रविवार, 2 जून 2019

छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकारों का जलवा महाराष्ट्र में भी

छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकारों का जलवा अब महाराष्ट्र में भी दिखने लगा है. छत्तीसगढ़ में चर्चित हर लोगों के जुबान पर छाये गीत 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकालÓ अब महाराष्ट्र में भी छा गया है. 

जबलपुर के श्याम बैरागी ने अपने ही लिखे गीत को अपने आवाज में बड़ी ही खूबसूरती से गया है जिसे रायपुर के कोरियोग्राफर मनोज दीप ने छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकारों को लेकर एक वीडियो एलबम बनाया है जो छत्तीसगढ़ में काफी लोकप्रिय है.इससे प्रेरित होकर अब महाराष्ट्र में भी इसकी मांग बढ़ गयी है. नगर परिषद बीड महाराष्ट्र एवं गार्बेज क्लिनिक की ओर से गीत गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल को फिल्माया गया है , जिस के डायरेक्टर मनोज दीप हैं और गायक श्याम बैरागी है। स्वच्छ भारत अभियान का ये गीत  पहले ही छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश ओडिशा में काफी पॉपुलर हो चुका है जिसका वीडियो यूट्यूब में भी धूम मचा रखा है. मनोजदीप ने बताया कि बीड शहर महाराष्ट्र के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस गाने की शूटिंग करने को कहा जिसे सुनकर वह राजी हो गए और महाराष्ट्र में सफलतापूर्वक गाने की शूटिंग की.

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निर्देशक सूरजचन्द्र रथ को बालीफूल पर भरोसा

- अरुण कुमार बंछोर
  • छत्तीसगढ़ में बन रही फिल्म च्च्बॉलीफूल वेलकम टू बस्तरज्ज्के निर्देशक सूरजचन्द्र रथ को भरोशा है कि उनकी फिल्म दर्शकों को खूब भाएगी।उनका कहना है की इस फिल्म के लिए सारे कलाकार बेहद मना कर रहे हैं.मेरी खुद की कोशिश है कि शत -प्रतिशत परिणाम दूँ. छत्तीसगढ़ में फिल्म व्यवसाय नहीं कर पाती इस बारे में उनका कहना है कि यहां एक ही तरह की फिल्मे बंनती है. जिससे दर्शक बोर हो गए हैं. अलग अलग तरह की फिल्मे बनती रहना चाहिए.
'बॉलीफूल वेलकम टू बस्तरÓ छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली फिल्म होगी जो वास्तविकता से परिपूर्ण बस्तर की संस्कृति पर बनाई जा रही है. इस फिल्म में वो सब कुछ होगा जो दर्शकों को चाहिए होता है. इसलिए मुझे भरोसा है कि हमनारी फिल्म दर्शकों को बनहुत पसंद आएगी । 'बॉलीफूल वेलकम टू बस्तरÓ के सेट पर हमने उनसे फि़ल्म के बारे में बातचीत की.

0 आपको बस्तर और बॉलीफूल पर फिल्म बनाने की क्यों सूझी?
दरअसल यहां एक ही तरह की फिल्मे बनती है. मुझे लगा कि अपने राज्य और उनकी संस्कृति के बारे में जनता को जानकारी होनी चाहिए।इसलिए मैंने च्च्बॉलीफूल वेलकम टू बस्तरज्ज् बनाने का निर्णय लिया , जो सच से परिपूर्ण है.
ऐसा क्या है इस फिल्म में जो दर्शक फिल्म देखे ?
इस फिल्म में हमने बस्तर की संस्कृति को दिखाने की कोशिश की है.बॉलीफूल एक प्यार की पहचान है गर्लफ्रेंड है. उसे फिल्म के माध्यम से हमने बताने का प्रयास किया है. मनोरंजन, कॉमेडी, एक्शन और रोमांस है जो दर्शकों को पसंद आएगी। प्यार और समस्या को खूबसूरती से फिल्माया गया है.
0 बस्तर और समाज को लेकर इस फिल्म में क्या है ?
सब कुछ है बॉलीफुल एक प्रेम कहानी पर आधारित है.सामाजिक समस्याएं क्या क्या आती है उसे कैसे सुलझाया जाता है, हमने फिल्म में दर्शाया है. खूबसूरत सामाजिक सन्देश है इस फिल्म में.
0 सवाल उठ रहा है कि इस फिल्म की शूटिंग बस्तर में क्यों नहीं की जा रही है?
बस्तर में भी शूटिंग करेंगे। खूबसूरत वादियों को दिखाया गया है. बस्तर में शूटिंग न करने की बात सही नहीं है. शूटिंग मुम्बई से शुरू हुई है और बस्तर में जाकर ख़त्म होगी।
0 कहा जा रहा है कि फिल्म में बस्तर की संस्कृति का मजाक उड़ाया जा रहा है?
छत्तीसगढ़ में बन रही फिल्म 'बॉलीफूल वेलकम टू बस्तरÓ के निर्देशक सूरजचन्द्र रथ को भरोशा है कि उनकी फिल्म दर्शकों को खूब भाएगी।उनका कहना है की इस फिल्म के लिए सारे कलाकार बेहद मना कर रहे हैं.मेरी खुद की कोशिश है कि शत -प्रतिशत परिणाम दूँ. छत्तीसगढ़ में फिल्म व्यवसाय नहीं कर पाती इस बारे में उनका कहना है कि यहां एक ही तरह की फिल्मे बंनती है. जिससे दर्शक बोर हो गए हैं. अलग अलग तरह की फिल्मे बनती रहना चाहिए.
0 कहा जा रहा है कि फिल्म में बस्तर की संसकृत्रि का मजाक उड़ाया जा रहा है?
ऐसा बिलकुल भी नहीं है. हम बस्तर की संस्कृति से ही दर्शकों को अवगत करा रहे हैं. जो बाते मीडिया में आई है वह सच से परे है.कुछ फोटोग्राफ्स सोशल मीडिया में आया है वह फिल्म से सम्बंधित नहीं है , वह निजी है.जनता इस पर ध्यान ना दे.
0 फिल्म बनाने के कोइ ख़ास अनुभव जो सामने आया हो ?
फिल्म बनाने में अनुभव अच्छा ही रहा है. सारे कलाकार बेहद मेहनत और सहयोग कर रहे हैं. चिलचिलाती धुप में शूटिंग करना बड़ी चुनौती है फिर भी हमारे कलाकार डटे हुए हैं.
0 आपकी नजर में ऐसा क्या है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म व्यवसाय क्यों नहीं कर पा रही है?
कांसेप्ट अच्छी हो , अलग अलग तरह की फिल्म बने तो जरूर चलेगी। यहां एक ही तरह की फिल्मे बनती है.इसलिए दर्शक ऊब जाते हैं. इस फिल्म में वो सब कुछ है जो दर्शक को चाहिए होता है.
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बस्तर को समझने के लिए प्रेरित करेगी फिल्म 'बालीफूलÓ

