बुधवार, 21 नवंबर 2018

बनना था पुलिस, बन गयी अभिनेत्री

माँ-बाप का नाम रौशन करना चाहती है नीलूशंकर 

- अरुण कुमार बंछोर
हिन्दी फिल्म आखिर कब तक की नायिका नीलू शंकर सिंह को छत्तीसगढ़ की धरती, छत्तीसगढ़ की भाषा और छत्तीसगढ़ के लोग इतने भा गए है कि वे अब छत्तीसगढ़ी फिल्म करना चाहती है. वे कहती है कि उनका सपना पुलिस बनकर जनता की सेवा करने का था लेकिन ना चाहते हुए भी वे फिल्म की नायिका बन गयी. अब वे इसी लाइन पर ही काम करते रहना चाहती है.
उनकी दिली तमन्ना है कि वे अभिनय के क्षेत्र में ही काम कर अपने माँ बाप का नाम रौशन करें। नीलूशंकर ने अपने फि़ल्मी कॅरियर की शुरुवात फिल्म बिटवा बाहुबली 2 से की। उसके बाद उन्हें बहुत सी फिल्मो का ऑफर मिला और नीलू ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नीलूशंकर से हमारी मुलाक़ात फिल्म आखिर कब तक के सेट पर हुआ. उन्होंने बताया कि फिल्मो में काम करने की उनकी रुचि कभी थी ही नहीं, किस्मत ने उन्हें खींच लाया। अब इस क्षेत्र में आ ही गयी है तो इसी इंडस्ट्री में काम करती रहेंगी। नीलू शंकर ने बताया कि पुलिस बनाकर जनता की सेवा करना ही उनका सपना था अब वे फिल्मो में काम कर अपने माँ बाप के नाम रोशन करना चाहूँगी। रायबरेली की नीलू मुम्बई में रहने लगी है. वे पिछले साल ही फिल्म इंडस्ट्री में आई हैं और जल्द ही बहुत सी फिल्मे अपने नाम कर ली है.इनकी दूसरी फिल्म लज्जो है जो यही रायपुर में शूट हुई है इसलिए नीलू को छत्तीसगढ़ बहुत भा रही है. वे कहती है कि यहां के लोग यहां के कलाकार बहुत ही अच्छे हैं.इसलिए वे छालीवुड में काम करना चाहेंगी। नीलू की पहचान बनी थी मॉडलिंग से। वे कहती हैं कि दर्शकों का प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड या तोहफा होगा। जिस दिन मैंने लोगो के दिल में जगह बना ली उस दिन मेरा सपना पूरा हो जाएगा। फिल्म आखिर कब तक में नीलूशंकर सिंह मुख्य भूमिका में है. वे आशीष शेंद्रे की बेटी रहती है जिसका मर्डर हो जाता है और इसका इन्वेस्टीगेशन योगेश अग्रवाल जी करते हैं.

छॉलीवुड के दमदार खलनायक धर्मेंद्र अहिरवार

लोग मुझे मेरी कला से पहचाने, बस यही तमन्ना है

सुपर डुपर हिट फिल्म *प्रेम सुमन* के खलनायक धर्मेंद्र अहिरवार फिल्म बंधन प्रीत के में आपको एक नए एवं जबरदस्त विलेन के किरदार में दिखाई देंगे। पहली बार निर्माता दिव्या नागदेवे ने उन्हें अपनी फिल्म प्रेम सुमन में आजमाया था जिसमे वे सफल रहे. उनकी एक ही तमन्ना है कि लोग उसे उनकी कला से पहचाने। धर्मेंद्र अहिरवार अब छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपनी किस्मत आजमा चुके धर्मेंद्र को प्रेम सुमन फिल्म में ब्रेक मिला उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा और आगे बढ़ते गए। धर्मेंद्र अहिरवार को अपनी नई फिल्म बंधन प्रीत के से बहुत उम्मीद है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर की कमी भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है। धर्मेंद्र अहिरवार को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है।

राखी सिंह की छालीवुड में धमाकेदार वापसी

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की : राखी सिंह

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है, जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे, उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री राखी सिंह का। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 10-12 फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी राखी दूरदर्शन की धारावाहिक में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है। मौका मिलने पर वे हिन्दी फिल्मो में भी काम करने की तमन्ना रखती है। राखी कुछ सालों बाद छालीवुड में वापसी की है. अभी हाल ही में वे भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी में बनी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल में आइटम डांस की शूटिंग की है.अभिनय का शौक बचपन से ही था पर उन्होंने सोचा नहीं था की उसे मौका मिलेगा। टीवी देख देखकर उनके मन में जिज्ञासा पैदा होती थी। महेश वर्मा की धारावाहिक मिला तो वे अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। करीब 10 -12 सीरियल की है। उसके बाद तो वे आगे बढ़ती चली गयी। सोचा नहीं था कि मै ये सब कर पाएंगी। आज वे खुश है कि उन्हें जो भी काम मिला उसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से पूरा किया है। उन्होंने 30-40 एल्बम में काम किया है , कॉमेडी नाटक किया है, करीब 15 फिल्मे की है और कुछ आइटम सांग भी किया है।उनका कोई प्रेेरणाश्रोत नहीं है बस वे अपनी मेहनत और अपनी इच्छा से अभिनय के क्षेत्र में आ गयी। छत्तीसगढ़ी फिल्म की नायिका मोना सेन उन्हें पसंद है। ऐसा कोई नहीं है जिसे वे अपना आदर्श कह सकें।

कॉमेडी, एक्शन, सस्पेंस से भरपूर है फिल्म सोल्जर छत्तीसगढिय़ा

छत्तीसगढ़ी फिल्म सोल्जर छत्तीसगढिय़ा में वो सब कुछ है जो छत्तीसगढ़ के दर्शकों को पसंद होता है. फिल्म की पूरी शूटिंग कोरबा शहर व आसपास के खूबसूरत लोकेशन्स पर की गयी हैं. फिल्म की खूबी है इसकी सशक्त पटकथा व मनमोहक गीत-संगीत। पारिवारिक माहौल में बनी इस फिल्म में कॉमेडी, एक्शन, सस्पेंस सब कुछ है। नृत्य और गीत बेहतर है. भावुक सीन भी इस फिल्म में देखने को मिलेगा।

  1. सभी मसाले इस फिल्म में परोसी गई है, जिससे दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिले. फिल्म के ज्यादातर कलाकार कोरबा क्षेत्र से ही हैं, जिसमें फिल्म के हीरो कीर्ति प्रकाश जायसवाल तथा अन्य कलाकारों में देव यादव, आदिल खान, राम यादव, योगेश चन्द्रा, एसएस कटकवार, महफूज खान, नवीन यादव व पहेली चौहान प्रमुख हैं । कुछ कलाकार रायपुर से भी हैं जिनमें हीरोईन हेमा शुक्ला तथा एजाज़ वारसी, उपासना वैष्णव, आराध्या सिन्हा, यमन साहू आदि सशक्त रोल में हैं। फिल्म के निर्माता-निर्देशक हैं कोरबा के मुकेश स्वर्णकार, जिन्होंने कथा, पटकथा व संवाद भी तैयार किया है । गीतकार सूबेसिंग चौहान व राघवेन्द्र वैष्णव ने फिल्म के गीतों को सजाया है । संगीतकार परशुराम यादव व राघवेन्द्र वैष्णव है । मेकअप, हेयर व कॉस्ट्यूम का कार्य कोरबा के प्रीति स्वर्णकार ने बखूबी संभाला है । कोरियोग्राफी कार्य कोरबा के ही राम यादव, विनोद चंद्र डे, आदिल खान व देवाशीष ने संभाला है। फिल्म की पूरी टीम को आशा है कि यह फिल्म कोरबा क्षेत्र की छिपी हुई विभिन्न प्रतिभाओं को पूरे छत्तीसगढ़ के सामने लाने में सफल होगी ।

किस लाल और पुनीत सोनकर की संयुक्त प्रस्तुति

ग्रामीण नौजवानों की कहानी है दहाड़


किस एंटरटेमेंट के बैनर तले एक और फिल्म दहाड़ दिसंबर में दहाड़ मारने की तैयारी में है, ग्रामीण परिवेश पर बनी इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है और अब फिल्म के डायरेक्ट एजाज वारसी एडिटिंग की टेबल पर इस फिल्म को फिनिशिंग दे चुके हैं, फिल्म के डायरेक्टर एजाज वारसी ने बताया कि उनकी कोशिश होगी कि इस फिल्म को जल्द प्रदर्शित किया जाए साथ ही उन्होंने बताया कि ये फिल्म ग्रामीण परिवेश में रह रहे नौजवानों की कहानी है जिसमें सोशल वर्क का मैसेज भी है।

आपको बता दें कि इस फिल्म में विलेन से हीरो बने मनमोहन सिंह ठाकुर, शेखर चौहान, और किसलाल कुर्रे मुख्य भूमिका में है, वहीं फिमेल अदाकारों की बात की जाए तो अंजना और पुष्पांजली अहम किरदार अदा में है, जबकि इस फिल्म को किसलाल कुर्रे और पुनीत सोनकर प्रोड्यूस कर रहे हैं संजय तेलंग और रवि टेमरे को-प्रोड्यूसर की भूमिका में हैं, वहीं अगर फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो इस फिल्म को शिव जांगड़े ने म्यूजिक दिया है और उनके इन गानों पर मनोज दीप ने न सिर्फ  कोरियोग्राफी की है, बल्कि फाइट सीन का जिम्मा भी इन्हीं के कंधों पर रहा है, जबकि इस फिल्म को खूबसूरत तरीके से फिल्माने का काम पुनित सोनकर और जॉनसन अरुण ने किया है ।

भोजपुरी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल की शूटिंग पूरी


दुर्ग के कई लोकेशन पर शूट होने वाली भोजपुरी फिल्म तहरा दुप्पटा सरक गईल का क्लाइमेक्स, आइटम सॉन्ग और फाइट सीन की शूटिंग हाल ही में सम्पन्न हुआ । यह हमारी फि़ल्म का अंतिम शेड्यूल था। इसी के साथ फिल्म की सारी शूटिंग पूरी हो गयी। यह फिल्म छत्तीसगढ़ी भाषा में भी देखने को मिलेगी। 

भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल एक पारिवारिक और मनोरंजक फिल्म है जिसमे पांच अदाकारा अपनी अभिनय का जलवा बिखेरती नजर आएंगी। वे हैं - पायल चोरे, दिव्या नागदेवे, केशर सोनकर, पूजा देवांगन, सुमन कोसरे। छालीवुड के दो उभरते सितारे आदित्य दीपक देवांगन और पूजा देवांगन भोजपुरी फिल्म 'तहरा दुपट्टा सरक गईल में रोमांस करते नजर आएंगे। यह एक शुद्ध पारिवारिक फिल्म है जिसकी कहानी भी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है. आदित्य और पूजा दोनों इस फिल्म में दर्शकों को हसांयेंगे तो रुलायेंगे भी. आदित्य दीपक का कहना है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह साबित किया है आदित्य दीपक देवांगन ने। छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। उनका मानना है कि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता ही है। वे अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट है। छालीवुड में एलबम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका पूजा देवांगन की तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है। पूजा छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए।

