महिला के रूप में मिली ज्यादा प्रसिद्धि
छत्तीसगढ़ी फिल्म एवं लोक कलाकार शिवकुमार दीपक को आज छत्तीसगढ़ का बच्चा बच्चा जानता है. कचरा बोदरा में कचरा का किरदार निभाने वाले शिवकुमार दीपक को औरतों के रूप में ज्यादा प्रसिद्धि मिली है. वे बताते हैं कि मजाक पहले आदत बनी फिर वही आदत लोगों की चाहत बनती चली गई। स्वभाव से मजाकिया और रुपहले पर्दे पर भी हास्य कलाकार शिवकुमार दीपक आज अपनी उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां लोग बिना सहारे के कुछ नहीं कर पाते हैं.
दुर्ग जिले का पोटिया गांव उन्ही के नाम से जाना जाता है। लोग यह भी कहते हैं कि वही पोटिया गांव ना जहां दीपक जी रहते हैं। शिव कुमार दीपक ने अपना सारा जीवन एक्टिंग में बिता दिए। उन पर खुद एक बायोपिक बननी चाहिए लेकिन वे मंदरा जी की बायोपिक में नजर आएंगे। दीपक जी और स्वर्गीय कमल नारायण सिन्हा की जोड़ी कचरा बोदरा के नाम से प्रसिद्ध हुई और कई फिल्मों में उन्होंने महिला का रूप धारण कर लोगों को खूब हंसाया, लेकिन यह जोड़ी अब नहीं है. कमल नारायण हृदय घात से दिवंगत हो चुके हैं, लेकिन दोनों ने जो कसम खाई थी उसे दीपक निभा रहे हैं लोगों को हंसा कर । बड़ा दुख होता है जब दूसरों को हंसाने वाला खुद चुपचाप रुलाकर रुखसत हो जाता है।
शिव कुमार दीपक जी आज भी अपनी कलाकारी के दम पर लोगों को हंसाते हैं लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वे अपने साथी कमल नारायण को याद करते हैं। वे बताते हैं कि कैसे हम दोनों औरतों का रूप धारण करके कॉमेडी किया करते थे, दर्शकों को हमारा किरदार इतना पसंद आया करता था कि जिन फिल्मों के भी ऑफर हमारे पास आते थे सभी महिला के ही किरदार के हुआ करते थे । छत्तीसगढ़ी सिनेमा में जब पद्मश्री के नाम की चर्चा चली तो सभी ने एकमत होकर शिव कुमार दीपक जी का नाम आगे किया था, लेकिन इन्हे अब तक पद्मश्री नहीं मिला। छत्तीसगढ़ में यही एक ऐसे कलाकार हैं जो पद्मश्री का हक रखतें हैं.
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