      लंबे समय के बाद बस्तर की सुकुमारिता, वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य और जंगलों की खूबसूरती को आधुनिक परिवेश से जोड़ते हुए छत्तीसगढ़ी फिल्म 'बाली फूलÓ बनने जा रही है। बहुत कम लोग जानते हैं कि 'बाली फूलÓ बस्तर के जंगलों में पैदा होने वाला फूल है जो बेहद कोमल होता है। लोग 'बाली फूलÓ के शब्दार्थ को समझ सकें इसलिए इस फिल्म के नाम 'बाली फूलÓ के साथ वेलकम टू बस्तर भी शामिल किया गया है। 
इस फिल्म के निर्माता अजय अग्रवाल हैं और निर्देशन सूरज चन्द्र रथ कर रहे हैं। सालों पहले सूरज चन्द्र रथ ने 'आमचो बस्तरÓ नाम से लघु फिल्म बनाई है। आकृति फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही फिल्म का निर्देशन कर रहे श्री रथ ने ही इसकी पटकथा भी तैयार की है। श्री रथ का कहना है कि बस्तर की छवि देश और दुनिया में लगातार निगेटिव बनती जा रही है जबकि सच्चाई इससे कोसो दूर है। वह इस फिल्म के माध्यम से दुनिया के सामने बस्तर के सौन्दर्य को लाने और उसे समझाने की कोशिश करेंगे। उनका कहना है कि यह पूरी तरह से व्यावसायिक फिल्म होगी। इसमें प्रेम कहानी के साथ ही वर्तमान दौर के बस्तर, उसकी समस्याएं और समाधान के विषय को भी समावेशित किया गया है। फिल्म में छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत से 55 कलाकार अपनी भूमिका निभाएंगे। इस फिल्म में नायक की भूमिका भुवनेश साहू और नायिका की भूमिका अंजलि ठाकुर तथा आस्था दयाल निभाएंगी। इस फिल्म में छह गानों का समावेश किया गया है। कोरियोग्राफी करन सिंह निहाल और डीओपी पुनीत सोनकर करेंगे। 
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मन- अनिकृति की सफल जोड़ी


अभिनेता मन कुरैशी और नायिका अनिकृति चौहान की जोड़ी छालीवुड में बेहद सफल रही है. प्रेम सुमन में पहली बार इस जोड़ी को आजमाया गया उसके बाद आई लव यू में तो इस जोड़ी ने तहलका ही मचा दिया। अब 'हंस झन पगली फंस जाबेÓ ने भी यही जोड़ी होगी।

नायिका अनिकृति चौहान के बारे में कुछ  जरूरत नहीं है. उनकी एक्टिंग में दम है. खूबसूरत चेहरा और उतने ही खूबसूरत अदा. अनिकृति चौहान की तमन्ना छालीवुड में बहुत कुछ करने की है। वे कहती है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता।
फिल्मों में काम करने का अनिकृति चौहान को कोइ शौक नहीं था लेकिन अपने दोनों चाचा आनंद और लक्ष्मण चौहान की प्रेरणा से फिल्मों में आई और अब फिल्मों को ही करियर बनाना चाहती है। इस साल फिल्म आई लव यू के नायक मन कुरैशी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड हासिल कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की । इस फिल्म में मन कुरैशी ने न केवल बेहतर अभिनय किया बल्कि अपने संवाद और एक्शन से सबका दिल जीत लिया।  छालीवुड स्टारडम ने उन्हें बेस्ट हीरो का अवार्ड दिया तो पूरा हाल तालियों की गडगड़़ाहट से गूंज उठा।

स्टेज प्रोग्राम में मिले उत्साह ने निशांत को बना दिया मशहूर कोरियाग्राफर

     
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में कोरियोग्राफी की बात चले और निशांत उपाध्याय के नाम की चर्चा न हो यह असंभव है। बचपन में घर वालों से छिपकर स्टेज प्रोग्राम में परफार्मेंस देने वाला निशांत आज छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत में मशहूर कोरियाग्राफर बन चुका है। हाल ही में निशांत ने छत्तीसगढ़ी फिल्म महूं कुवारा तहूं कुवारी में कोरियोग्राफी की भूमिका निभाई है। यह फिल्म 26 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है।
निशांत उपाध्याय ने अपने जीवन से जुड़ी उपलब्धियों पर खास चर्चा की। उन्होंने बताया कि बचपन से ही डांस करने का उनका शौक रहा पर घर वाले इससे बेहद गुस्से में रहते थे। आये दिन घर में फटकार भी मिला करती थी। वर्ष 1999 के दशक में अपने मुहल्ले में हुए एक स्टेज प्रोग्राम में भाग लिया था और उसमें 'हवा-हवा ऐ हवा खुशबू लुटो देÓ गाने पर उन्होंने डांस किया था। इस प्रोग्राम में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। यहीं से उनके जीवन में बदलाव आया और कुछ सालों के बाद संजय मैथिल के साथ थियेटर ज्वाइन कर लिया। इसके बाद अलबम का दौर आया तो मोहन सुंदरानी ने उन्हें कोरियोग्राफी करने का अवसर प्रदान किया। कुछ दिनों तक उन्होंने फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर का भी रोल किया। इसके बाद उनका हुनर बढ़ता ही गया। वर्तमान में निशांत पांच हजार से अधिक गानों की कोरियोग्राफी कर चुके हैं। पिछले 18 सालों से छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले अवार्ड फंक्शनों में निशांत को बेस्ट कोरियोग्राफर का अवार्ड मिलता आ रहा है। यह उनके लिये बड़ी उपलब्धि है।
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'आई लव यू टूÓ की ममतामयी माँ संजू साहू