छॉलीवुड की सुपर स्टार बनने की तमन्ना रखती है प्रियंका परमार

- श्रीमती केशर सोनकर
भोपाल से छत्तीसगढ़ी फिल्म करने रायपुर आई अभिनेत्री प्रियंका परमार अब छॉलीवुड की सुपर स्टार बनने की तमन्ना रखती है. वे कहती हैं कि यहां के लोगो का प्यार ही उनके लिए सबसे बड़ा अवार्ड होगा। अभी हाल ही में वे फिल्म संगी रे में अपनी कला का जलवा दिखाया है जो अगले हीने रिलीज होने वाली है. उन्हें छत्तीसगढ़ की माटी, छत्तीसगढ़ के लोग , छत्तीसगढ़ की संस्कृति इतनी भा गयी कि अब वह यही बसने की सोच रही है. 
तीन छत्तीसगढ़ी फिल्म में अपने अभिनय का परचम फहरा चुकी प्रियंका को बस छत्तीसगढ़ की जनता का प्यार और सम्मान चाहिए। उन्हें बॉलीवुड में जाना कतई भी पसंद नहीं  है.उनकी तमन्ना छालीवुड में ही रच बस जाने की है। वे एक मंजे हुए कलाकार है. दो फिल्मे उन्होंने कारन खान के साथ की है और तीसरी फिल्म अभी प्रेम यादव के साथ संगी रे की। फिल्म संगी रे  से प्रियंका परमार को काफी उम्मीद है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म करने का आनंद ही कुछ अलग है.यहां बहुत प्यार और सहयोग मिलता है.इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता दी है. संगी रे फिल्म करके मुझे अच्छा लगा. यह एक पारिवारिक फिल्म है। आप देखिये आपको पुराने दिन याद आ जाएंगे। कैमरे के सामने आने से पहले मै अपने किरदार को लेकर बहुत मेहनत करती हूँ. जिससे करेक्टर को समझने का मौका मिले और अपनी भूमिका आसान हो जाए। निर्देशक और नायक प्रेम कुमार यादव का काफी सहयोग मिला। फिल्म की सफलता पर प्रेम के साथ मै संगी रे 2 में काम करना चाहूंगी। संगी रे जो फिल्म बनी है वह परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य फिल्म है.प्रियंका कहती है कि मैं यहां हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी जो फिल्म प्रधान हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। उनकी ख्वाहिश बड़ी है और वे एक दिन जरूर कामयाब होगी। 
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छत्तीसगढ़ के इकलौते अभिनेता है जिन्हें प्रशासन ने मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आइकॉन बनाया

बहुत ही रचनात्मक सोच के इंसान है अखिलेश पांडे

 
छत्तीसगढ़ में वैसे तो बहुत अभिनेता है परंतु इस अभिनेता की बात कुछ निराली है इस अभिनेता में कुछ तो खास है वह जिस भी प्रोजेक्ट से जुड़ते हैं वह प्रोजेक्ट विश्व स्तरीय हो जाता है जैसे कि उनकी पिछली बॉलीवुड फिल्म कठोर जिसने की लगातार आठ खेल में चलकर इतिहास रच दिया साथ ही फिल्म गिनीज बुक ऑफ  वल्र्ड रिकॉर्ड में भी जा रही है अखिलेश का काम करने का तरीका बहुत ही अलग है बहुत ही रचनात्मक सोच के इंसान है वह ना  केवल अच्छे कलाकार हैं बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं समाज को सदैव कुछ नया और अच्छा देने का प्रयास करते रहते हैं और उनकी इसी काबिलियत को देख कर प्रशासन के द्वारा उन्हें मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आइकॉन बनाया गया और उन्होंने अपनी छवि के अनुसार ही कार्य कर के दिखाया और इस कार्यक्रम को भी विश्व स्तर तक लेकर गए 1 दिन में 210000 से ज्यादा शपथ पत्र भरवा कर बिलासपुर जिला प्रशासन ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया है और इस कार्य का श्रेय अखिलेश कलेक्टर पी दयानंद को देते हैं अखिलेश ने मतदाताओं को जागरूक करने की ऐसी मुहिम छेड़ी की कोई भी वर्ग और समुदाय उनकी पहुंच से दूर नहीं रहा वह लगातार अलग-अलग वर्गों के बीच में पहुंचकर उनके ही वेशभूषा में उनके साथ मिलकर काम कर कर उन्हें जागरूक किए उनके इस तरीके को सभी जगह पर काफी पसंद किया जा रहा है और सभी वर्ग के लोग अपने आप को इस अभियान से जुड़ा महसूस कर रहे हैं अखिलेश का मानना है की वह लगातार समाज के लिए अच्छे कार्य करते रहेंगे और अपने छत्तीसगढ़ के नाम को विश्व पटल पर एक अलग रूप में स्थापित करने का प्रयास करेंगे इस अभियान के दौरान अखिलेश सफाई कर्मचारी कुली डॉक्टर वकील प्रोफेसर फौजी पुलिस किसान छात्र के रूप में अपने आप को उन्हीं की वेशभूषा में ढाल कर सभी लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया इस अभियान के अलावा अखिलेश छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए भी एक अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं जिससे कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को बढ़ावा मिल सके और यहां के कलाकार भी अपने प्रतिभा को विश्व स्तर पर प्रदर्शित कर सके अखिलेश ने बताया कि आइकॉन बनने के बाद उनका उद्देश्य शत प्रतिशत मतदान कराने का है जिससे कि लोक सही प्रत्याशी को चुने और लोगों को एक अच्छी सरकार मिल सके. छत्तीसगढ़ के एक ऐसे अभिनेता जिन के जुड़ते ही परियोजनाएं विश्व स्तरीय हो जाती हैं पिछले 2 महीने में उनके दो प्रोजेक्ट गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए गए हैं जिनमें से उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म कठोर जोकि लगातार आठ खेल में चल कर इतिहास रच दिया और फिल्म गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने के लिए गई है इसके अलावा मतदाता जागरूकता अभियान के आईकॉन बनने के बाद बिलासपुर जिला प्रशासन के द्वारा 210000 शपथ पत्र वोट डालने के लिए भराए गए और यह भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए गया हुआ है . 
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दर्जन भर फिल्में रिलीज न होने से आहत हैं अवार्डों के बादशाह डॉ. अजय सहाय

नायक, खलनायक, लेखक, निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कलाओं में पारंगत डॉ अजय मोहन सहाय इन दिनों अपने दर्जन भर फिल्मो के रिलीज ना होने से काफी आहत हैं फिर भी वे लगातार फिल्मे कर रहे हैं . व्यस्तता इतनी ज्यादा है कि उन्हें कई फिल्में छोडऩी पडी है. छत्तीसगढ़ी फिल्मों का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है । अवार्डों के बादशाह हम उन्हें यूं ही नहीं कहते। विभिन्न कलाओं और समाजसेवा में उनके नाम 150 से अधिक अवार्ड है. अभी हाल ही में उन्हें गुजरात में ग्लोबल डिग्नीटरी 4 अवार्ड और रायपुर में अखिल भरतीय कायस्थ महासभा द्वारा उत्कृष्ट सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया है. उन्होंने टीवी धारावाहिक सावधान इंडिया में भी काम किया है. सतीश जैन की हंस झन पगली फंस जाबे, प्रेम चन्द्राकर की लोरिक चंदा, जेठू साहू की सॉरी लव यू, गणेश मेहता की 4 फंटूश (हिंदी), राठौर निर्मित साउंड ऑफ वाटर (हिंदी) उनकी हालिया अभिनीत फिल्में है। हिन्दी धार्मिक फिल्म भक्त माँ कर्मा, अंधियार, कहर जैसी फिल्मों के प्रदर्शित होने का उन्हें ब्रेसब्री से इंतजार है।

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

दुनियाभर में धूम मचा रहे हैं नीरज की कहानी पर बनी धारावाहिक

0 मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी बेहद लोकप्रिय

-अरूण बंछोर

      बच्चे सुबह होते ही किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो वह है टीवी पर कार्टून चैनल। जिसमे मोटू-पतलू, शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसे कई धारावाहिक सीरियलें चलती है जो बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी काफी लोकप्रिय है. इसके लेखक है रायपुर के नीरज विक्रम जो इन दिनों मुम्बई में रहकर स्क्रिप्ट और कहानी लेखन का कार्य कर रहे हैं.लोकप्रियता इतनी है कि बाजार में पोस्टर व खिलौने तक मोटू-पतलू के नाम से बिकते हैं। 1975 के दशक में आई केतन पांडेय की कामिक्स मोटू-पतलू को टीवी के परदे तक रायपुर के नीरज विक्रम ने ही पहुंचाया। हाल अब ये है कि कार्टून सीरियल की दुनिया में मोटू-पतलू अपना परचम लहरा रहा है। चारों ओर बस मोटू-पतलू की बच्चों के बीच धूम दिखाई देती है।

नीरज विक्रम छत्तीसगढ़ी फिल्म महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी के तीन निर्माताओं में से एक हैं. इस फिल्म के मुहूर्त अवसर पर रायपुर के स्वपनिल स्टूडियो में उनसे मुलाक़ात हुई. 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिंन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म की कहानी लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से उन्होंने इंडोनेशिया में कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि कॉमिक्स की कहानी में थोड़ा बदलाव किया। इसमें इंपेक्टर चिंगम और डॉ. झटका का किरदार डाला, जो बच्चों से लेकर बड़ोंं को भी पसंद आ रहा है। वे बतातें हैं कि अपने सालों के कॅरियर में उन्होंने बच्चों से जुड़ी कहानियां ज्यादा लिखीं, ताकि उनके मनोरंजन में कमी ना आएं।

नीरज विक्रम को जानें 

छत्तीसगढ़ कॉलेज के लॉ के छात्र नीरज विक्रम ने वकालत का कोर्स करने के बाद फिल्मी दुनिया से लगाव के चलते वे रायपुर से मुंबई चले गए। वहां पहुंच कर उन्होंने कई कहानियां लिखी। इसमें शकालका बूम-बूम, सोनपरी जैसी बच्चों से जुड़ी कहानियां प्रमुख हैं। अत्यधिक सफलता मिली मोटू और पतलू से। वे 1995 से व्यावसायिक रूप से लिख रहे हैं और 30 से अधिक टीवी सीरियल, 3 हिन्दी फिल्म्स और 1 नेपाली फिल्म लिखी है। 7 से अधिक वर्षों से वे इंडोनेशिया के लिये कई धारावाहिक लिखे हैं। और अभी भी लिख रहे हैं.
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गायक से एक्टर बन धूम मचाया

0 हमर पारा तुंहर पारा फेम सुनील मानिकपुरी

         छत्तीसगढ़ी फिल्म आई लव यूं जिसने भी देखा होगा खलनायक सुनील मानिकपुरी की अदाकारी के कायल हो गए होंगे। सुनील मानिकपुरी वही है जिसने फिल्म में डराते धमकाते नजर आते हैं। इन्होने ही हमर पारा तुंहर पारा गीत को अपनी आवाजें दी है। सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड की यह एल्बम काफी चर्चित रहा है। वे बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें लोक कला और लोकसंगीत की ओर रुझान था.लोकगीत गाने की तमन्ना 15 साल  की उम्र से और ज्यादा बढऩे लगी और अपने लिखे हुए गीतों को ही रिकॉर्डिंग करने लगा। 

