रविवार, 14 जुलाई 2019

छालीवुड का भविष्य बेहतर है - शिखा


देश की बेहतरीन अदाकारा की राय

- अरुण कुमार बंछोर
छत्तीसगढ़ की बेटी शिखा चिताम्बरे आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. उन्होंने छालीवुड से बॉलीवुड तक का सफर पूरा कर लिया है. एलबम से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली शिखा चिताम्बरे ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बाद भोजपुरी फिल्म और कई टीवी धारावाहिकों में अपने अभिनय का जलवा दिखाया है. शिखा की सारी छत्तीसगढ़ी फिल्मे लगभग हिट रही है. वे गायिका भी है और यह कला उन्हें माँ से विरासत में मिली है.इन दिनों शिखा चिताम्बरे फिल्म जोहार छत्तीसगढ़ की शूटिंग में व्यस्त है. वे कहती हैं कि छालीवुड का भविष्य बेहतर हैं.आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की जनता हमारी छत्तीसगढ़ी फिल्मों को ही देखना पसंद करेगी। शिखा से हमने जोहार छत्तीसगढ़ के सेट पर हर पहलुओं पर बात की है पेश है बातचीत के सम्पादित अंश.
0 आपने अपने कॅरियर के लिए फिल्म लाईन को ही क्यों चुना?

00 बचपन से ही मुझे डांस और गायन में रूचि रही है. कुछ अच्छा करने की तमन्ना थी तो आ गई। एलबम से कॅरियर की शुरुआत की फिर फिल्मे की और बाद में मुंबई जाकर धारावाहिकों में काम किया।
0 इस क्षेत्र में कब से है और कैसे ब्रेक मिला?
00 इस क्षेत्र में मै 13 साल की उम्र से हूँ। मुझे मिस छत्तीसगढ़ स्पर्धा से ब्रेक मिला। मै भरतनाट्यम नृत्यांगना हूँ। मैंने राष्ट्रीय स्तर पर दो बार इस कला में विजेता होने की उपलब्धि हासिल की है फेमिना के एक शो में मै भरतनाट्यम परफोर्म कर रही थी संयोग से उस दौरान छत्तीसगढ़ी फिल्मो के कलाकारों की एक टीम वह मौजूद थी उन्होंने मुझे वीडियो एलबम्स में काम करने प्रस्ताव दिया वही से मुझे अभिनय जगत में प्रवेश मिला।
0  छालीवुड का भविष्य कैसा है?
00 छालीवुड का भविष्य बेहतर हैं.आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की जनता हमारी छत्तीसगढ़ी फिल्मों को ही देखना पसंद करेगी।
0 फिर आप मुम्बई छोडक़र छत्तीसगढ़ क्यों लौट आई ?
00 मुझे छत्तीसगढ़ अच्छा लगता है। जब जब मुझे छत्तीसगढ़ी फिल्मे मिलेगी मै जरूर करूंगी। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में  मेरा अपना नाम है। छत्तीसगढ़ , छत्तीसगढ़ी फिल्मो और छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति मुझे बहुत लगाव है। मै इसके के लिए कुछ करना चाहती हूँ , जिससे छत्तीसगढ़ का नाम मेरे साथ जुड़े।
0 आपके प्रेरणाश्रोत कौन है?
00 मेरी माँ ही मेरी प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने मझे बहुत सपोट किया ,जिसके कारण आज मै इस मुकाम पर हूँ।
0 आप अपना आदर्श किसे मानते है ?
00 श्रीदेवी को। वे बहुत ही नेकदिल इंसान रही है। मैंने उन्हें फॉलो भी करती रही हूँ।
0 फिल्मो में काम करने के अलावा आपकी और क्या करती है ?
00 जैसा की आप जानते है की मै छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम कर रही हू इसके अलावा मै ये बताना चाहती हू की मै बी एस सी आई टी में स्नातक हू और पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय से एम बी ए की पढाई की हू और कला जगत से तो मेरा जुडाव है ही चित्रकारी नृत्य और गायन मुझे बेहद पसंद है बस इन्ही से जुडी गतिविधिया है मेरी।
0 भविष्य की क्या योजना है ?
00 बस एक अच्छा इंसान और एक अच्छी एक्ट्रेस के रूप में पूरे देश में नाम कमाने की तमन्ना है।

