन गुलशन साहू


       बिलासपुर पॉलिटेक्निक की पढ़ाई पूरी कर गुलशन साहू कब एक्टिंग की राह में आ गए उन्हें भी खुद पता नही चला नियति इसे ही कहते है भक्त माँ कर्मा (हिंदी फिल्म)में वो मुख्य किरदार का रोल कर रहे थे इसी बीच शूटिंग के दौरान डायरेक्टर सुनील सागर फिल्म के यूनिट से मिलने आये हुए थे तब उनसे मुलाकात हुई और एक महिने बाद उनका फोन आया और कहा की एक करेक्टर है। जिसे आपको करना है और गुलशन ने कहा मैंने तुरंत हामी भर दी।

     बाद में पता चला की ये फिल्म के मुख्य भूमिका में से 1 हीरो का रोल है। इसमें मैं दीवाना36 गढिय़ा के हीरो केशव् वैष्णव(अमर) के छोटे भाई (किशन) का रोल कर रहा हु जो कॉलेज गोइंग नटखट चुलबुला और अपने परिवार (ललित उपाध्याय जी,और उपासना वैष्णवजी मेरे माँ बाप के रोल में है)को दिलोजान से चाहने वाला बंदा है किशन की एक प्रेमिका(पूजा देवांगन)भी है जिससे वो शादी करना चाहता है पर एक घटना के बाद पूरे परिवार की खुशियाँ मातम में बदल जाती है . किशन के रोल में मुझे सुनील सागर जी ने अलग अलग एक्सप्रेशन के डायलॉग और एक्टिंग के गुर बताये जोकि भविष्य में मेरे बहुत काम आने वाले है मेरा बस यही मानना है कि समर्पण के साथ अपने किरदार को निभाने से दर्शको का आशीर्वाद जरूर मिलता है इस फिल्म के संवाद गाने और कहानी अलग ही अंदाज में पेश करने की कोशिश डायरेक्टर सुनील सागर जी ने बहूत मेहनत और लगन से की है जिसे दर्शक अवश्य पसंद करेंगे, आप सबके आशीर्वाद से दिग्गज डायरेक्टर प्रेम चन्द्राकर जी की फिल्म (लोरिक चंदा )और हरीश नागदौने सर के डायरेक्शन की फिल्म(अंगार )मे भी मैं मुख्य भूमिका में दिखूंगा,इसके अलावा 2फिल्मे भी मेरी मुख्य अभिनेता के तौर पर आने वाली है प्रेम अमर हे मेरी पहली मुख्य भूमिका वाली फिल्म होगी इससे पहले मैंने कुछ फिल्मो में चरित्र अभिनेता का संक्षिप्त रोल निभाया है आशा करता हु दर्शको को मेरा ये किशन का रोल पसंद आयेगा मैं शानदार निर्माता और समाजसेवी बहुमुखी प्रतिभा के धनी जेठू साहूजी और डायरेक्टर सुनील सागर जी का दिल से आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी फिल्मों में मौका दिया.