      छत्तीसगढ़ी गीत संगीत के कलाकार सुनील मानिकपुरी अपने लिए खुद ही गीत लिखते हैं और  देती हैं। इन्हे तराशने का काम किया मोहन सुंदरानी ने। हमर पारा तुंहर पारा उनका पहला ऑडियो विडियो एल्बम है जिसे सुंदरानी ने बाजार में लाकर चर्चित किया यही नहीं उनकी लगन देख उन्हें अपनी फिल्म आई लव यूं में काम दिया जिस पर वे खरे उतरे। सुनील बताते हैं कि हमर पारा तुंहर पारा एल्बम के हिट होने पर मुझे नाम और पहचान मिली उसके बाद विडियो वर्ल्ड ने मुझे मौका दिया। गीत और संगीत में मैंने बहुत मेहनत की और जब मुझे सुंदरानी विडियो वर्ल्ड की और से फिल्म में काम करने का मौका मिला तो खुद को मैं रोक नहीं पाया और इस मौके को खोना नहीं चाहता था।गायन में मै मास्टर सलीम जी को फॉलो करता हूँ ।जो कि पंजाब के रहने वाले और भारत के मशहूर गायक हैं उनके ही वीडियो देख कर कुछ सीखने की कोशिश करता हूँ। फिल्म आई लव यू में काम करना एक अलग अनुभव था ।मेरी पहली फिल्म और मेरे चारो ओर छत्तीसगढ़ी फिल्म के मंजे हुए कलाकार और निर्देशक निर्माता सारे लोग बहुत अनुभवी थे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला और बहुत मजा आया इस फिल्म में अपने किरदार को लेकर। मै अपने गीत संगीत और एक्टिंग में अपने आप को एकदम अलग देखना चाहता हूँ।और एक  खास बात मै जो भी रहूँ अपने राज्य के ही लिए रहूँ ।ताकि मैं जब भी कहीं बाहर या दूसरे राज्य जाऊँ तो लोग मुझे मेरे राज्य के नाम से जाने बस. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को कम प्रमोशन के बाद रिलिज किया जाता है। जिससे फिल्म लोगों तक पहुँच नहीं पाती। सरकार से मेरी अपेक्षा है कि हमारी कला और संस्कृति को और ज्यादा बहेतर मंचों में  प्रस्तुत करने का मौका प्रदान करे  । सुपर डुपर हिट फिल्म आई लव यू के एक गीत  'देख के टुरी तोर जवानीÓ को सुनील ने ही लिखा है ...  अपनी आवाजें भी दी है.जिसे सूरज महानंद ने संगीत संगीतबद्ध किया है.
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नेता-अफसरों ने भी आजमाई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में किस्मत

०  पद्मश्री अनुज शर्मा की कलम से

      राज्य निर्माण के बाद एक समां बंधा और हर कोई छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जुडऩा चाहता था। दोनों प्रमुख पार्टियों-भाजपा कांग्रेस के नेता, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अफसरान, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी सभी वर्ग के लोगों की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में सहभागिता रही। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मधुकर कदम की फिल्म 'मोर सपना के राजा में अभिनय किया था। उन्हें एक दृश्य में भाषण देते हुए फिल्माया गया था। उसी दौर में उनके मंत्री परिषद के सदस्य व वर्तमान में अभनपुर से विधायक धनेन्द्र साहू ने फिल्म 'तुलसी चौरा में अभिनय किया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की झलक ईरा फिल्म्स की 'अजब जिनगी गजब जिनगी फिल्म में दर्शकों को मिली थी। भाजपा नेता व पूर्व संसदीय सचिव विजय बघेल ने फिल्म 'माटी के लाल में नायक सुनील तिवारी के साथ व 'मोर मन के मीत फिल्म में अनुज शर्मा के पिता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ज्योत्सना महंत ने प्रस्तुत किया 'महतारी

      रायपुर शहर उत्तर के विधायक श्रीचंद सुन्दरानी ने फिल्म निर्माण के साथ ही साथ अभिनय भी किया। पूर्व सांसद चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत ने छत्तीसगढ़ महतारी फिल्म को प्रस्तुत किया था, जिसके निर्माता पुष्पेन्द्र सिंह थे। परिवार की बात करें तो एक रोचक बात छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी फिल्मों के सशक्त अभिनेता रजनीश झांजी के परिवार से जुड़ी हुई है। उनकी माता संतोष झांजी, पत्नी मिनी झांजी और पुत्र लक्षित झांजी ने एक साथ एक ही फिल्म 'झन भूलव मां-बाप ला में काम किया था। 

परेश ने अभिनय भी किया

पूर्व विधायक परेश बागबाहरा ने 'भोला छत्तीसगढिय़ा फिल्म का निर्माण-निर्देशन के साथ-साथ उसमें अभिनय भी किया था। इससे पूर्व भी परेश सनी देओल अभिनीत फिल्म गुनाह का निर्माण कर चुके हैं। वहीं बालोद के पूर्व विधायक स्व. लोकेन्द्र यादव ने 'मयारू भौजी और मनोज वर्मा निर्देशित फिल्म 'बैर में काम किया था। दुर्ग नगर निगम के पूर्व सभापति डोमार सिंग वर्मा ने एक हिंदी फिल्म और एक छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मोर धरती मंईया का निर्माण किया था। छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के अनुज योगेश अग्रवाल की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में सक्रियता सभी जानते हैं।

शशि मोहन रहे सक्रिय, राकेश चतुर्वेदी ने की सरपंची

     पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी राजीव श्रीवास्तव ने फिल्म 'अंगना में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। वर्तमान में राजनांदगांव में पदस्थ पुलिस अधिकारी शशि मोहन सिंह ने 2 वर्ष का अवकाश लेकर यह पूरा समय फिल्मों को दिया। मया दे दे मयारू, माटी के लाल, बैरी के मया जैसी फिल्मों के साथ भोजपुरी फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया।
    रंगमंच पर भी शशि मोहन सक्रिय दिखाई देते हैं। निर्देशक क्षमानिधि मिश्रा की फिल्म में वर्तमान में संस्कृति संचालक राकेश चतुर्वेदी ने सरपंच की भूमिका निभाई थी। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलसचिव रह चुके प्रशासनिक अधिकारी पी.आर. उरांव ने भी फिल्म का निर्माण, निर्देशन और अभिनय किया था। छत्तीसगढ़ के सफल डॉक्टर अजय सहाय छत्तीसगढ़ी फिल्मों में लगातार नजर आते हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लगभग सभी निर्देशकों ने कहीं न कहीं अभिनय भी किया है। ऐसा है छत्तीसगढ़ी सिनेमा का जादू, जो हर किसी को अपना बना लेता है और खुद उसका हो जाता है।

नत्था को छॉलीवुड में नहीं मिली सफलता
     बहुत से ऐसे कलाकार जो छत्तीसगढ़ से मुंबई गए थे, उन्होंने भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों में किस्मत आजमाई, जिनमें संजय बत्रा, ओमी शर्मा, शाहनवाज, शंकर सचदेव, श्याम चावला शामिल हैं। संजय बत्रा को 'परदेसी के मया और 'मया दे दे मयारू के जरिए सफलता मिली। प्रसिद्ध कला निर्देशक जयंत देशमुख ने फिल्म 'मोर छंइहा भुईयां में एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। नत्था के नाम से पूरे देश में लोकप्रिय हुए ओंकार दास मानिकपुरी को छत्तीसगढ़ी फिल्म किस्मत के खेल में भी सफलता नहीं मिली। गायिका ममता चंद्राकर बहुत सी फिल्मों में अपने गीत गाते हुए दिखाई देती हैं तो कहीं दुकालू यादव।
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प्रेम अमर हे के चुलबुले किशन गुलशन साहू


       बिलासपुर पॉलिटेक्निक की पढ़ाई पूरी कर गुलशन साहू कब एक्टिंग की राह में आ गए उन्हें भी खुद पता नही चला नियति इसे ही कहते है भक्त माँ कर्मा (हिंदी फिल्म)में वो मुख्य किरदार का रोल कर रहे थे इसी बीच शूटिंग के दौरान डायरेक्टर सुनील सागर फिल्म के यूनिट से मिलने आये हुए थे तब उनसे मुलाकात हुई और एक महिने बाद उनका फोन आया और कहा की एक करेक्टर है। जिसे आपको करना है और गुलशन ने कहा मैंने तुरंत हामी भर दी।

     बाद में पता चला की ये फिल्म के मुख्य भूमिका में से 1 हीरो का रोल है। इसमें मैं दीवाना36 गढिय़ा के हीरो केशव् वैष्णव(अमर) के छोटे भाई (किशन) का रोल कर रहा हु जो कॉलेज गोइंग नटखट चुलबुला और अपने परिवार (ललित उपाध्याय जी,और उपासना वैष्णवजी मेरे माँ बाप के रोल में है)को दिलोजान से चाहने वाला बंदा है किशन की एक प्रेमिका(पूजा देवांगन)भी है जिससे वो शादी करना चाहता है पर एक घटना के बाद पूरे परिवार की खुशियाँ मातम में बदल जाती है . किशन के रोल में मुझे सुनील सागर जी ने अलग अलग एक्सप्रेशन के डायलॉग और एक्टिंग के गुर बताये जोकि भविष्य में मेरे बहुत काम आने वाले है मेरा बस यही मानना है कि समर्पण के साथ अपने किरदार को निभाने से दर्शको का आशीर्वाद जरूर मिलता है इस फिल्म के संवाद गाने और कहानी अलग ही अंदाज में पेश करने की कोशिश डायरेक्टर सुनील सागर जी ने बहूत मेहनत और लगन से की है जिसे दर्शक अवश्य पसंद करेंगे, आप सबके आशीर्वाद से दिग्गज डायरेक्टर प्रेम चन्द्राकर जी की फिल्म (लोरिक चंदा )और हरीश नागदौने सर के डायरेक्शन की फिल्म(अंगार )मे भी मैं मुख्य भूमिका में दिखूंगा,इसके अलावा 2फिल्मे भी मेरी मुख्य अभिनेता के तौर पर आने वाली है प्रेम अमर हे मेरी पहली मुख्य भूमिका वाली फिल्म होगी इससे पहले मैंने कुछ फिल्मो में चरित्र अभिनेता का संक्षिप्त रोल निभाया है आशा करता हु दर्शको को मेरा ये किशन का रोल पसंद आयेगा मैं शानदार निर्माता और समाजसेवी बहुमुखी प्रतिभा के धनी जेठू साहूजी और डायरेक्टर सुनील सागर जी का दिल से आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी फिल्मों में मौका दिया.