रंगोबती का हर किरदार दमदार है

पुष्पेंद्र सिंह के निर्देशन है काबिले तारीफ

- श्रीमती केशर सोनकर
 
हीरा क्रिएशन फिल्म के बैनर तले बनी फिल्म रंगोबती का हर किरदार दमदार है. हम यह इसलिए कह रहे हैं क्योकि फिल्म के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह हैं जो अपनी फिल्म में किसी प्रकार का समझौता नहीं करते। चाहे वह कलाकार का चयन हो या वेशभूषा हो या अन्य कोइ सुविधाएं हो. फिल्म की बेहतरी के लिए जो चाहिए वे सब करते हैं.
इस फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि कलाकारों का चयन पात्र के अनुसार ही हुआ है. निर्माता कोइ नाम सुझाते थे और वह पात्र पर फिट नहीं बैठते तो तो निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह साफ़ मना कर देते थे. यही एक अच्छे निर्देशक का सबसे बड़ा गुण है.फिल्म में सभी स्टार कास्ट हैं. नायक अनुज शर्मा को तो आप जानते ही हैं. वे सुपर स्टार हैं ही और एक अच्छे गायक भी. वे पहली बार महिला के किरदार में दिखेंगे। नायिका लेजली त्रिपाठी बॉलीवुड फेम है. वे एक ऐसी नायिका है कि उनकी अदाकारी छत्तीसगढ़ में सबसे बेहतर है. फिल्म में शैलेन्द्र भट्ट और संगीता निषाद की जोड़ी दर्शकों को खूब हंसाएगी। दोनों ही कलाकार नए रूप में नजर आएंगे। संजना , प्रदीप शर्मा और निशांत उपाध्याय ने तो कमाल ही किया है. ये भी लोगों का मनोरंजन करते नजर आएंगे। इनके अलावा सभी कलाकारों की भूमिका दमदार है. कहानी प्यार और रोमांस पर आधारित है. हम विस्तार से नहीं बताएँगे। इसे जानने के लिए आपको टाकीज तक जाना होगा।

छत्तीसगढ़ के अनोखे कलाकार हैं ‘डॉ अजय सहाय’


छत्तीसगढ़ के नामी कलाकार डॉ अजय सहाय को हम अनोखे कलाकार इसलिए कह रहे क्योकि वे सदाबहार हैं. सभी प्रकार के रोल वे बखूभी निभाते हैं. कभी भिखारी, कभी किसान, कभी पागल, कभी इन्स्पेक्टर, कभी नेता, कभी विलेन तो कभी मुनीम। सभी रोल में हम उन्हें देख चुके हैं. ये चित्र हैं उनकी एक अनाम फिल्म की जिसकी शूटिंग अभी चल रही है. इस फिल्म में वे चन्द्रभान सिंह ठाकुर की भूमिका में है. दाऊ चंद्रभान क़ाफी अनुशासित व्यक्ति हैं. इस भूमिका को भी वे जीवंत बनाये हुए हैं.

डॉ अजय सहाय इसलिए भी अनोखे हैं क्योकि वे सिर्फ कलाकार ही नहीं, नायक, खलनायक, लेखक, निर्देशक साहित्यकार, कवि, रंगकर्मी, पटकथा जैसे अनेक कलाओं में पारंगत भी हैं। इन दिनों अपने दर्जन भर फिल्मो के रिलीज ना होने से काफी आहत हैं फिर भी वे लगातार फिल्मे कर रहे हैं . व्यस्तता इतनी ज्यादा है कि उन्हें कई फिल्में छोडऩी पडी है. छत्तीसगढ़ी फिल्मों का वे एक आधार स्तम्भ है। उन्होंने एक नहीं कई भाषाओं की फिल्मो में अभिनय कर सबके सामने एक चुनौती पेश की है। जितने अच्छे वे मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ है उतने ही बेहतर कलाकार है। छालीवुड पर हर भूमिका में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवा रहे है। हम उन्हें अवार्डों के बादशाह भी कहते हैं। विभिन्न कलाओं और समाजसेवा में उनके नाम 150 से अधिक अवार्ड है. सतीश जैन की हंस झन पगली फंस जाबे, प्रेम चन्द्राकर की लोरिक चंदा, जेठू साहू की सॉरी लव यू, गणेश मेहता की 4 फंटूश (हिंदी), राठौर निर्मित साउंड ऑफ वाटर (हिंदी) उनकी हालिया अभिनीत फिल्में है। हिन्दी धार्मिक फिल्म भक्त माँ कर्मा, अंधियार, कहर जैसी फिल्मों के प्रदर्शित होने का उन्हें ब्रेसब्री से इंतजार है।