एक बेहतरीन अदाकारा
- श्रीमती केशर सोनकर

  •       छालीवुड में संजू साहू एक बड़ा नाम है, जिसने भी फिल्म छइयां भुईंया देखी होगी उनकी अदाकारी का लोहा जरूर माना होगा। उन्होंने 16 साल की उम्र में अपनी फि़ल्मी कॅरियर की शुरुआत ही माँ की भूमिका से की थी. बाद में वे नायिका बनी, फिर चरित्र अभिनेत्री का किरदार निभाया।
 अभी हाल ही बनी सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस की फिल्म 'आई लव यू टूÓ में एक बार फिर ममतामयी माँ की भूमिका में नजर आएंगी। पूरी फिल्म में संजू साहू एक माँ के रूप में अपनी बेटी किरण ( बचपण में सान्वी, फिर मुस्कान साहू) पर प्यार लुटाती दिखेंगी। इसी फिल्म के सेट पर हमारी मुलाक़ात संजू साहू से हुई तो उन्होंने बताया कि  'आई लव यू टूÓ में माँ की भूमिका निभाकर उन्होंने गर्व महसूस किया है.मैंने माँ की भूमिका को सच में जिया है.अपने आप को किरण की माँ के रूप में ढाल लिया था.यह फिल्म बहुत ही उम्दा बनी है. मुझे इसमें काम करके बहुत ही अच्छा लगा. मै चाहूंगी की सुंदरानी प्रोडक्शन से हमेशा जुडी रहूं , यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
सुंदरानी प्रोडक्शन की अगली फिल्म कचरा बोदरा में संजू साहू एक नए अंदाज में दिखेंगी। इस फिल्म में वे खलनायकी करती नजर आएंगी। वे कहती है कि मुझे हर तरह की भूमिका पसंद है और कचरा बोदरा में मैं निगेटिव किरदार भी निभाऊँगी। संजू साहू ने अपनी मेहनत और लगन से छालीवुड में अपना अलग नाम बनाया है, और वे छत्तीसगढ़ की मशहूर हस्तियों में चर्चित और आर्कषक सेलिब्रिटी हैं। वे बचपन से ही कला में रुचि रखती रहीं हैं यही कारण है कि वे फिल्मों में आ गईं। उन्हें जनता का भी खूब प्यार मिला है, और इसी के बदौलत उनका नाम आज अच्छी अभिनेत्रियों में शुमार है। आज उनके प्रशंसकों की संख्या हजारों में है। संजू फिल्मों में अभिनय के अलावा वे स्टेज परफॉर्मर भी हैं। ये अपने काम के अलावा कई तरह के सोशल वर्क पर भी ध्यान देती हैं। उनकी संस्था कोपल क्रिएटिव ने एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों नए कलाकारों को मंच प्रदान किया हैं.

छॉलीवुड में धूम मचाने को तैयार है अमन हुसैन

जय भोले मया मा डोले उनका आगामी आकर्षण
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के डेविड धवन कहलाने वाले निर्देशक अमन हुसैन एक बार फिर छालीवुड में धूम मचाने को तैयार हैं. उनका आगामी आकर्षण है फिल्म जय भोले मया मा डोले। इस फिल्म में उन्होंने बेहद मेहनत की है. छालीवुड के लिये अमन हुसैन कोई नया चेहरा नहीं है। इससे पहले भी वे कई छोटे बजट की फिल्मों में अपने निर्देशन का लोहा मनवा चूके है। उनकी पिछली सभी फिल्मों को देखा जाए तो उनका सब्जेक्ट हास्य ही रहा है। और यह मूवी जय भोले मया म डोले भी हास्य प्रधान ही है। वे बताते हैं कि इस फिल्म में उन्होंने वे सब देने की कोशिश की है जो दर्शकों को पसंद होता है. कॉमेडी है ,रोमांस है, एक्शन है, शानदार गीत है. अमन हुसैन ने इस फिल्म की कहानी पर कोइ समझौता नहीं किया है जो बेहतर से बेहतर हो सकता था वो सब किया। अमन हुसैन करीब पांच साल के बाद अपनी हास्य फि़ल्म जय भोले मया मा डोले बनाये हैं।
अमन हुसैन को छत्तीसगढ़ के डेविड धवन इसलिए कहा जाता है क्योकि जब छत्तीसगढ़ में 1 घंटे की सीडी फिल्में बना करती थी। तब उन्होंने एक से बढ़कर एक हास्य फिल्म दर्शकों को दी है। उसमें से कुछ नाम है- समधिन पट गे, टुरी के चक्कर, बीवी घोटाला, दमाद चाही फोकट में, संगी तोर गांव म, ऐसी कई फिल्में है जो आज छत्तीसगढ़ में गांव गांव में देखी जाती है। जिसमें से समधिन पट गे छत्तीसगढ़ में मील का पत्थर साबित हुई जहां से निकले 2 नाम ओचकू बोचकू यानी हेमलाल कौशल और संतोष निषाद जो आज छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में कॉमेडी में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए है। और इसके बाद निर्देशक अमन हुसैन ने आर.बी क्रिएशन के बैनर तले अपनी पहली कॉमेडी फिल्म छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म बनाई पठौनी के चक्कर जिसे दर्शकों का खूब प्यार मिला उसके बाद उनकी दो और फिल्में भी रिलीज हुई फुलवारी और सिधवा सजन आप लोगों की जानकारी के लिए बता दे कि हाल ही में 1 साल पहले अमन हुसैन ने एक सिंधी फिल्म ससु सेर नू सवा सेर यानी सास शेर तो बहू सवा शेर कॉमेडी फिल्म डायरेक्ट की है और अभी उनका पूरा ध्यान जय भोले मया में डोले फिल्म को रिलीज करने में है फिल्म के कलाकार हैं केवल राम वर्मा, प्रदीप शर्मा , ज्योत्सना ताम्रकार, हेमा शुक्ला, संजय महानंद, रजनीश झांजी, पूरन साहू राजू चंद्रवंशी , विनय अंबष्ड, अरुण भांगे और गप्पू भाई आदि कलाकार इस फिल्म में किरदार निभा रहे हैं और निर्देशक अमन हुसैन का कहना है कि दर्शक जब इस फिल्म को पर्दे पर देखेंगे तो पूरी फिल्म के दौरान ठहाके मार मार कर हंसेगे और अपने सारे दुख दर्द भूल जाएंगे।
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नकुल महालवार , नाम एक कला अनेक