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

छॉलीवुड में ही काम करते रहने की तमन्ना है


लेजली को भा गया छत्तीसगढ़
बॉलीवुड अभिनेत्री लेजली त्रिपाठी आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उनकी छालीवुड में शानदार एंट्री हुई है.उनकी पहली फिल्म रंगरसिया सुपरहिट रही और दूसरी फिल्म रंगोबती की शूटिंग चल रही है. लेजली के लिए सबसे अच्छी बात यह रही है कि उनकी दोनों फिल्म के नायक सुपर स्टार अनुज शर्मा हैं.
लेजली ने कभी असफलता नहीं देखी है या हम यह कह सकतें कि सफलता का ही नाम है लेजली त्रिपाठी है.वे बताती है कि उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। उन्होंने खुद से एक्टिंग सीखा है। उनका कोई रोल मॉडल भी नहीं है। छालीवुड में उनके आदर्श और प्रेरणाश्रोत है पुष्पेंद्र सिंह, जिनकी बदौलत लेजली आज इस इंडस्ट्री में कदम रखी है.दूरदर्शन की धारावाहिक एकलव्य में पुष्पेंद्र सिंह लेजली के पिता की भूमिका में थे. ये रिश्ता आज भी जीवित है. लेजली बताती है कि ये रिश्ता अटूट है। मै उन्हें अब भी बाबूजी कहती हूँ.वे मेरे सदा ही पितातुल्य रहेंगे। पुष्पेंद्र सिंह ने रंगरसिया में उन्हें आजमाया और दर्शकों ने उनका अभिनय को खूब सराहा। अब उनके ही निर्देशन में फिल्म रंगोबती कर रही है.इसी फिल्म की शूटिंग में हमारी मुलाक़ात लेजली से हुई। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, यहां के लोग, रहन सहन मुझे बहुत अच्छे लगे. छत्तीसगढ़ इतना भा गया है कि छालीवुड में ही रहकर काम करना चाहूंगी। बाबूजी ने मुझे यहां लाकर मेरे लिए उन्नति के द्वार खोले हैं मैं उनका हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी। अशोक तिवारी जी का भी शुक्रगुजार जो बेहतरीन फिल्म का निर्माण करते हैं.अनुज जी, अशोक जी और पुष्पेंद्र जी के साथ काम करना एक अच्छा अनुभव रहा है.फिल्म रंगोबती पारिवारिक और कॉमेडी फिल्म है. सेट पर भी हम हंसी मजाक करते रहते हैं.लेजली बताती है कि फिल्म रंगोबती की शूटिंग में बहुत अच्छा और नया नया अनुभव हुआ है.ऐसा लगता है कि हम एक परिवार हैं. उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। वे बताती है कि जब मै छोटी थी तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन और दृढ़ इच्छा हो तो कोइ भी काम असंभव नहीं होता। मैंने लक्ष्य लेकर चला और आज आपके सामने हूँ. मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मॉडलिंग और पत्रकारिता से कॅरियर से शुरुवात की थी और मेरी पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म रंगरसिया है जो बड़े परदे पर खूब चली जिससे मै उत्साहित हुई हूँ। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। लेजली कहती है कि़ छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अब लगातार छत्तीसगढ़ी फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है।
लेजली एक अभिनेत्री के अलावा मॉडल, पत्रकार, ब्लॉगर , महिला अधिकारों के लिए अधिवक्ता , महानदी सुरक्षा योजना के लिए युवा राजदूत,  विश्वभर में बच्चों को शिक्षित करने के सशक्तीकरण के लिए एकसां गुरुकुल का चेहरा, सेवा फाउंडेशन की कर्ताधर्ता, अनंत साहित्य पत्रिका,  लिंग संवेदनशीलता टी-शर्ट्स, आशा किरण और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित दुनिया के मुद्दों और क्रिया केंद्रों के लिए भारतीय युवा राजदूत हैं। वे पुस्तक "एज़ आई एम ए गर्ल" की लेखिका एवं पॉसीई इंडिया इंटरनेशनल के संपादक भी हैं। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सहित 8 गवर्नर पुरस्कार और राज्य राजीव गांधी समन, मजेदार फियरलेस महिला पुरस्कार, कला, सार्वजनिक सेवा, सिनेमा और संस्कृति और सक्रियता में योगदान के लिए यूथ आइकन पुरस्कार से भी उन्हें नवाजा जा चुका है.

संदेशों का खजाना है फिल्म टूरा चायवाला

- अरुण कुमार बंछोर
      
छॉलीवुड का संघर्ष 18 सालों का है.इस दौरान करीब 283 फि़ल्में बनी.पर उनमे एक भी फिल्मे ऐसी नहीं है जिसे हम संदेशात्मक फिल्म का नाम दे सके. छत्तीसगढ़ में पहली बार एक ऐसी फिल्म आ रही है जिसे हम संदेशात्मक, एक्शन, कॉमेडी से भरा सम्पूर्ण फिल्म कह सकतें हैं और वह फिल्म है   टूरा चायवाला . राजेश अवस्थी प्रोडक्शन हाउस की इस फिल्म में वह सब कुछ है जो दर्शकों की जरूरतों को पूरा करता है. दर्शकों के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सन्देश है तो समाज में गरीबों का कैसे उत्थान करें उन्हें कैसे प्राथमिकता दें उसे भी बखूबी बताया गया है.स्वच्छता का सन्देश भी इस फिल्म में है. राजेश अवस्थी ने कलाकारों का चयन भी पात्र के हिसाब से ही किया है जिससे फिल्म काफी अच्छी बन पडी है.हर कलाकार ने अपने अभिनय के साथ न्याय ही किया है. ये अच्छे निर्देशन को साबित करता है.
       राजेश अवस्थी ने बताया कि यह एक ऐसी संस्पेंस फिल्म है जिसकी कहानी कोइ भी बताने के बजाय यह कहना चाहेगा कि आप एक बार फिल्म जरूर देखें तो बेहतर होगा। स्टार कलाकारों से सजी इस फिल्म के नायक राजेश अवस्थी हैं तो नायिका है बॉलीवुड की तेजल चौधरी। पुष्पांजली शर्मा, संजय बत्रा, उर्वशी साहू ,कॉमेडी किंग बोचकू, डॉ अजय सहाय, राजू नागरची, ज्योति वैष्णव, रजनीश झांझी ,निशांत उपाध्याय , ज्योति कश्यप, अरुण बंछोर, केशर सोनकर, संजू यादव, अनिल शर्मा आदि कलाकारों ने अपने अभिनय का जलवा बिखेरा है. फिल्म के टायटल के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। अभिनेता ,निर्देशक राजेश अवस्थी ने बताया कि चलते फिरते फिल्म बनाने का प्लान किया था.फिर टाइटल की बात आई तब हमने सोचा कि टाइटल ऐसा हो जो आम दर्शक को सीधे जोड़े। चायवाला देश विदेश में प्रसिद्ध है इसलिए हमने टूरा चायवाला शीर्षक को अंतिम रूप दे दिया और टाइटल रिलीज होने से पहले ही काफी चर्चित हो गयी है. सुनील सोनी की संगीत है। आवाजें दी है खुद सुनील सोनी ने, राजेश अवस्थी ने और अलका (चंद्राकर) परगनिहा ने.


मेरी नजर में राजेश अवस्थी
कई टीवी धारावाहिको में अपनी भूमिका में जान डालने वाले राजेश अवस्थी आज फिल्मी दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। एल्बम और शॉर्ट फिल्मों से करियर शुरू करने वाले राजेश के नाम आज कई छत्तीसगढ़ी,भोजपुरी फि़ल्में और टीवी धारावाहिक है। बनू मैं तेरी दुल्हन सहित छोटे पर्दे के कई सीरियल्स में दमदार भूमिका निभा चुके हैं। बचपन में कलाकारों की नक़ल करने वाला राजेश अवस्थी आज फि़ल्मी दुनिया का एक जाना पहचाना नाम है। राजेश अवस्थी जितने बड़े अभिनेता है उतने ही अच्छे निर्देशक ,सिंगर और डांसर भी हैं। उनकी आवाज में गजब का जादू है। उन्होंने कई फिल्में की है जिसमें उनकी भोजपुरी फिल्में काफी सुपर डुपर रही है। वे कहते हैं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, मैंने संघर्ष किया इसलिए यहां तक पहुंच सका। उनकी माँ उमरलेखा अवस्थी ही उनकी प्रेरणाश्रोत है। जब उनकी भोजपुरी फिल्म धुरंधर को 6 अवार्ड मिले तो वही उनका सबसे सुखद क्षण था। इस फिल्म में उन्होंने रविकिशन के साथ काम किया है।

आई लव यू के बाद अब दिखेंगी रंगोबती में


कम समय में ही छॉलीवुड में छाई
निशा चौबे
१३ साल की छोटी सी उमर में अपने नृत्य कला की शुरुवात करने वाली निशा चौबे अब फिल्मो में धमाल मचा रही है। बहुत ही काम समय में कई फिल्मोइ कर छालीवुड में छा गयी है। अपनी कला का उन्होंने लोहा तो मनवा ही लिया है. सुपर हिट फिल्म आई लव यूं के बाद अब रंगोबती में दिखेंगी। इस समय उनके पास कई फिल्मे हैं. छालीवुड स्टारडम ने उन्हें छत्तीसगढ़ की माधुरी का नाम दिया है। खूबसूरत निशा का अभिनय भी उतनी ही खूबसूरत है।

निशा अभिनेत्री के अलावा सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशन की बेमेतरा जिला अध्यक्ष एवं भाजपा नारी शक्ति विंग की संयोजिका है. इसके बावजूद वे फिल्मो के लिए समय निकाल ही लेती है। ग्लैमर लुक निशा कहती है कि फिल्मो में भी है बेहतर कॅरियर है और वे फिल्म को ही अपना कॅरियर बनाएगी।छत्तीसगढ़ी फिल्मो में कॅरियर नहीं है कहने वालों को निशा बेहतर जवाब देती है वे कहती है कि काम अच्छा हो तो हर क्षेत्र में कॅरियर बनता है.प्रतिभा को अवसर मिले तो सोने पे सुहागा हो जाता है ऐसी है छालीवुड की नई अभिनेत्री के रूप  में अपने अभिनय का सफर शुरू करने वाली निशा चौबे। निशा लोकमंच के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है. ऑडियो वीडियो एल्बम में काफी नाम कमाया है.१३ वर्ष की उम्र से अपने नृत्य कला की शुरुवात करने वाली निशा का नृत्य में अपना ही छाप है नृत्य में अगर सही अवसर मिले तो हरियाणा की सपना चौधरी से कम नहीं है गायन में भी अपनी जगह बना चुकी है साथ ही अपने लोकमंच का संचालन भी सफलतापूर्वक कर रही है.संघर्ष कला को निखारता है निशा ने अपने कला को बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया है.भविष्य में छलीवुड में एक चर्चित और सफल नाम होगा निशा चौबे का। उनमे प्रतिभा कूट कूट कर भरी हुई है निशा छत्तीसगढ़ी के साथ भोजपुरी फिल्म में भी अपना जलवा दिखाई  है इनकी फिल्म बार्डर (भोजपुरी) रिलीज हो गयी है जबकि सॉरी आईं लव यू  सौत सौत के झगरा आने वाली फिल्म है। अभी हाल ही में निशा ने फिल्म रंगोबती में अपना शूट पूरा कर लौटी है।