पद्मश्री के असली हकदार हैं शिवकुमार दीपक


महिला के रूप में मिली ज्यादा प्रसिद्धि

छत्तीसगढ़ी फिल्म एवं लोक कलाकार शिवकुमार दीपक को आज छत्तीसगढ़ का बच्चा बच्चा जानता है. कचरा बोदरा में कचरा का किरदार निभाने वाले शिवकुमार दीपक को औरतों के रूप में ज्यादा प्रसिद्धि मिली है. वे बताते हैं कि मजाक पहले आदत बनी फिर वही आदत लोगों की चाहत बनती चली गई। स्वभाव से मजाकिया और रुपहले पर्दे पर भी हास्य कलाकार शिवकुमार दीपक आज अपनी उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां लोग बिना सहारे के कुछ नहीं कर पाते हैं.
दुर्ग जिले का पोटिया गांव उन्ही के नाम से जाना जाता है। लोग यह भी कहते हैं कि वही पोटिया गांव ना जहां दीपक जी रहते हैं। शिव कुमार दीपक ने अपना सारा जीवन एक्टिंग में बिता दिए। उन पर खुद एक बायोपिक बननी चाहिए लेकिन वे मंदरा जी की बायोपिक में नजर आएंगे। दीपक जी और स्वर्गीय कमल नारायण सिन्हा की जोड़ी कचरा बोदरा के नाम से प्रसिद्ध हुई और कई फिल्मों में उन्होंने महिला का रूप धारण कर लोगों को खूब हंसाया, लेकिन यह जोड़ी अब नहीं है. कमल नारायण हृदय घात से दिवंगत हो चुके हैं, लेकिन दोनों ने जो कसम खाई थी उसे दीपक निभा रहे हैं लोगों को हंसा कर । बड़ा दुख होता है जब दूसरों को हंसाने वाला खुद चुपचाप रुलाकर रुखसत हो जाता है।
शिव कुमार दीपक जी आज भी अपनी कलाकारी के दम पर लोगों को हंसाते हैं लेकिन उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वे अपने साथी कमल नारायण को याद करते हैं। वे बताते हैं कि कैसे हम दोनों औरतों का रूप धारण करके कॉमेडी किया करते थे, दर्शकों को हमारा किरदार इतना पसंद आया करता था कि जिन फिल्मों के भी ऑफर हमारे पास आते थे सभी महिला के ही किरदार के हुआ करते थे । छत्तीसगढ़ी सिनेमा में जब पद्मश्री के नाम की चर्चा चली तो सभी ने एकमत होकर शिव कुमार दीपक जी का नाम आगे किया था, लेकिन इन्हे अब तक पद्मश्री नहीं मिला। छत्तीसगढ़ में यही एक ऐसे कलाकार हैं जो पद्मश्री का हक रखतें हैं.

खूबियों का खजाना है अनिल शर्मा



0 छत्तीसगढ़ी फिल्मो की क्या संभावनाएं हैं?

  • जब तक टेक्नीकल क्षेत्र में एक्सपर्ट लोग नहीं होंगे तब तक ऐसी ही कमजोर फिल्मे बनती रहेंगी। यहां जिसे जो नहीं आता वही करते हैं । गायक निर्देशक बन जाता है। कोई भी फाइट मास्टर बन जाता है। कोई प्लानिंग नहीं होती । तो आप अंदाज लगा ले कैसी फिल्मे बनेंगी। 