रंगमंच से फिल्मों तक का सफर
  • नायक ,खलनायक ,लेखक ,निर्माता ,निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कला किसी एक व्यक्ति में हो ऐसे बिरले ही होते है और यह सब कला है नकुल महालवार में। छत्तीसगढ़ी फिल्मो का वे एक आधार स्तम्भ है। रंगमंच से अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले नकुल महालवार ने फि़ल्मी दुनिया में एक ऊंची मुकाम हासिल कर लिया है. कला सेवा करते 35 साल बीत जाने के बाद भी नकुल काफी दुखी है. वे कहते हैं कि यहां आज उचित सम्मान का अभाव है, लेकिन मै मरते दम तक कला के लिए समर्पित रहूंगा। 

1984 में रामलीला में बाल कलाकार के रूप में मंच में प्रवेश किया था और आज छत्तीसगढ़ का जाना माना नाम है. फिल्म डाँड़ में नायक की भूमिका में थे. उन्होंने बताया कि 2001 में डिजिटल फि़ल्म, डाँड़ का  निर्माण किया ,जिसे सेंसर बोर्ड ने इसलिए सेंसर नही दिया कि इस फार्मेट में अब तक कोई डिजिटल फीचर फिल्म सेंसर नही हुआ था, वहाँ मुझे बताया गया कि इस फार्मेट की फि़ल्म  पहली बार आई है तब मुझे  मालूम हुआ कि यह डिजिटल की पहली फि़ल्म है. इस फि़ल्म उन्हें बतौर नायक  सराहना मिली। 1987 में आदर्श नाट्य मंच का निर्माण कर नुक्कड़ नाटकों सहित मंचीय प्रस्तुति करने लगे। दूरदर्शन , लघु फि़ल्म व अखिल भारतीय नाट्य  स्पर्धा में हिस्सेदारी निभाई। 1990 में  फि़ल्म व रंगमंच अभिनेता ओमशिवपुरी अवार्ड से सम्मानित हुए. 1991 में वीडियो फीचर फिल्म मैना में असिस्टेंट डायरेक्टर व सह नायक के रूप में काम किया। लगातार मंच व दूरदर्शन के  सीरियल में भूमिका करने के बाद लेखन में भी नकुल महालवार दक्ष होता गया. 1997 में  फि़ल्म, महादान  का निर्माण सुपर वीएचएस फार्मेट में किया। फिर लघु कॉमेडी फिल्म - बिहाब देवदास के में उन्हें में बेस्ट राइटर का अवार्ड मिला। उन्होंने बताया कि फिल्म डाँड़ में मुझे बेस्ट एक्टर का भी खिताब मिला। अब वे फिल्मो में कम दिखाई देते हैं पूछे जाने पर उनका कहना है कि जब मुझे लगा कि फि़ल्म में स्कोप नही है, तो मैने लोकमंच को अपनी साधना बना लिया और सुर सांझा के साथ ,लोक मंच में भी अपना उदबोधन करता गया.

इन फिल्मों में निभाई भूमिका


डाँड़, बिहाब देवदास के, खेतीखार, भूल झन देबे, संगवारी सतनाम के, छालीवुड देवदास, चुनाव तिहार, कारी छइयां, सजना साथ निभाबे, भेद, दबंग दरोगा, अतरंगी।

आखिर में हीरो मन कुरैशी को डायरेक्टर से कहना पड़ा

बहुत मार खा लिया, अब थप्पड़ मत मरवाना
  • जी हाँ! यह मजेदार वाक्या है फिल्म 'आई लव यू टूÓ का. इस फिल्म में हीरोइन हीरो को एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों थप्पड़ मारती है. थप्पड़ खा खाकर हीरो मन कुरैशी इतने परेशान हो गया था की डायरेक्टर उत्तम तिवारी से कहने लगे डायरेक्टर साहब बहुत थप्पड़ खा लिया अब थप्पड़ नहीं मरवाना। मन कुरैशी की बात सुनकर यूनिट में मौजूडी सभी लोग हंस पड़े. फिर भी डायरेक्टर उत्तम तिवारी ने उसके बाद के सीन में भी थप्पड़ मरवा ही दिया। इस फिल्म में हीरो को इतने थप्पड़ पड़े है शायद ही किसी फिल्म में हीरो को पड़े होंगे। बचपन में हीरोइन की किरदार निभा रही सानवी सुंदरानी हीरो को थप्पड़ मारती है तो बड़े होकर मुस्कान साहू हीरो मन कुरैशी को थप्पड़ मारती है. यही थप्पड़ फिल्म का अहम् हिस्सा बन चुका है. फिल्मं "आई लव यू टू" एक मजेदार कॉमेडी और नारी शक्ति का एहसास कराने वाली फिल्म है जिसमे मन कुरैशी और मुस्कान साहू की जोड़ी ने काफी धमाल मचाया है. इस फिल्म में सब कुछ है जो दर्शकों को पसंद आएगी। मन कुरैशी की शानदार कलाकारी तो मुस्कान साहू की प्यार भरा अदा सबको भाएगी। सान्वी सुंदरानी, उर्वशी साहू, उपासना वैष्णव, संजू साहू, रजनीश झांजी, प्रदीप शर्मा सबने बेहतर कला का प्रदर्शन किया है.
    सच में जड़ दिया थप्पड़ 
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  • छालीवुड के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी की पोती सानवी सुंदरानी नायिका के बचपन का रोल की है. बेहद ही उम्दा कलाकार है. जब एक सीन में हीरो को थप्पड़ मारने की बारी आई तो सानवी ने सच में ही हीरो के बाल कलाकार को थप्पड़ जड़ दिया था. यह सीन एक बार में ही ओके हो गया लेकिन सब हैरान रह गए थे. सानवी ने