बुधवार, 5 सितंबर 2018

हर किरदार में जान फूंकता कलाकार.= डॉ अजय सहाय

       डॉ सहाय एक ऐसे समर्पित व प्रतिभा वान कलाकार है जिन्हें प्रोड्यूसर व डायरेक्टर स्क्रिप्ट सौंपकर भूल जाते है। रोल चाहे छोटा हो या बड़ा उसे वो यादगार बना देते हैं। डीडी किसान नैशनल चैनल के लिए उनके द्वारा बनाये गये धारावाहिक ने राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2015 में निर्मित यह धारावाहिक शौचालय की समस्या पर   आधारित था।विदित हो कि एक अंतराल के बाद आई हिंदी फीचर फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा की विषयवस्तु भी यही थी। उनका यह सीरियल  राष्ट्रीय व विभिन्न राज्यों की टीवी चैनल्स द्वारा बारम्बार प्रसारित हुआ। अजय सहाय ने पटकथा लेखन व निर्देशन के क्षेत्र में भी अपनी तूती बजा दी है। जनवरी 2018 में विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा रायपुर में आयोजित शार्ट फि़ल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म "कैसे बताऊ"  को सर्वश्रेष्ठ फि़ल्म का खिताब मिला। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कर कमलों द्वारा उनके एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया। साथ ही बेटी बचाओ विषय पर उनके द्वारा बनाई गई दूसरी शार्ट फि़ल्म नन्ही परी में श्रेष्ठ अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसी फि़ल्म की बाल कलाकार बेबी यास्मीन को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। विदित हो कि इस फेस्टिवल में 55 देशों से लगभग 500 शॉर्ट फिल्मों ने अपनी फि़ल्मे प्रस्तुत की थी।सिर्फ 30 फिल्मों को पब्लिक स्क्रीनिंग के लिए रखा गया था जिसमे अजय सहाय की तीसरी फि़ल्म ज़ख्म को भी चयनित किया गया था। यू तो डॉ अजय सहाय हर क्षेत्र में सैकड़ों क्षेत्रीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके हैं लेकिन उन्होंने एक ही वर्ष में दादा साहेब फाल्के एकेडेमी अवार्ड व दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवार्ड जैसे दो पुरस्कार प्राप्त कर के एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी लगभग एक दर्जन फि़ल्मे प्रदर्शन हेतु तैयार है।
ऐसे हैं डॉ सहाय
       नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है डॉ अजय मोहन सहाय में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। पांच भाषाओं में अभिनय करना भी एक रिकार्ड है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। डॉ सहाय को कला विरासत में मिली है। माँ से कला मिली है तो पिता से शिक्षा। छालीवुड में डॉ सहाय एक ऐसे नायक खलनायक लेखक ,निर्देशक है जिन्होंने फिल्म उद्योग पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनके स्वाभाविक अभिनय और प्रतिभा की पराकाष्ठा ही थी कि लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं। 

फोटोग्राफी के शौक ने डीओपी बनाया - संतोष सोनू

छालीवुड के जाने माने डीओपी संतोष सोनू का कहना है कि फोटोग्राफी के शौक ने मुझे डीओपी बनाया। पुरे छत्तीसगढ़ में मै अकेला कैमरामेन हूँ जिन्होंने डीओपी की पढ़ाई की है. जो लाइट को कैप्चर कर सके वही असली फोटोग्राफर होता है और इसे वही कर सकता है जिसे फोटोग्राफी का सम्पूर्ण ज्ञान हो।  संतोष सोनू वह पगोटोग्राफर है जिन्होंने मुम्बई से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड में बड़ी बड़ी कंपनियों में डीओपी का काम सम्हाल चुके हैं.निम्बस,  सीरीज, बालाजी टेली फिल्म्स  का लोहा मनवा चुके हैं. दस साल पहले वे रायपुर आये और यहां रम गए. उन्होंने 52 फिल्मे शूट की है जिनमे दो फिल्मे राजा भैया एक आवारा और प्रेम के बांधना अभी आने वाली है. दोनों ही फिल्मे अनुज शर्मा अभिनीत है. संतोष सोनू को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था. इसी शौक के चलते उन्होंने डीओपी की पढ़ाई की. उनका कहना है कि कैमरा तो कई भी चला सकता है 360 एंगल देख सकता है लेकिन जो 361 वां एंगल देख सके वही असली कैमरामेन है.लिखने को तो यहां सभी डीओपी लिखतें हैं लेकिन मेरा दावा है यहां एक भी कैमरामेन ऐसा नहीं है जो डीओपी का कोर्स किया हो.उनका मानना है कि छालीवुड की स म्भावनाये बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है। क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है ज्ञान की कमी है। दूसरी ओर लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। संतोष का कहना है कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। अपने ख्वाहिश के बारे में उनका कहना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। मै चाहता हूँ कि लोग मुझे बेस्ट कैमरामेन के रूप में जानें।

स्टार कलाकारों से सजी है फिल्म " आई लव यू "

सुनील मानिकपुरी के रूप में छालीवुड को मिला नया खलनायक
         फिल्म कम बजट की हो और उसमे सारे स्टार कलाकार हो ऐसा कम ही होता है , लेकिन यह बिलकुल सच है. छालीवुड के लोकप्रिय कलाकार मोहन सुंदरानी की फिल्म फिल्म " आई लव यू " में कुछ ऐसा ही है. निर्माता लखी सुंदरानी है जिन्होंने कई हिट फि़ल्में छालीवुड को दी है.निर्देशक उत्तम तिवारी ने लोरिक चन्दा, मितान 420, मया के चि_ी, सरपंच, रिकार्ड ब्रेक राजा छत्तीसगढिय़ा जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है.फिल्म " आई लव यू " के छायाकार है तोरण राजपूत जिनकी गिनती श्रेष्ठ छायाकारों में होती है.छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय ने इस फिल्म में भी नृत्य निर्देशन की जिम्मेदारी निभाई है.अब कलाकारों की बात करें तो बीए फर्स्ट ईयर की सुपर हिट जोड़ी मन कुरैशी और मुस्कान साहू एक बार फिर साथ नजर आएंगे। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीत चुकी अनिकृति चौहान भी इस फिल्म में नायिका की भूमिका में है. इनके अलावा छत्तीसगढ़ के स्टार कलाकार प्रदीप शर्मा, आशीष शेंद्रे ,उपासना वैष्णव, उर्वशी साहू,पुष्पेंद्र सिंह, संगीता निषाद, निशा चौबे, मनीषा वर्मा जैसे कलाकारों से फिल्म सजी हुई है. ये सारे कलाकार श्रेष्ठ हैं. छत्तीसगढ़ के अच्छे गायकों में शुमार सुनील मानिकपुरी जिनके गाने हमर पारा तुंहर पारा ने देश भर में इन्हे नई पहचान दी है. एक करोड़ लोगो ने ये गाने यूं ट्यूब पर लाइक किये हैं.चुरकी मुरकी के नाम से प्रसिद्द उपासना वैष्णव और उर्वशी साहू की कॉमेडी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करेगी और उसका साथ देंगे मशहूर कॉमेडियन हेमलाल। श्री मोहन सुंदरानी ने इस फिल्म में अपनी पोती सानवी सुंदरानी को मौका दिया है.जो दर्शकों को पसंद आएगा। फिल्म " आई लव यू " की खासियत यह है कि बहुत कम बजट में बहुत अच्छी स्टारकास्ट फिल्म बनी है.फिल्म की पूरी शूटिंग कांकेर की हसीनवादियों में हुई है. फिल्म ग्रामीण परिवेश से ओतप्रोत है.जंगली जानवरों के साये में फिल्म की शूटिंग की गयी है.अब इस फिल्म का दर्शक बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं. खबर के मुताबिक़ यह फिल्म जुलाई के अंत में या फिर अगस्त के प्रथम सप्ताह में रिलीज होगी।
छत्तीसगढ के भीष्म पितामह
         छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह एवं गुलशन कुमार के नाम से मशहूर मोहनचंद सुंदरानी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। छत्तीसगढ़ के कलाकारों को खोज-खोजकर तराशना और आगे बढ़ाना उनके जीवन का मकसद है। वे कहते हैं कि छोटे-छोटे कलाकारों को आगे बढ़ाने में उन्हें एक सुखद अनुभूति का एहसास होता है। आज भी वे गांव-गांव, गली-गली में कलाकारों की तलाश में भटकते रहते हैं। उन्हें मंच देते है उनका उत्साह बढ़ाते है। इसी कड़ी में मोहन सुंदरानी ने 2006, 10 अगस्त से 2008 दिसम्बर तक लगभग 6000 गांवों से अधिक गांवों में लोक कलाकार रथयात्रा का आयोजन कर भ्रमण किया। सुंदरानी हमेशा गरीब व जरुरत मंद लोक कलाकारों की समय-समय पर आर्थिक मदद करने में भी कभी संकोच नहीं करते।

कॉमेडी किंग 'हेमलाल कौशल ' की झलक है सबसे अलग

दर्शकों को हंसाते रहेंगे नाट्यकला के बेस्ट एक्टर 
छालीवुड के कॉमेडी किंग हेमलाल कौशल  परिचय के मोहताज नहीं है फिर भी उनकी तमन्ना कॉमेडी में और नाम कमाने की है. हेमलाल फिल्मो और रंगमंच के जरिये दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहे हैं. उनकी दृढ़ इच्छा इसी तरह लोगों को हंसाते रहने की है.उन्हें सतीश जैन की फिल्म टूरा रिक्शावाला में पहचान मिली उसके बाद
हेमलाल कौशल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर आगे बढ़ते गए.वे जितने अच्छे कॉमेडियन है उतने ही अच्छे मिलनसार इंसान भी है.आई लव यू फिल्म देखते समय उनसे मुलाक़ात हुई तो उन्होंने बड़े गर्मजोशी से पूछा भैया कैसे लगा मेरा काम. उनसे मिलकर बहुत खुशी हुई क्योकि उन्हें मैं कॉमेडी करते हुए देखा था.हेमलाल को छालीवुड में विशेष प्रकार से हास्य अभिनय में महारत हासिल है.उनकी इसी खासियत ने उन्हें स्टेज शो करने का मौका दिया। हेमलाल ने छोटी बड़ी फिल्म मिलाकर करीब सौ से अधिक फिल्मो में अभिनय किया है.पर उन्हें टुरा रिक्शा वाला फि़ल्म से पहचान मिली। उन्होंने अपनी कला यात्रा की शुरुवात स्कूल जीवन से ही कर लिया था. शिवकुमार दीपक उनके गुरु है और कमलनरायन सिन्हा  प्रेरणा स्रोत रहे हैं.सोनहा बिहान नामक छत्तीसगढ़ी संस्था से से उन्होंने इस  क्षेत्र में कदम रखा जिसके संचालक दाउ महासिंघ चन्द्राकर जी थे. हेमलाल सरकार से बेहद निराश है उन्हें अब छालीवुड को मदद की जऱा भी सरकार से आस नहीं है.वे कहते हैं कि जहाँ उम्मीद न हो वहाँ क्या उम्मीद कर सकते हैं. उन्होंने एक मुलाक़ात में बताया कि मैं अभी हिन्दी रंगमंच भी काम कर रहा हूँ। मुझे शिमला में मुंशी प्रेमचंद की कहानी शवा सेर गेहू नामक नाटक में बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला है और मैं लगातार लोकमंच हिन्दिरंग मंच,  छत्तीसगढ़ी फि़ल्म और भोजपुरी फि़ल्म कर रहा हूँ.मैं अभी श्रीमती कविता वासनिक अनुराग धारा के स्टेज में कार्यक्रम दे रहा हूँ. कॉमेडी में कुछ बड़ा करना चाहता हूँ.

