शनिवार, 31 मार्च 2018

पहला किशोर साहू सम्मान मनोज वर्मा को

राज्य सरकार ने किया ऐलान
छत्तीसगढ़ सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा को पहला  राष्ट्र स्तरीय किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण से नवाजा जाएगा। राज्य सरकार ने इसका ऐलान कर दिया है.किशोर साहू छत्तीसगढ़ के ही निवासी थे.संस्कृति विभाग के मुताबिक किशोर साहू सम्मान की ज्यूरी में बॉलीवुड के राइटर अशोक मिश्र , फिल्म निर्देशक अनुराग बसु, अभिनेता रघुवीर यादव  और बॉलीवुड के 8 डायरेक्टर जयंत देशमुख शामिल थे। इस ज्यूरी ने सर्वसम्मति से पहले किशोर साहू सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ी फिल्म का मनोज वर्मा का चयन किया है। 
मनोज वर्मा ने हाल ही में एक फिल्म बनाई भूलन-द-मेज . इस फिल्म ने देश-विदेश में कई अवॉर्ड हासिल कर छत्तीसगढ़ का नाम पूरे दुनिया में रोशन किया है। छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग द्वारा हिन्दी और छत्तीसगढ़ी सिनेमा में फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों और साधना को सम्मानित करने के लिए राष्ट्र स्तरीय किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण और राज्य स्तरीय किशोर साहू सम्मान की स्थापना इस वर्ष की गई है। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और दीर्घ साधना में लगे व्यक्ति और संस्थाओं को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर के किशोर साहू अलंकरण के लिए दस लाख रूपए नगद और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। इसी तरह राज्य स्तरीय किशोर साहू सम्मान के लिए छत्तीसगढ़ी और हिन्दी सिनेमा में रचनात्मक लेखन, निर्देशन अभिनय और पटकथा निर्माण के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्ति और संस्था की श्रेष्ठ उपलब्धियों और दीर्घ साधना को सम्मानित करने के लिए दो लाख रूपए नगद और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जायेगा।

संगीता दिखेंगी 'आई लव यूं ' में

छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री संगीता निषाद की दिली तमन्ना सिंगर बनने की है। वे आगे जाकर गायन के क्षेत्र में ही कॅरियर बनाना चाहती है। संगीता भरथरी गायन की एक अच्छी कलाकार है और अभी स्टेज शो भी करती है। वास्तविक जिंदगी में भी संगीता काफी संघर्षशील रही है। 

परिवार चलाने के साथ साथ उन पर अपने भाई बहन को पढ़ाने लिखाने की भी जिम्मेदारी है। वे कहती है कि रील लाइफ हमें प्रेरणा देती है जिसे मैं रियल लाइफ में भी उतारने की कोशिश करती हूँ। संगीता अब फिल्मो की बेहतर अदाकारा है.उनमे कला कूट कूट क्र भरा हुआ है.वे अभी हाल में बनी छत्तीसगढ़ी फिल्म  'आई लव यूंÓ में ठकुराइन की भूमिका में नजर आयेंगी। संगीता कहती है कि मन में लगन और इच्छा हो तो कोई भी काम किया जा सकता है। वक्त ने मुझे फिल्मो में खींच लाई । मुझे जो भूमिका मिलती है उसे मै पूरी ईमानदारी से निभाती हूँ । उनकी आवाज में गजब जादू है , वे चाहती भी है कि वे अच्छी सिंगर बने उनकी अब भी यही कोशिश है कि  सिंगर के रूप में ही पहचाने । संगीत की हर कला में माहिर है संगीता। भरथरी गायन के साथ अभी वे स्टेज शो भी करती है साथ ही नाट्य मंचन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है । सीनियर कलाकार पुष्पेन्द्र सिंह के निर्देशन में तैयार छत्तीसगढ़ के सियाराम में संगीता ने गजब की भूमिका निभाई है. ये नाटक पुष्पेन्द्र जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. वे कामतादास मानिकपुरी के साथ मै काफी स्टेज शो कर चुकी हूँ। संगीता बताती है की बचपन से ही मै भरथरी गीत के प्रति आकर्षित रही हूँ । फिल्मो में जरुर आ गयी पर मेरी रूचि गायन में ही है । फिल्मों में मै भाभी और बहन की भूमिका अदा करती हूँ और मुझे जो भी भूमिका मिलती है उसे पूरी तरह से डूबकर निभाती हूँ। फिलहाल मैंने अभी पांच फिल्मे की है।
हिन्दी फिल्मों में संगीता को रेखा और काजोल पसंद है तथा छत्तीसगढ़ी फिल्मों में पुष्पांजली और उपासना बेहद पसंद है। पर वे किसी को फॉलो नहीं करती है। उनका कहना है कि रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत फर्क होती है। रियल लाइफ को संघर्षपूर्ण होने के बाद भी जीना पड़ता है और रियल लाइफ हमें प्रेरणा देती है। जो रील लाइफ में होता है उसे रियल लाइफ में उतारने की कोशिश करना चाहिए। एक प्रश्न के जवाब में वे कहती है कि छत्तीसगढ़ मेंफीमेल कलाकार बहुत है पर अच्छे घरों की लडकियां इस फिल्ड में आना नहीं चाहती क्योकि उन्हें वो सम्मान नहीं मिलता जो वो चाहतीं हैं। इसलिए कमी बनी हुई है।