कचरा - बोदरा में होंगी मुस्कान और गुलशन साहू की जोडी

- अरुण कुमार बंछोर
 सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस की नई फिल्म कचरा - बोदरा के लिए अभिनेत्री मुस्कान साहू के बाद अभिनेता के लिए गुलशन साहू को साईंन किया गया है.छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध कलाकार उपासना वैष्णव , उर्वशी साहू व छत्तीसगढ़ी फिल्मों के आलराउंडर कलाकार प्रदीप शर्मा इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे। इस फिल्म में कई नए कलाकारों को छालीवुड के भीष्म पितामह मोहन सुंदरानी ने अभिनय का मौका देने जा रहे हैं।  इस फिल्म की शूटिंग 20 मई से रायपुर एवं उसके आसपास ग्रामीण अंचलों में प्रारंभ होगी। स्क्रिप्ट , कहानी गीत एवं संगीत का लगभग कार्य पूरा हो चुका है। फिल्म के निर्देशक उत्तम तिवारी ही होंगे जिन्होंने सुंदरानी प्रोडक्शन हाउस की दो फि़ल्में आई लव यू और आई लव यू 2 का भी निर्देशन किया है। इस फिल्म के लिए 12 और कलाकारों का महत्वपूर्ण अभिनय के लिए चयन करना बाकी है.

आस्था आउट, हेमा इन

छत्तीसगढ़ी फिल्म बॉलीफूल वेलकम तू बस्तर से नायिका आस्था दयाल आउट हो गयी है और नायिका हेमा शुक्ला ने उनकी जगह ले ली है. हमें जब यह खबर मिली तब हमने डॉ पुनीत सोनकर से बात की उन्होंने इसकी पुष्टि की. उनका कहना था कि आस्था के पास समय नहीं था और हमें यह फिल्म तय शेड्यूल पर ही शूट करना था इसलिए हेमा शुक्ला को उनकी जगह पर लिया है. फिल्म की पूरी यूनिट शूट स्थल पर मौजूद थी और नायिका नहीं आई ऐसे स्ममय पर शूटिंग को टालते तो निर्माता को काफी नुक्सान उठाना पड़ता।
एलीना - सीमा की नाराजगी

छत्तीसगढ़ी फिल्म की नायिका एलीना डेविड मसीह और सीमा सिंह बिलासपुर के एक कार्यक्रम में बुलाकर भी सम्मानित नहीं किये जाने से नाराज हो गयी और खुलेआम सोशल मीडिया के जरिये अपनी नाराजगी जाहिर की. एलीना का कहना है कि आयोजक अशरफ अली ने  न्योता दिया था जिसके  कार्यक्रम में गयी थी. यही कहना सामा का भी था. खैर जब बड़े कार्यक्रम होते हैं तो कुछ ना कुछ कमियां रह जाती है.
रंगोबती के साथ दो और फि़ल्में
छत्तीसगढ़ी फिल्म रंगोबती 19 जुलाई को रिलीज। इसी दिन दो और फिल्मे रिलीज हो रही है. नीरज श्रीवास्तव कृत असली कलाकार और अनुज शर्मा की माधो बैंडबाजा। छोटे से इंडस्ट्री में एक साथ तीन छत्तीसगढ़ी फिल्मों के रिलीज होने से निर्माताओं पर क्या बीतेगा सोचने वाली बात है. इसमेँ से रंगोबती और माधो बैंडबाजा दोनों ही अनुज शर्मा की फिल्म है.
अटका  डेढ़ होशियार
राजू दिलवाला की सफलता के बाद प्रकाश अवस्थी कृत फि़ल्म डेढ़ होशियार जल्द ही नज़दीकी सिनिमेघरों में रिलीज होगी, ऐसा कहा जा रहा है लेकिन हमें खबर मिली है कि यह फिल्म अटक गयी है. फिल्म के कुछ दृश्य अभी शूट होने बाकी है। धन के अभाव में फिल्म का शूट रुका हुआ है. शिक्षा व्यवस्था पर आधारित ये फि़ल्म कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा और सामाजिक, शैक्षिक संदेश लिए हुए है। प्रकाश अवस्थी के साथ नैनी तिवारी, पूरन, उपासना वैष्णव, प्रदीप शर्मा, देव यादव, राजेश जैसे कई कलाकार नजऱ आएंगे। शिक्षा व्यवस्था पर आधारित इस फि़ल्म में हर प्रकार का टेस्ट पब्लिक को मिलने वाला है।