राजू पांडे को हर भूमिका पसंद है

छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं 
छत्तीसगढ़ के कलाकार राजू पांडे अब छालीवुड को ही अपनी जिंदगी मानते हैं। आठ फिल्मो में अपनी किस्मत आजमा चुके राजू को माटी मोर मितान फिल्म में ब्रेक मिला उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा और आगे बढ़ते गए। राजू पांडे को अपनी नई फिल्म रंगोबती से बहुत उम्मीद है। वे कहते हैं कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। छालीवुड की संभावनाएं अच्छी है पर फिल्मे अच्छी नहीं बन रही है। राजू को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करते थे फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब उसे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है? के जवाब में राजू का कहना है कि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए। प्रोड्यूसरों को इस और ध्यान देने की जरुरत है।राजू का कोइ रोल मॉडल नहीं है। नाटकों में भाग लेने के बाद लोगो ने उनका अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया।  हैं कि शुरू से ही मै एक्टिंग को साइड कॅरियर बनाने की सोचकर चला हूँ। अब इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। उन्हें हर तरह की भूमिका पसंद है लेकिन निगेटिव रोल ज्यादा पसंद है।उनका कहना कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।

डेढ़ होशियार जल्द ही सिनिमेघरों में

शिक्षा व्यवस्था पर आधारित कॉमेडी फि़ल्म
राजू दिलवाला की सफलता के बाद प्रकाश अवस्थी कृत फि़ल्म डेढ़ होशियार जल्द ही नज़दीकी सिनिमेघरों में रिलीज होगी। फि़ल्म की शूटिंग कवर्धा, रायपुर जैसी जगहों पर किया गया है। शिक्षा व्यवस्था पर आधारित ये फि़ल्म कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा और सामाजिक, शैक्षिक संदेश लिए हुए है। फि़ल्म के कुछ गानों की शूटिंग जारी है। फि़ल्म में छालीवुड के कई कलाकार नजऱ आएंगे। प्रकाश अवस्थी के साथ नैनी तिवारी, पूरन, उपासना वैष्णव, प्रदीप शर्मा, देव यादव, राजेश जैसे कई कलाकार नजऱ आएंगे। शिक्षा व्यवस्था पर आधारित इस फि़ल्म में हर प्रकार का टेस्ट पब्लिक को मिलने वाला है। पहले भी प्रकाश अवस्थी ने कई सफ़ल फि़ल्मे छालीवुड को दी हैं। आगे भी निरंतर अच्छी फिल्में बनाने की कोशिश प्रकाश अवस्थी लगातार कर रहें हैं। डेढ़ होशियार के बाद और एक नई फिल्म की प्लांनिंग प्रकाश अवस्थी नें कर ली है। डेढ़ होशियार से फि़ल्म के सभी कलाकारों को काफ़ी उम्मीद है फि़ल्म जरूर लोगों को जरूर पसंद आएगी।आईये हम नायक और नायिका के बारे में थोड़ा बता दें. नायक प्रकाश अवस्थी श्रेय जी की फिल्म चिंगारी के जरिये फिल्मो में आये थे। उन्होंने उनका काम कई फिल्मो में देखा था उन्होंने ऑफर दिया और प्रकाश काम शुरू कर दिया । उन्होंने चिंगारी की शूटिंग ख़त्म ही किया था तभी केडी ने उन्हें टिपटॉप लैला अंगूठा छाप छैला के लिए ऑफर दिया। इस तरह भोजपुरी फिल्मो में एंट्री हुई। मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म डेढ़ होशियार का निर्माण कर रिलीज की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं। नैनी तिवारी एक उभरती सितारा है किसी एक इंसान में बहुत सारे गुण हो ऐसे बिरले लोग ही मिलते हैं। जी हाँ यही गुण है नंदिनी तिवारी नैनी में। वे एक शिक्षिका होने के साथ साथ कवयित्री, लेखिका, एक्ट्रेस, एंकर और डांस कोरियोग्राफर भी है। नैनी की तमन्ना फिल्मो में धूम मचाने की है।

बिलास राउत की कला दिखती है "आई लव यूं " में

फिल्म की सफलता में जितनी भूमिका कलाकारों की होती है उतनी ही भूमिका उन लोगों की होती है जो परदे के
पीछे काम करते हैं.उन्ही में से एक हैं बिलास राउत। जिनमे कई कला कूट कूट कर भरा हुआ है. वे एक अच्छे मेकअप मेन है तो एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर भी है.इतना ही नहीं बिलास राउत उतने ही अच्छे कोरियोग्राफर भी है.अभी हालिया रिलीज फिल्म आई लव यूं में बिलास राउत की कला दिखती है. फिल्म की सफलता में उनका भी उतना ही योगदान है.जितना निर्माता निर्देशक से लेकर कलाकारों का है. बिलास राउत इस फिल्म में कॉस्ट्यूम डिजाइनर का काम किया है. एक एक कलाकार का कॉस्ट्यूम खुद से तैयार करवाया है. फिल्म में सारे कलाकारों का ड्रेस शानदार है. अभिनेत्री अनिकृति चौहान के कॉस्ट्यूम ने दर्शकों को आकर्षित किया है.उस ड्रेस में अनिकृति की व्यक्तित्व में निखार आया है. बिलास राउत बतातें है कि उन्होंने निर्माता से साफ़ कह दिया था कि कॉस्ट्यूम के मामले में कोइ समझौता नहीं करूंगा। निर्माता ने उनकी बात मानी और आज फिल्म में कॉस्ट्यूम इस साल की अब तक की सभी फिल्मो से बेहतर है.फिल्म में मेकअपमैन भी बिलास राउत ही थे. शानदार मेकअप ने फिल्म कलाकारों के चेहरों को ग्लैमरस बनाया है। अन्नी फिल्म में अपने खास मेकअप के चलते काफी सुन्दर और आकर्षक लग रही हैं। यूं तो हम सबको मालूम है फिल्मी दुनिया में एक्टर्स की शक्ल सूरत को खास और बेहतरीन बनाने के लिए मेकअप का जमकर यूज़ होता है। लेकिन इस फिल्म में बिलास राउत ने शानदार , सहज और सरल मेकअप किया है.इसके अलावा बिलास राउत इस फिल्म में दो गानों में कोरियोग्राफर का दायित्व भी निभाया है.कुल मिलाकर बिलास राउत बहुप्रतिभा के धनि कलाकार है.

फिर एक फिल्म की तैयारी में जुटे अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस


भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी फिल्म तहलका मोर नाव के बना चुके अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस फिर एक फिल्म बनाने की तैयारी में जुटे हैं. इस बार भी दोनों ही भाषा में फिल्म बनांयेंगे। यह फिल्म अक्टूबर माह में
बनेगी। साथ ही इस प्रोडक्शन हाउस कुछ एल्बम भी बनाने की तैयारी में है. अभिषेक मूवी प्रोडक्शन हाउस के संचालक श्री अमरनाथ पाठक काफी मेहनती और जूनून के पक्के हैं.वे एक बेहतरीन कलाकार भी हैं.उनके स्टूडियो में कई बड़े फिल्मो के काम हुए हैं.जहां सभी तरह की सुविधाएं हैं. गाने की रिकार्डिंग, शूटिंग, एडिटिंग, डबिंग सब कुछ बड़ी आसानी से किये जा सकते हैं.अभी इस स्टूडियो में और बड़ी बड़ी फिल्मो का काम होने वाले हैं जिसमे भोजपुरी फिल्म एक शमा दो परवाने भी शामिल हैं। वर्तमान में सारी लव यू का काम भी उनके ही स्टूडियो में चल रहा है.इसके पहले श्री पाठक ने भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी फिल्म तहलका मोर नाव के बनाई थी जिसमे मुम्बई की प्रीति सिंह मुख्य भूमिका में थी. खुद अमरनाथ पाठक ने पुलिस इन्स्पेक्टर की भूमिका निभाई थी.निर्माता अभिषेक पाठक थे। जाने-माने निर्देशक मिथिलेश अविनाश ने इस फिल्म का निर्देशन किया था। इस फिल्म में 8 गानेथे और सभी गाने बेहद कर्णप्रिय है जिसमे संगीत सूरज महानंद ने दिए थे।

निर्देशन में महारत हासिल है धर्मेंद्र चौबे को

जाने माने खलनायक अभिनेता , निर्देशक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल
जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।उन्होंने बही तोर सुरता म के बाद बंधन पीरित के का बेहतर निर्देशन किया है. यह फिल्म दो हीरो की कहानी है.जिसमे धर्मेंद्र ने कड़ी मेहनत की है.या हम ये कहे की इस फिल्म से उनके तकदीर जुडी है तो कोइ बड़ी बात नहीं होगी। फिल्म "बंधन पीरित के" को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की है. इसमें कोई शक नहीं कि धर्मेंद्र चौबे छालीवुड के सबसे सफल निर्देशकों में शामिल हैं। जिनकी हर फिल्म की सफलता की गारंटी होती है। साथ ही इनके कहानी कहने का अंदाज इतना जुदा है.कि फिल्म दर्शकों के दिल में घर कर जाती है। धर्मेंद्र बताते हैं कि  "बंधन पीरित के" में सभी कलाकारों ने काफी मेहनत की है.मुरली आचारी, पूनम मिश्रा, रियाज खान माहिरा ये ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने फिल्म को अपना पूरा योगदान दिया है.सभी कलाकारों का आभारी हूँ. धर्मेंद्र खुद कई फिल्मो में अभिनय किया है.वे जितने अच्छे डायरेक्टर हैं उतने ही अच्छे कलाकार भी हैं.

खलनायिकी करना चाहती है सरला सेन

  छत्तीसगढ़ी फिल्मो की दयालु भौजी और माँ सरला सेन की तमन्ना खलनायकी करने की है, वो भी एकदम खूंखार। सात साल की छोटी सी पारी में 30 - 35 फिल्मे करने वाली सरला सेन एक बेहतरीन अदाकारा है. उन्हें अपने काम के प्रति जूनून है। उनका कहना है कि मन में लगन हो तो कोइ भी काम असंभव नहीं होता। कोशिश करने वाले कभी असफल नहीं होते।  उनका सपना निगेटिव रोल करने की है. सरला की इस माह तीन फिल्मे तोर मोर यारी , बंधन प्रीत के और हमर फेमिली नंबर वन प्रदर्शित होने जा रही है. यह उनकी खुशकिस्मती है कि लगातार परदे पर दिखाई देंगी। तीनों ही फिल्मो में सरला माँ की भूमिका में है.सरला की नजर में बंधन प्रीत के एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों का खूब मनोरंजन करेगी। इस फिल्म में वे नायक रियाज खान की माँ की भूमिका में है.यह एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे सब कुछ है रोमांस, एक्शन, मारधाड़, इमोशनल आदि. तोर मोर यारी दो परिवारों की कहानी है. जिसंमें वे पुष्पेंद्र सिंह की पत्नी रहती है.तीसरी फिल्म हमर फेमिली नंबर वन है यह भी एक पारिवारिक और कॉमेडी से भरपूर फिल्म है.सरला कहती है कि ये तीनों ही फिल्म मेरे लिए बहुत ही अहम् है. जिसमे दर्शक मुझे पसंद करेंगे ऐसी उम्मीद हैं.मैंने अपने स्तर पर बहुत ही मेहनत की है.