बदल गए हैं छॉलीवुड के सर्वश्रेष्ठ चेहरे

अनुज शर्मा, सोनाली सहारे , पुष्पेन्द्र सिंह, अशरफ, रजनीश , उपासना वैष्णव, है अब श्रेष्ठ
- अरुण बंछोर
छॉलीवुड के एक से बढ़कर एक कलाकार हैं लेकिन सर्वश्रेष्ठ कलाकारों के चेहरे इस बार बदल गए है। अनुज शर्मा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं तो पुष्पेन्द्र सिंह सर्वश्रेष्ठ निर्देशक हैं। संजना सोनी सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन है , तो अशरफ अली सर्वश्रेष्ठ डेव्यु एक्टर हैं। उपासना वैष्णव सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री ,रजनीश झांझी सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता और निशांत उपाध्याय सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर हैं।
सर्वश्रेष्ठ फिल्म रंगरसिया द जेंटलमेन
छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में फिल्म रंगरसिया द जेंटलमेन को वर्ष 2017 का सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड मिला है. यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ अभिनेता सहित 14 अवार्ड लेकर सर्वश्रेष्ठ बनी है. इस फिल्म के निर्माता हैं अशोक तिवारी जो स्वयं भी सर्वश्रेष्ठ कहानीकार है. 2017 में 13 फिल्मे रिलीज हुई थी जिसमे 11 फिल्मों ने अवार्ड समारोह में हिस्सा लिया था. 14 अवार्डों के साथ यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ रही.
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता अनुज शर्मा
छालीवुड ने इस बार इतिहास रचा। लगातार अनुज शर्मा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता बने हैं। छालीवुड स्टारडम ने उन्हें बेस्ट हीरो का अवार्ड फिल्म रंगरसिया के लिए दिया तो पूरी स्टेडियम तालियों की गडगड़़ाहट से गूंज उठा। अनुज ने अपना अवार्ड रंगरसिया की टीम को समर्पित करते हुए कहा की यह मेरे जीवन का अनमोल क्षण है। उन्होंने कहा की हमारी पूरी टीम ने इस फिल्म में बहुत मेहनत की थी। रात दिन हम एक कर दिए थे। हमारी मेहनत आज सफल रही। थैंक्स छॉलीवुड छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सुपर स्टार अनुज शर्मा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि फेसबुक पर उनके फालोवर्स की संख्या एक लाख से भी ऊपर हैं और उसके आसपास कोइ भी छत्तीसगढ़ के कलाकार नही है। उनके फेसबुक पेज को 60 हजार से अधिक लोग पसंद करते है यह अपने आप में एक रिकार्ड है। कलाकारों में तो दूर छत्तीसगढ़ में कोइ भी (मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को छोडकऱ) उनके करीब भी नहीं है। छालीवूड़ में कहने को तो बहुत से सुपर स्टार है लेकिन दर्शकों की नजर में एक ही सुपर स्टार है अनुज शर्मा।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सोनाली सहारे
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड जीतकर सोनाली सहारे ने भी एक इतिहास रचा है. यह उनकी पहली फिल्म है और अपनी पहली फिल्म में ही श्रेष्ठ कर दिखाया है. बीए सेकण्ड ईयर के लिए उन्हें यह अवार्ड मिला है. इसका श्री वे अपने डायरेक्टर प्रणव झा को देते हैं.अवार्ड लेने व: मंच पर तो नहीं थी पर व: इस उप्लाब्द्धी पर बेहद खुश है.
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुष्पेन्द्र सिंह