0 छत्तीसगढ़ी सिनेमा अच्छा व्यवसाय करे इसके लिए क्या कर सकते हैं?
00 यहां फिल्मे कमजोर बन रही है । फिल्मे नहीं चल पाती इसकी वजह भी हैं और वो सब जानते हैं कि पिछड़े हुए राज्य में टॉकीजों का विकास नहीं होना। छत्तीसगढ़ में मिनी सिनेमाघर दो सौ दर्शकों की क्षमता वाली टॉकिजों की बड़ी आवश्यकता है जहां छत्तीगसढ़ी फिल्मों के दर्शक आसानी से पहुंच सके।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै छोटा था तब पहली फिल्म देखा था ,तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है। मैंने थियेटर ज्वाइन किया और आज इस मुकाम पर हूँ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता क्योकि निर्माता सबसे पहले फाइनेंसर की तलाश में होता है। जो पैसा लगाता है वो कलाकार बन जाता है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मै थियेटर से आया हूँ।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 नहीं ! किस्मत ने मुझे फिल्मो में खींच लाया और अब इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00 मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये , टाकिजों में छत्तीसगढ़ी फिल्म दिखाना अनिवार्य करे। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आप फिल्मो में भूमिका को लेकर कैसा महसूस करते हैं ?
00
जब मैं कोई भूमिका निभाता हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करता हूँ। फिर उसमे पूरी तरह से डूब जाता हूँ।

हेमा की छालीवुड में धमाकेदार एंट्री


दो साल में सात फिल्में

छत्तीसगढ़ की एक छोटे से स्कूल से छालीवुड में आने वाली हेमा शुक्ला की एंट्री धमाकेदार रही है. धमाकेदार हम इसलिए कह रहे हैं क्योकि हेमा ने महज दो साल में सात फिल्मे कर ली है. सोल्जर छत्तीसगढिय़ा से उन्होंने फिल्म में प्रवेश की है और अब लगातार फिल्मे कर रही हैं. हेमा अपने अपने कॅरियर की शुरुवात मॉडलिंग से की है और वे सिर्फ लीड रोल ही करना चाहती है.
 वे कहती हैं कि मुझे बचपन से ही मॉडलिंग का शौक है। मै जब भी टीवी में मॉडलों को देखती हूँ तब तब मै रोमांचित हो उठती हूँ। मैंने मॉडलिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। खुद से करती हूँ। ये मेरा शौक है लेकिन अब फिल्म ही करना चाहूंगी। मेरा कोई प्रेरक भी नहीं है मै खुद ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हूँ। न मैंने किसी से सीखा है और न ही किसी ने मुझे इस क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा ही दी है। हेमा में काम के प्रति जूनून है. उनका कहना है कि बचपन से ही मुझे फिल्म देखने और कुछ करने की रूची रही है। और एक बार मै मन में कुछ ठान लेती हूँ तो करती जरूर हूँ। वे कहती हैं कि छालीवुड की सम्भावनाये बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों की कमी को सरकार पूरा करे। हेमा छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती है।

चार भाषाओं में एक साथ फिल्म करेंगी माहिरा


छत्तीसगढ़ी फिल्म राधे अंगूठा छाप से छालीवुड में कदम रखने वाली माहिरा खान यूँ तो कई फिल्मे कर चुकी है लेकिन बड़े परदे पर आने वाली यह उनकी पहली फीचर फिल्म है।
वे कहती है कि पहली ही फिल्म में सुपर स्टार करण खान के साथ काम करने का अपना अलग ही मजा है। फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। अच्छा सोचकर इस लाईन में कदम रखी हूँ तो एक दिन छालीवुड में कुछ बनकर जरूर दिखाउंगी। माहिरा अभी एक साथ चार भाषाओं की फिल्म में काम करने वाली है.हिन्दी ओडिया भोजपुरी और साउथ की फिल्मे उन्होंने साइन की है. सभी फिल्मों में लीड रोल में होंगी। माहिरा फिल्मो के लिए कई भाषाए और डांस सीख रही है. उनका कहना है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है । मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। करन खान ने मुझे मेरा काम देखा और मौका दिया। वे कहती हैं कि शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चल रही थी। इसी लाईन पर काम करती रहूंगी। एक प्रश्न के जवाब में माहिरा कहती है कि मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। जब मैं कोई भूमिका निभाती हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करती हूँ। महिरा कभी निराश नहीं होती। वे छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती है। अपनी मेहनत से एक अच्छी एक्ट्रेस बनना चाहती है।