   मुझे जो भूमिका मिलती है उसके साथ न्याय करने की भरपूर कोशिश करती हूँ. शूटिंग से पहले अच्छी तरह से स्क्रिप्ट पढ़ती हूँ फिर पूरी तैयारी के साथ कैमरे के सामने जाती हूँ. छालीवुड की सम्भावनाओं के बारे में उनका कहना है कि जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती जो पैसा नहीं लेते वही कलाकार यहाँ चलते है। तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके। प्रचार प्रसार की कमी है। छत्तीसगढ़ी फिल्मे अच्छा व्यवसाय क्यों नहीं कर पाती ? इसके जवाब में सरला कहती है कि प्रचार प्रसार और विज्ञापन में कमी फिल्म नहीं चलने का सबसे बड़ा कारण है। थियेटर भी एक कारण हो सकता है। गाँव गाँव तक हम अपनी फिल्म नहीं पंहुचा पा रहे हैं। बेहतर प्रचार पसार हो और प्रदेश के सभी टाकीजों में फिल्म लग जाए तो लागत एक हप्ते में निकल आएगी। सरकार मदद नहीं करती और डिस्ट्रीब्यूशन भी सही नहीं है। वे कहती है कि मुझे आज तक पसंद का रोल नहीं मिला। खूंखार करेक्टर चाहिए ,पता नहीं कभी मिल पायेगा या नही।खलनायिका का रोल करना चाहती हूँ.

छत्तीसगढ़ की माटी भा गयी प्रियंका को

यहां के लोगों का प्यार चाहती है
- श्रीमती केशर सोनकर
भोपाल से छत्तीगढ़ी फिल्म करने रायपुर आई अभिनेत्री प्रियंका परमार को छत्तीसगढ़ की माटी इतनी भा गयी कि अब वह यही बसने की सोच रही है. तीन छत्तीसगढ़ी फिल्म में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी प्रियंका को बस छत्तीसगढ़ की जनता का प्यार और सम्मान चाहिए। उन्हें बॉलीवुड में जाना कटी भी पसंद नहीं  है.उनकी तमन्ना छालीवुड की सुपर स्टार बनने की है।
 वे एक मंजे हुए कलाकार है.दो फिल्मे उन्होंने कारन खान के साथ की है और तीसरी फिल्म अभी प्रेम यादव के साथ संगी रे है. फिल्म च्च्संगी रे च्च् से प्रियंका परमार को काफी उम्मीद है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म करने का आनंद ही कुछ अलग है.यहां बहुत प्यार और सहयोग मिलता है.इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता दी है. संगी रे फिल्म करके मुझे अच्छा लगा. यह एक पारिवारिक फिल्म है.इस फिल्म की सम्भावनाये बेहतर दिखती है उम्मीद है कि और बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। इसमें सब कुछ है। आप देखिये आपको पुराने दिन याद आ जाएंगे। कैमरे के सामने आने से पहले मै अपने किरदार को लेकर बहुत मेहनत करती हूँ.जिससे करेक्टर को समझने का मौका मिले और अपनी भूमिका आसान हो जाए। निर्देशक श्रीकांत सोनी और नायक प्रेम कुमार यादव का काफी सहयोग मिला। फिल्म की सफलता पर प्रेम के साथ मै संगी रे 2 में काम करना चाहूंगी। संगी रे जो फिल्म बनी है वह परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य
फिल्म है.प्रियंका कहती है कि एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे माता -पिता ही मेरे प्रेरणास्रोत है। मेरे लगन को देखकर उन्होंने मुझे फिल्म करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके ही कारण मैं फिल्म में अच्छे से रोल कर पा रही हूँ।  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी जो फिल्म प्रधान हो। ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। प्रियंका परमार का कहना है कि रिल और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। रील लाइफ काल्पनिक होता है और रियल लाइफ में सच्चाई होती है। एक प्रश्न के उत्तर में उनका कहना है कि अब मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रही हूँ। इसी लाईन पर काम करती रहूंगी, पीछे नहीं हटूंगी। उनकी ख्वाहिश बड़ी है और वे एक दिन जरूर कामयाब होगी।  वे कहती है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपनी मेहनत से एक अच्छी एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ।

सिंगर से एक्टर बने कृष्णा साहू

सुंदर मोर छत्तीसगढ़ में दिखेगा जलवा 
सिंगिंग से छत्तीसगढ़ी फिल्मो में एक्टर बने  कृष्णा साहू का जलवा फिल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़ में दिखेगा। कृष्णा ने इस फिल्म में कॉमेडियन बनकर लोगों को हसाने की कोशिश की है. अब कितना लोगों का मनोरंजन कर पाएगें  ये तो दर्शक ही बताएँगे। उन्हें इस फिल्म से बहुत ही उम्मीद हैं. वे कहते हैं कि सुंदर मोर छत्तीसगढ़ को दर्शकों के लायक बनाने के लिए हमने बहुत ही मेहनत की है. गाने का मुझे शौक था लेकिन अब एक्टिंग में किस्मत आजमाने मैंने यह फिल्म की है. अब इस क्षेत्र में ही आगे बढूंगा। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं। दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
 
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटा था तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। गाने से कॅरियर से शुरुवात की है और मेरी पहली फिल्म सुंदर मोर छत्तीसगढ़ है जो बड़े परदे पर आने वाली है। भुवनेश साहू ने मुझे इस फिल्म के लिए ऑफर दिया और आज मै आपके सामने हूँ।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। पर गायन के क्षेत्र में चला गया था। इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है।

रंगोबती में फिर नजर आएंगी अनुज- लेजली जोड़ी

छत्तीसगढ़ी फिल्म रंगरसिया की सुपरहिट जोड़ी अनुज शर्मा और लेजली त्रिपाठी की जोड़ी एक बार फिर फिल्म रोगोवती में नजर आएंगी। निर्माता अशोक तिवारी ने इस जोड़ी को लेकर अपनी फिल्म की तैयारी भी शुरू कर दी है.बेस्ट फिल्म रंगरसिया के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह ही इस फिल्म के भी डायरेक्टर होंगे। निर्माता अशोक तिवारी और निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह की माने तो 90 फीसदी कलाकार इस फिल्म में नए होंगे। अभी तक निर्माता ने
अपनी पुरानी टीम के तीन लोगों निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह, नायक अनुज शर्मा और नायिका लेजली त्रिपाठी को रिपीट करने का निर्णय लिया है.अन्य कलाकारों की कास्टिंग डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह करेंगे। 
रंगरसिया फिल्म की सफलता से निर्माता दोनों ही उत्साहित हैं.इस फिल्म से बेहतर नतीजे मिले है जिससे छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को आक्सीजन भी मिला। अनुज शर्मा एक ऐसे नायक हैं जिनके नाम से भी लोग फिल्म को देखने जाते हैं.पुष्पेंद्र सिंह का काम इस फिल्म में देखने को मिला था. अब निर्माता ने इसे फिर से भुनाने के लिए अपनी नई फिल्म रोगोवती ने इन्हे आजमाने का फैसला किया है.अनुज शर्मा की 10 फिल्मो ने एक मिलियन से भी अधिक व्यूज का कीर्तिमान स्थापित किया है.वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री लेजली त्रिपाठी ने कभी असफलता नहीं देखी है या हम यह कह सकतें कि सफलता का ही नाम है लेजली त्रिपाठी है.उनकी भोजपुरी फिल्म निरउहा हिन्दुस्तानी 2 ने रिकार्ड बनाया था.एक अभिनेत्री के अलावा लेजली महानदी सुरक्ष्य योजना के लिए युवा राजदूत,  विश्वभर में बच्चों को शिक्षित करने के सशक्तीकरण के लिए एकसां गुरुकुल का चेहरा, सेवा फाउंडेशन की कर्ताधर्ता, अनंत साहित्य पत्रिका,  लिंग संवेदनशीलता टी-शर्ट्स, आशा किरण और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित दुनिया के मुद्दों और क्रिया केंद्रों के लिए भारतीय युवा राजदूत हैं।एशियाई कॉलेज ऑफ जर्नलिज़म, चेन्नई से पत्रकारिता  डिग्री लेने वाली लेजली अभिनय में महारत है.

संघर्ष ने बनाया प्रेम यादव को अभिनेता



चार फिल्मों के निर्माता और हीरो हैं 
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोई भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है प्रेम कुमार यादव ने। प्रेम गीतकार बनने मुंगेली से मुम्बई गए थे लेकिन वहां उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.जीवनयापन के लिए उन्हें नौकरी भी करनी पडी. जब उन्हें कोइ रास्ता नहीं सुझा तो वे फिल्म निर्माता बन गए,साथ ही अभिनेता भी.प्रेम यादव चार फिल्मे बना चुके हैं और सभी फिल्मों में वे ही हीरो हैं.लेखन में प्रेम की अच्छी पकड़ है. उनकी करीब 400 कवितायें अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है. उन्होंने अभी हांल ही में छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे की शूटिंग पूरी की है. इसके पहले उन्होंने दो भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी ,बलमा हरजाई रे और एक हिंदी फिल्म ब्लैक बनाई थी.
प्रेम कुमार यादव की गीतकार से फिल्म निर्माता और अभिनेता बनने की कहानी भी रोचक है. उनका असली नाम भागीरथ यादव है लेकिन फिल्मों के लिए उन्होंने अपना नाम बदलकर प्रेम कुमार यादव कर लिया।फिल्मो में काम करने प्रेम छत्तीसगढ़ के मुंगेली से मुम्बई पहुंचे। पर उन्हें फिल्मो में काम नहीं मिला। मुम्बई में टिके रहने के लिए प्रेम ने एक कोरियर सर्विस में नौकरी कर ली.काफी संघर्ष के बाद उन्होंने खुद ही फिल्म बनाने की सोची और जुट गए फिल्म निर्माण में.सबसे पहले उन्होंने भोजपुरी फिल्म गाँव आ जा रे परदेशी बनाई जिसमे संगीतकार थे रविंद्र जैन और आवाजें दी थी साधना सरगम, श्रेया घोषाल और वाडेकर थे. फिर 2007 में एक और भोजपुरी फिल्म बनाई बलमा हरजाई रे. एक प्रश्न के उत्तर में प्रेम यादव कहते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मे नहीं चलती इसलिए भोजपुरी फिल्मे बनाई।अब छत्तीसगढ़ी फिल्म संगी रे बनाकर किश्मत आजमा रहा हूँ. संगी रे एक रोमांटिक और शिक्षाप्रद फिल्म हैं. यह कहानी और आगे बढ़ेगी। अक्टूबर में संगी रे 2 बनाने जा रहा हूँ जो इस फिल्म के आगे की कहानी होगी।

लोग मुझे बेस्ट एक्टर के रूप में ही पहचाने - महावीर

छत्तीसगढ़ी फिल्मो को बढ़ावा देना जरूरी 
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में नया नाम है महावीर सिंह चौहान,जिन्होंने कुछ ही फिल्मो में अपने अभिनय से निर्माता निर्देशकों का दिल जीत लिया है। उनका कहना है कि लोग मुझे बेस्ट एकत्र के रूप में ही पहचाने। वे कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य काफी अच्छा है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले महावीर कहते हैं कि सरकार को भी छालीवुड की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कलाकारों का भला हो सके।उन्हें एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करता था फिर फिल्मो में आये । उनका कहना है कि जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । छालीवुड की सम्भावनाओ पर महावीर कहतें हैं कि आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है इसका कारण है कि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है। दूसरी ओर लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। महावीर का कोई रोल मॉडल नहीं है। उन्होंने कई फिल्मे कर ली है। ड्रामा करने के बाद लोगो ने उनका अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ? इस प्रश्न का जवाब था नहीं। शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की नहीं सोचा था। अब फिल्मो में आ गया हूँ तो इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा , लेकिन निगेटिव रोल पसंद है। सरकार से उन्हें अपेक्षाएं हैं. वे कहते है कि सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके। महावीर का कहना है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। मै चाहता हूँ कि लोग मुझे बेस्ट एक्टर के रूप में लोग जानें।

निर्देशन में महारत हासिल है धर्मेंद्र चौबे को

जाने माने खलनायक अभिनेता , निर्देशक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल
जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।उन्होंने बही तोर सुरता म के बाद बंधन पीरित के का बेहतर निर्देशन किया है. यह फिल्म दो हीरो की कहानी है.जिसमे धर्मेंद्र ने कड़ी मेहनत की है.या हम ये कहे की इस फिल्म से उनके तकदीर जुडी है तो कोइ बड़ी बात नहीं होगी। फिल्म "बंधन पीरित के" को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की है. इसमें कोई शक नहीं कि धर्मेंद्र चौबे छालीवुड के सबसे सफल निर्देशकों में शामिल हैं। जिनकी हर फिल्म की सफलता की गारंटी होती है। साथ ही इनके कहानी कहने का अंदाज इतना जुदा है.कि फिल्म दर्शकों के दिल में घर कर जाती है। धर्मेंद्र बताते हैं कि  "बंधन पीरित के" में सभी कलाकारों ने काफी मेहनत की है.मुरली आचारी, पूनम मिश्रा, रियाज खान माहिरा ये ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने फिल्म को अपना पूरा योगदान दिया है.सभी कलाकारों का आभारी हूँ. धर्मेंद्र खुद कई फिल्मो में अभिनय किया है.वे जितने अच्छे डायरेक्टर हैं उतने ही अच्छे कलाकार भी हैं.