छत्तीसगढिय़ा कलाकारों को वर्षों से नहीं हुआ भुगतान

  • अधिकारियों की पत्नियों पर संस्कृति विभाग मेहरबान, इस विभाग में मंत्री सिर्फ  नाम के होते हैं
     छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग के मंत्री भले ही ठेठ छत्तीसगढिय़ा नेता ही रहे. फिर चाहे वह दयालदास हो, अजय चंद्राकर हो या फिर वर्तमान मंत्री ताम्रध्वज साहू. असल में यहाँ मंत्रियों की कम अधिकारियों की ज्यादा चलती रही है. क्योंकि संस्कृति विभाग के हाथों सबसे ज्यादा कोई छले गए तो वो प्रदेश के प्रतिभावान लोक कलाकार, स्थानीय कलाकार, छत्तीसगढिय़ा कलाकार. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग अक्सर विवादों में रहा, छत्तीसगढिय़ा कलाकारों के निशानों पर रहा.  इसका प्रमाणित तौर खुलासा भी हम यहाँ पर कर रहे हैं. हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह से संस्कृति विभाग अधिकारियों की पत्नियों और बेटियों के साथ बाहरी कलाकारों पर मेहरबान रहा और कैसे स्थानीय कलाकारों को सालों बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है. अब तो बकायदा एक बैनर भी ऑफिस में मौजूदा संचालक अनिल साहू ने भुगतान को लेकर एक टंगवा दिया है.सबसे पहले आप इस बैनर को देखिए इस पर जो लिखा है उसे पढि़ए। इस बैनर में लिखा है कि लंबित भुगतान को लेकर कलाकार परेशान न करे. संचालक अनिल साहू ने इस तरह का साफ निर्देश जारी कर एक तरह से स्थानीय कलाकारों को चेतावनी दे दी है. अब जरा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त इन दस्तावेजों में इन नामों को देखिए। ये नाम है यास्मिन सिंह, पूर्णश्री राउत और अंकिता राउत। यास्मिन सिंह के पति अमन सिंह हैं तो पूर्णश्री राउत के पति एम.के राउत. अमन सिंह और एम.के राउत दो ऐसे अधिकारी रहे हैं जिनकी तूती पूर्व सरकार में खूब बोलती रही है. यही वजह है कि संस्कृति विभाग पूर्व अधिकारियों के इन पत्नियों और बेटी पर खुलकर मेहरबान नजर आई. ये और बात है कि संस्कृति विभाग उनता ही उपेक्षा छत्तीसगढिय़ा कलाकारों की है. हमारे पास मौजूद आरटीआई से मिले दस्तावेज यह साफ  बताते हैं कि किस तरह से अधिकारियों की मनमानी छत्तीसगढ़ में होने वाले सांस्कृतिक समारोह में चलती रही है. यहाँ पर आज हम आपको सिर्फ चक्रधर समारोह का आंकड़ा दिखाने जा रहे हैं. आप एक समारोह से ही समझ लीजिए कि असल में छत्तीसगढिय़ा कलाकार कैसे अधिकारियों के हाथों छले जाते रहे हैं, ठगे जाते रहे हैं.
    2016 में हुए 32वाँ चक्रधर समारोह का दस्तावेज देखिएएम. के राउत और पूर्णश्री राउत की बेटी अंकिता राउत ने ओडि़सी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये, वहीं अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 68 हजार रुपये, वहीं मुंबई की सूफी गायिका ऋचा शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया 11 लाख 80 हजार रुपये, इस समारोह में कुल 22 कार्यक्रम हुए लेकिन लोक रंग पर आधारित छत्तीसगढ़ी पर सिर्फ 1 कार्यक्रम हुआ, छत्तीसगढ़ी में प्रस्तुति दी पद्मश्री ममता चंद्राकर ने. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख 10 हजार रुपये.
  • 2017 में हुए 33वाँ चक्रधर समारोह के दस्तावेज देखिए  
  • अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान हुआ 1 लाख 50 हजार रुपये, वहीं एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री ने ओडि़सी नृत्य की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 2 लाख रुपये, जबकि मुंबई की कलाकार रेखा भारद्धाज ने गायन की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 12 लाख 87 हजार 6 सौ 47 रुपये, वहीं इस समारोह में कुल 39 कार्यक्रम हुए. लेकिन छत्तीसगढ़ी पर आधारित कार्यक्रम हुए बीते साल की तरह सिर्फ 1. छत्तीसगढ़ी में लोकरंग की प्रस्तुति दी कविता वासनिक. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख रुपये
     
  • 2018 में हुए 34वाँ चक्रधर समारोह के दस्तावेज देखिए

    एक बार फिर एम.के. राउत की बेटी अंकिता राउत कत्थक की प्रस्तुति दी. और इस बार इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख रुपये, लुधियाना के कलाकार अख्तर ब्रदर्स ने सूफी गायन की प्रस्तुति दी. इन्हें भुगतान किया गया 5 लाख 50 हजार रुपये, इस समारोह में कुल 53 कार्यक्रम हुए. इसमें छत्तीसगढ़ी पर आधारित 2 कार्यक्रम हुए, छत्तीसगढ़ी पर आधारित 2 कार्यक्रम में एक लोकरंग अर्जूंदा का. इन्हें भुगतान किया गया 1 लाख 50 हजार, वैसे सिर्फ शेखर गिरी नहीं बल्कि 8 ऐसे कलाकार थे जिन्हें एक रुपये का भुगतान नहीं किया गया.

    पूर्णश्री शिक्षक विभाग छोड़कर संस्कृति विभाग में अटैच

    वैसे आपको यहाँ यह भी बता दे कि एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री राउत शिक्षक हैं. लेकिन वो स्कूल में पढ़ाना छोड़कर बीते कई सालों से संस्कृति विभाग के मलाईदार पद में पदस्त हैं. दबी जुबान से विभाग के अधिकारी बताते हैं कि वे कभी-कभी ही ऑफिस आती हैं. मतलब साफ है कि संस्कृति विभाग पर अमन सिंह और एम.के. राउत की तूती बोलती रही है. वैसे यहाँ यह भी बता देना लाजिमी होगा कि भूपेश सरकार बनने के बाद पूर्णश्री राउत की ओर से आयोजित कार्यक्रम को लेकर जमकर विवाद हुआ था. बाद में इस मामले में गाज संचालकर और संस्कृति विभाग के सचिव के ऊपर गिरी थी.लेकिन इन सबके बीच सवाल एक बार फिर से संस्कृति विभाग के संचालन को लेकर है क्योंकि नए संचालक अनिल साहू अब संस्कृति विभाग को किस तरह चलाएंगे उसका एक गैर जिम्मेदराना रूप भी देख लीजिए. संचालक इस मसले पर जवाब नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने अपने कार्यालय में मीडिया कैमरे को बैन कर दिया है. मतलब वह अपने हिसाब से सिस्टम को चलाना चाहते हैं.

    क्या संस्कृति विभाग को ठीक कर पाएंगे मंत्री ताम्रध्वज साहू ?