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में संस्कृति की कमी दिखती है

पात्र के अनुसार कलाकारों का चयन हो - अन्नू शर्मा 

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक के रूप में उभरे कवर्धा के अन्नू शर्मा का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की कमी झलकती है। यही नहीं कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार होना चाहिए। अन्नू शर्मा ने फिल्म रंगरसिया से अपने कॅरियर की शुरुआत की है और आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक अंग बन गया है। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं।उनका कहना है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। मन में लगन हो तो सब संभव है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरी पहली फिल्म रंगरसिया है। अन्नू शर्मा कहते हैं कि मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।एक प्रश्ह्न के उत्तर में वे कहते हैं कि जब मैं कोई भूमिका निभाता हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करता हूँ। उसमे पूरी तरह से डूब जाता हूँ। वे कहते हैं की छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है।

अच्छे दिन के आसार - सम्पादकीय

भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर छत्तीसगढ़ी फिल्में कहां और किस दिशा मे है इस पर चिंतन किया जाना जरूरी हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज अब अच्छी स्थिति में पहुँच गयी है हालांकि अब भी उसे ढेर सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन के लिए गिने चुने करीब 36 सेंटर ही है लेकिन निर्माण करने वालों का हौसला कम नहीं हो रहा है। छोटे से बाजार में बड़ी उम्मीदों के साथ जुड़े छत्तीसगढ़ी फिल्म के कलाकारों की हिम्मत की सराहना की जानी चाहिए की अपनी भाषा, अपनी संस्कृति की सौंधी सुगंध को सहेजने के लिए उनका साहस कम नहीं हुआ है। आलोचक भले ही मुंह बनाएं की छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मुंबईयां मसालों की छौंक से जायका बिगड़ रहा है लेकिन इसके इतर छत्तीसगढ़ी भाषा का तड़का और अपने बीच के लोगों के अपनेपन ने रंजन को कम नहीं होने दिया है। ठीक ठीक आंकलन तो नहीं है लेकिन अंदाजा है कि छत्तीसगढ़ी फिल्में भी सौ की संख्या के करीब है। हिन्दी फिल्मों के शताब्दी वर्ष में छत्तीगढ़ी फिल्मों का सैकड़ा होने की उपलब्धि से हम सब छत्तीसगढिय़ा गर्व का अनुभव तो कर ही सकते है।
छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण प्रारंभ सन् 1964 में ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म 'कहि देबे संदेश से मनु नायक ने किया जिसका प्रदर्शन 14 अपै्रल 1965 को दुर्ग भाटापारा में हुआ। तब से लेकर फिल्मो का निर्माण निरंतर जारी है.उतार चढ़ाव के बीच 2016 में राजा छत्तीसगढिय़ा ने छालीवुड को आक्सीजन देने का काम किया था उसके बाद कई ऐसी फिल्मे आई जो इंडस्ट्री को फिर काफी पीछे ले गयी. इस साल 2018 में आई फिल्म आई लव यूं ने एक बार फिर छालीवुड को उबारा। इससे लगता है की अब फिल्म इंडस्ट्री के अच्छे दिन आने वाले हैं.इसमें कोइ दो राय नहीं की बजट भले ही कम हो और फिल्म अच्छी बने तो दर्शकों को टाकीज तक पहुँचने से कोइ नहीं रोक पायेगा। स्वतंत्र रूप से छत्तीसगढ़ी सिनेमा की शुरुआत भले ही 1965 में हुई हो लेकिन सन् 1953 में निर्मित हिन्दी नदिया के पार में संवाद छत्तीसगढ़ी पुट लिए हुए थे और इसकी वजह थे इसके कलाकार किशोर साहू जो छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के निवासी थे। टेक्नोलॉजी के विस्तार से सन् 1985 में वीडियो होम सिस्टम के कैमरे से पहली वीडियो फिल्म 'जय मां बम्लेश्वरी का निर्माण सुंदरानी बंधुओं ने कर छत्तीसगढ़ी वीडियों फिल्म निर्माण की नयी विधा का प्रारंभ किया। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर नाटककार जलील रिजवी ने किया। इस फिल्म ने भी उस समय वीडियो थियेटरों में लंबी लाइनें लगवा दी थी और अपने समय में कमाई का रिकार्ड भी बनाया। छत्तीसगढ़ी सिनेमा को पुर्नजीवित करने और इसे उद्योग में तब्दील करने का श्रेय सतीश जैन को है जिन्होंने छत्तीसगढ़ी की पहली रंगीन फिल्म मोर छइयां भुइयां का निर्माण सन् 2000 में किया। सहीं मायनों में कहा जाए तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर यहीं से शुरू हुआ जो पिछले 18 वर्षो से जारी है. हालांकि सन् 2004 से 2017 तक यह पांच साल हिचकोले खाता रहा लेकिन अब अच्छे दिन आने के आसार हैं.

रविवार, 3 जून 2018

रेखा जैसी रोल करना चाहती है उषा विश्वकर्मा



उषा विश्वकर्माछत्तीसगढ़ी फिल्मों की अदाकारा उषा विश्वकर्मा इन दिनों अपनी आगामी 11 फिल्मों के रिलीज होने का इंतजार कर रही हैं। अब तक उषा ने तमाम तरह के किरदार परदे पर निभाए हैं। कुल 24 फिल्में आ चुकी हैं। ज्यादातर में उन्होंने मां का किरदार किया, लेकिन कॉमेडी में भी वे कम नहीं हैं। उषा का एक सपना अब भी बाकी है, वो ये कि हिंदी फिल्म उमराव जान में अभिनेत्री रेखा ने जो भूमिका की थी, वही उषा का ड्रीम रोल है।
 
     आपको पता होगा कि उषा सिर्फ एक्टिंग नहीं करतीं, बल्कि डांस और सिंगिंग में भी वे उतना ही पकड़ रखती हैं। मंचों पर जब वे पेश होती हैं, परदे वाली उषा से हटकर एक अलग ही परफॉर्मर उषा का रूप में भी वे खुद को कामयाब तरीके से पेश करती हैं। उषा कहती हैं, छत्तीसगढ़ी फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में टूनटून का कॉमिक किरदार उनके लिए अब तक बेहद यादगार किरदार है। लेकिन, सपना तो अब भी बाकी है। वह तभी पूरा होगा, जब कोई उमराव जान जैसी फिल्म बनाएगा और रेखा जैसी भूमिका उन्हें देगा।वैसे देखा जाए, तो बाकी कलाकारों की बजाय उषा के पास कभी फिल्मों की कमी नहीं रही। जब गिनती के कलाकारों के पास काम हुआ करता था, तब भी उषा कहीं न कहीं शूट पर बिजी हुआ करती थीं। यही कारण है, कि अभी उनकी 11 फिल्में रिलीज होने के लिए तैयार हैं। उषा विश्वकर्मा में एक खास बात यह भी है कि गायन, डांस के बीच शूटिंग के लिए भी पूरी पाबंदी के साथ तैयार रहती हैं। सेट पर टाइम से पहुंचना और डायरेक्टर की संतुष्टि तक हर शॉट को पूरा करना उषा अपनी आदत बताती हैं।वे कहती हैं, कि डायरेक्टर के दिमाग में पूरी फिल्म होती है, जब तक वे संतुष्ट न हो जाएं, तब तक चाहे जितने भी टेक लग जाएं, एक कलाकार को कभी खीझ नहीं होनी चाहिए, बल्कि जितना ज्यादा हो सके, को-ऑपरेट करना चाहिए।

युवाओं के लिए रोल मॉडल है मोना सेन

   छत्तीसगढ़ की जानी मानी फिल्म कलाकार, गायिका मोना सेन आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. गाँव- गाँव, शहर- शहर सभी जगह उनका डंका बजता है. ऐसा कोइ नारी सम्मान नहीं है जो उन्हें ना मिला हो. यही कारण है की उन्हें छत्तीसगढ़ की लाडली बेटी कहा जाता है. मोना सच में छत्तीसगढ़ की शान है. फिल्मो में धूम मचाने के बाद वे समाज सेवा में आई और कई बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की.अब वह अपनी समाज की सेवा में जुटी हुई है. छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सुपर स्टार मोना सेन बच्चों में काफी लोकप्रिय है। वे जहां भी जाती है लोग उन्हें घेर लेते हैं। 
    मोना कहती है कि समाजसेवा करने करने से उन्हें बहुत ही सुकून मिलता है। भविष्य में वे उन क्षेत्रों में जाएंगी जहां सरकारी मिशनरी नहीं पंहुच पाई है। मोना एक ऐसी अभिनेत्री है जिसका जलवा आज भी छत्तीसगढ़ के गाँवों में देखने को मिलता है। उन्हें तमाम सम्मान मिल चुका है कौशिल्या माता सम्मान , मिनीमाता सम्मान , नारी शक्ति सम्मान प्राइड आफ छत्तीसगढ़, बेस्ट एंकर आफ छत्तीसगढ़, वीरांगना सम्मान मप्र शासन सहित उनके पास अनगिनत सम्मान प्राप्त है। इस साल उन्हें छॉलीवुड स्टारडम ने पॉपुलर एक्ट्रेस आफ छत्तीसगढ़ अवार्ड से सम्मानित किया है. अभी हाल ही में राजनांदगांव खैरागढ़ सहित कई सभाओं में सांसद अभिषेक सिंह और विधायक सावलराम डहरिया ने उन्हें छत्तीसगढ़ की बेटी और छत्तीसगढ़ की शान कहकर उनका मान बढ़ाया है. मोना सेन आज युवाओं ले लिए रोल मॉडल है. वे कहती है कि कोइ भी काम संभव नहीं होता। बस मन में लगन और दृढ़ इच्छा होनी चाहिए। हमने कर्म को महत्त्व दिया और सफलता हमारे साथ चली आई।  इसलिए युवा काम को प्राथमिकता दे और हर काम लगन से करें उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।