    तो देख लीजिए संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू जी. किस तरह से आपके संस्कृति विभाग ने अभी तक छत्तीसगढिय़ों को छलने, उन्हें ठगने और परेशान करने का काम किया है. अधिकारियों की मनमानी के शिकार छत्तीसगढिय़ा कलाकार किस तरह होतें हैं. इसका तो महज यह एक उदाहरण है. अब भी आपने कदम कड़े नहीं उठाए तो इसी तरह आगे भी संस्कृति विभाग में यह मनमानी चलती रहेगी. आप सिर्फ नाम के मंत्री रहेंगे और चलाते इसे अधिकारी अपने हिसाब ही रहेंगे.

'आई लव यू टूÓ का प्रमोशन करेंगी गरिमा दिवाकर

स्टार कास्ट से भरी पडी है फिल्म
  • छत्तीसगढ़ की जानी मानी गायिका गरिमा दिवाकर सुंदरानी फिल्म प्रोडक्शन की फिल्म 'आई लव यूं टूÓ  का प्रमोशन करेंगी। गरिमा 8 साल की उम्र में अपनी कॅरियर की शुरुआत सुंदरानी वीडियो वल्र्ड से ही की थी जब श्री मोहन सुंदरानी ने उनकी आवाज में एक पंथी गाने की रिकार्डिंग की थी. वो गाने आज भी बेहद चर्चित है. उसके बाद गरिमा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा है. 'आई लव यूं टूÓ  के निर्माता लखी सुंदरानी ने गरिमा दिवाकर को अपनी आने वाले फिल्म 'आई लव यूं टूÓ  के प्रमोशन का जिम्मा सौंपा है. वह फिल्म बनाकर तैयार है. 
  • इस फिल्म में 35 कलाकार है जिसमे से 8 बाल कलाकार हैं. फिल्म की कहानी दर्शकों को ध्यान में रखकर लिखा गया है. यह फिल्म कॉमेडी, एक्शन, रोमांस से भरपूर है. छालीवुड की चर्चित जोड़ी मन कुरैशी और मुस्कान साहू एक  इस फिल्म के जरिये बड़े परदे पर धमाल मचाएंगी। इस फिल्म में स्टार कास्ट है. उर्वशी -उपासना वैष्णव लोगों को हंसाते नजर आएंगी। इसके अलावा रजनीश झांजी, प्रदीप शर्मा, संजू साहू, पुष्पेंद्र सिंह, बिलास राउत, संगीता यादव जैसे मंजे हुए कलाकार हैं. निर्माता लखी सुंदरानी ने बताया कि फिल्म के लेखक, गीतकार, पटकथा, संवाद उत्तम तिवारी का है जो इस फिल्म के निर्देशक भी हैं. संगीत सूरज महानंद ने दिया है तो तोरण राजपूत ने कैमरे का दायित्व निभाया है.एक्शन जॉनसन अरुण का है तो कोरियोग्राफर है निशांत उपाध्याय, चंदनदीप और बिलास राउत।

बॉलीवुड की तरह अब टकराएंगे छॉलीवुड की फिल्में

एक साथ कई फिल्में होंगी रिलीज

        छालीवुड भी अब बॉलीवुड की राह पर है. फि़ल्में इतनी बनने लगी है जितना छत्तीसगढ़ में थियेटर नहीं है. यही कारण है कि अब यहां की फि़ल्में भी आपस में टकराएंगे। 2018 में 32 फिल्मे बनी और मात्रा 14 फि़ल्में ही रिलीज हो पाई. इस साल एक ही तारीख पर कई फिल्मे रिलीज करने का ऐलान किया गया है. यह अलग बात है कि फिल्म को टाकीज ना मिले। 26 अप्रैल को महुँ कुंवारा तहूँ कुंवारी एक साथ 22 टाकीजों में लगेगी। 16 जून को दो फिल्मे हंस झन पगली फंस जाबे और राजा भैया एक आवारा रिलीज होने जा रही है. हंस झन पगली फंस जाबे के नायक मन कुरैशी है तो राजा भैया एक आवारा के नायक अनुज शर्मा है. यही नहीं 19 जुलाई को तो तीन फिल्मे रिलीज करने का ऐलान निर्माताओं ने किया है. निर्माता अशोक तिवारी की रंगोबती , अखिलेश मिश्रा की असली कलाकार और तीसरी फिल्म है माधो बैंड वाला। रंगोबती और  माधो बैंड वाला ने तो टाकीज भी बुक कर लिया है. जुलाई में इन तीन फिल्मो के बाद निर्माता मोहन सुंदरानी ने अपनी फिल्म आई लव यू 2 अगस्त में और कचरा बोदरा नवंबर में लाने का ऐलान कर दिया है.
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अनुज शर्मा नए रंग में नजर आएंगे

फिल्म रंगोबती प्रदर्शन के लिए तैयार
हीरा फिल्म क्रिएशन के बैनर तले बनकर तैयार छत्तीसगढ़ी फिल्म 'रंगोबतीÓ में छालीवुड के सुपर स्टार अनुज शर्मा नए रंग में नजर आएंगे। इस फिल्म के निर्माता है अशोक तिवारी और निर्देशन किया है मशहूर विलेन 'पुष्पेन्द्र सिंहÓ ने। इसके पहले पुष्पेंद्र सिंह ने फिल्म रंगरसिया का निर्देशन किया था वह  फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई थी.अब रंगोबती की लोगों को बेसब्री से इन्तजार हैं. 
  • इस फिल्म में अनुज शर्मा का किरदार शानदार है वे पहली बार लड़की की भूमिका में है। हमारी छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा में नाचा का विशेष स्थान है जिसमें सारे कलाकार पुरूष होते है और उनमें जो नारी पात्र निभाते है उन्हे तो मंच पर पहचान पाना मुस्किल होता है। ऐसा ही रोल अब अनुज शर्मा फिल्म रंगोबती में किये हैं। अभिनय किस तरह का है, काम कैसा है यह हम नहीं बताएँगे। इसके लिए आपको थियेटर तक जाना होगा लेकिन इतना जरूर है फिल्म देखकर बहुत मजा आएगा क्योकि अनुज शर्मा को इस फिल्म में देखना एक नया अनुभव होगा।बतौर हिरोइन लेजली त्रिपाठी को आप रंगोबती में देखेंगे ही वे बहुत ही अनुभवी और शानदार एक्ट्रेस है। साथ ही प्रदीप शर्मा, निशांन्त उपाध्याय, शैलेन्द्र भट्ट, तरुण बघेल, उपासना वैष्णव, संतोष यादव, संगीता निषाद , संजना, निशा चौबे , अन्नू शर्मा, राजू पांडेय के अलावा विक्रम राज भी अहम किरदार में है। ऑन स्क्रीन युनिट की बात करे तो फिल्म में कैमरा मेन- दिनेश ठक्कर, फाइट मास्टर- जॉनसन अरुण , संगीत- सुनील सोनी, डांस डाइरेक्टर- निशांन्त उपाध्यय का बेहतरीन काम देखेने को मिलेगा। फिलहाल 19 जुलाई तक प्रतिक्षा कीजिये पुष्पेंद्र सिंह की निर्देशन में निर्मित रंगोबती का। रंगोबती की ज्यादतर शूटिंग पाटन के पास ग्राम पंदर में हुई है साथ ही कोरबा, कवर्धा, कांकेर, बालोद आदि अंचलों में गानों की शूटिंग की गयी है।

अपनी चहेती अभिनेत्री मोना सेन को राज्यसभा में देखना चाहतें हैं छत्तीसगढिय़ा

युवाओं के लिए रोल मॉडल है , अभिनय और गायिकी में है महारत हासिल
       छत्तीसगढ़ की जानी मानी फिल्म कलाकार, गायिका मोना सेन आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. गाँव- गाँव, शहर- शहर सभी जगह उनका डंका बजता है. ऐसा कोइ नारी सम्मान नहीं है जो उन्हें ना मिला हो. यही कारण है की उन्हें छत्तीसगढ़ की लाडली बेटी कहा जाता है.यही कारण है की छत्तीसगढ़ के वासिंदे अपनी इस चाहती अभिनेत्री को राज्यसभा में देखना चाहते हैं. वे चाहते हैं की उन्हें कला क्षेत्र से मनोनीत किया जाए. 

मोना सच में छत्तीसगढ़ की शान है. फिल्मो में धूम मचाने के बाद वे समाज सेवा में आई और कई बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था की.अब वह अपनी समाज की सेवा में जुटी हुई है. मोना सेन बच्चों में काफी लोकप्रिय है। वे जहां भी जाती है लोग उन्हें घेर लेते हैं। मोना कहती है कि समाजसेवा करने करने से उन्हें बहुत ही सुकून मिलता है। भविष्य में वे उन क्षेत्रों में जाएंगी जहां सरकारी मिशनरी नहीं पंहुच पाई है। मोना एक ऐसी अभिनेत्री है जिसका जलवा आज भी छत्तीसगढ़ के गाँवों में देखने को मिलता है। उन्हें तमाम सम्मान मिल चुका है कौशिल्या माता सम्मान , मिनीमाता सम्मान , नारी शक्ति सम्मान प्राइड आफ छत्तीसगढ़, बेस्ट एंकर आफ छत्तीसगढ़, वीरांगना सम्मान मप्र शासन सहित उनके पास अनगिनत सम्मान है। छॉलीवुड स्टारडम ने पॉपुलर एक्ट्रेस आफ छत्तीसगढ़ अवार्ड से सम्मानित किया है. राजनांदगांव खैरागढ़ सहित कई सभाओं में तात्कालीन सांसद अभिषेक सिंह और विधायक सावलराम डहरिया ने उन्हें छत्तीसगढ़ की बेटी और छत्तीसगढ़ की शान कहकर उनका मान बढ़ाया। मोना सेन आज युवाओं ले लिए रोल मॉडल है. वे कहती है कि कोइ भी काम संभव नहीं होता। बस मन में लगन और दृढ़ इच्छा होनी चाहिए। हमने कर्म को महत्त्व दिया और सफलता हमारे साथ चली आई।  इसलिए युवा काम को प्राथमिकता दे और हर काम लगन से करें उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।
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फिल्मों में ही कॅरियर बनाएंगी आराध्या सिन्हा

एक्सपो इंडिया आफ इंटरनेशनल मेकअप कॉम्पिटिशन की विनर है
           छालीवुड की 16 साल की अभिनेत्री आराध्या सिन्हा ने अभी हाल ही में प्रगति मैदान नयी दिल्ली में हुई एक्सपो इंडिया आफ इंटरनेशनल मेकअप प्रतियोगिता में परचम लहरा कर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है. इस स्पर्धा में वे सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थी. आराध्या ने इसी साल दसवीं की परीक्षा 82 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की है. स्पर्धा जीतकर लौटी आराध्या सिन्हा ने कहा- कि उनका मकसद माँ बाप के सपनों को पूरा करना और उनका नाम रौशन करना है. आराध्या सिन्हा ने सोल्जर छत्तीसगढिय़ा से छालीवुड में एंट्री की है और जल्द ही एक बड़ा मुकाम हासिल कर ली है. सुंदरानी फिल्म प्रोडक्शन की फिल्म आई लव यू टू में वे नायक मन कुरैशी की बहन की भूमिका में नजर आएगी। इस फिल्म से उन्हें बहुत ही उम्मीद है. वे कहती हैं कि आई लव यू टू को दर्शकों के लायक बनाने के लिए हमने बहुत ही मेहनत की है. मॉडलिंग का मुझे शौक था लेकिन अब एक्टिंग में किस्मत आजमा रही हूँ। अब इस क्षेत्र में ही आगे बढूंगी।


0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटी थी तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है।
0     छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है ?
बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ओर ज्यादा है।
0 आपको मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मॉडलिंग से कॅरियर से शुरुवात की है और मेरी पहली फिल्म सोल्जर छत्तीसगढिय़ा है जो बड़े परदे पर आ चुकी है। मुकेश स्वर्णकार ने मुझे इस फिल्म के लिए ऑफर दिया और आज मै आपके सामने हूँ।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली थी। अब इसी लाईन पर काम करती रहूंगी । लगातार काम करूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगी?
मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगी।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है। माँ-बाप का नाम रोशन करना मेरा मकसद है.
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