फिल्मरंगरसिया के निर्देशक  पुष्पेन्द्र सिंह ने भी इस बार इतिहास रचते हुए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवार्ड अपने नाम कर लिया । उनके निर्देशन में बनी यह पहली फिल्म है और इस फिल्म ने अभिनेता डायरेक्टर सहित 14 अवार्ड हासिल कर एक नया कीर्तिमान बनाया है।  पुष्पेन्द्र सिंह ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवार्ड लेने के बाद छालीवुड स्टारडम के मंच से कहा की यह मेरी पहली फिल्म है और पहली ही फिल्म में अवार्ड लेकर मै बहुत ही गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। मेरे सारे कलाकारों ने बहुत सहयोग किया जिसके चलते आज मै यह मुकाम हासिल कर पाया हूँ।  पुष्पेन्द्र सिंह ऐसे निर्देशक बन गए हैं जिन्होंने पहली ही फिल्म में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का  पुरस्कार जीता है। उन्होंने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा, मुझे यकीन नहीं हो रहा कि ऐसा हो रहा है। इस पुरस्कार को प्राप्त करना बहुत शानदार अनुभव है। मैं यह पुरस्कार अपनी कास्ट, सहकर्मियों और फिल्म के सदस्यों के साथ बांटना चाहता हूं जिनके कारण यह फिल्म बनी।
सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता अशरफ  अली
फिल्म प्रेम के बंधना से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अशरफ अली को फिल्म ले चल नदिया के पार के लिए सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता का अवार्ड मिला है. वे बिलासपुर से हैं और फिल्मो के बेहतर अदाकार हैं. छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। उनका मानना है कि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता ही है। वे अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट है। अशरफ को कभी निराशा नहीं होती और ना ही वे किसी की नक़ल नहीं करना चाहते अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं।
सर्वश्रेष्ठ नई अभिनेत्री पूजा देवांगन
भिलाईनगर की अदाकारा पूजा देवांगन को फिल्म त्रिवेणी के लिए सर्वश्रेष्ठ नई अभिनेत्री का अवार्ड मिला है. वे एक साल पहले ही फिल्मो में कदम रखी है।  वे पांच फिल्मो में काम की है लेकिन त्रिवेणी उनकी पहली फिल्म है जो परदे पर आई.छालीवुड में एलबम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका पूजा देवांगन की तमन्ना एक सफल अभिनेत्री बनने की है। उन्हें छालीवुड में महज एक साल ही हुए है। एक साल में 5 फिल्मे अच्छी सफलता और इंडस्ट्री में शानदार एंट्री ही है. वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी।
सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता अनुपम भार्गव
छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में अनुपम भार्गव को सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन को अवार्ड दिया गया है। अनुपम भार्गव सिर्फ कलाकार नहीं है बल्कि बहुप्रतिभा के धनी है। वे जितने अच्छे अभिनेता है उतने ही अच्छे लेखक, निर्माता, निर्देशक और कॉमेडियन भी है। उन्हें छालीवुड स्टारडम द्वारा बेस्ट कामेडियन एवं अन्य पुरस्कार व सम्प्रति प्रदान की गयी हैं ।
सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री उपासना वैष्णव
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की सबसे सीनियर अदाकारा उपासना वैष्णव को इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री का अवार्ड मिला। अवार्ड लेने वह मंच पर आई तो तालियों की गडगडाहट से स्थल गूँज उठा। यह उनके लिए  का  खुशनुमा पल था। उन्होंने अब तक 85 फिल्मे की है जिसमे अधिकाँश फिल्मों में वे माँ की भूमिका में ही है। उसने हिन्दी,तेलुगु और भोजपुरी फिल्मे भी की है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में उपासना बच्चों पर प्यार लुटाती हुई नजर आती है पर उसे खुद निगेटिव रोल पसंद है। मया2 फिल्म में उन्होंने निगेटिव किरदार किया है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद कियायह भूमिका उन्हें भी पसंद है। तँहू दीवाना महू दीवाना से वह खलनायिका के नाम से चर्चित हुई ,लकिन मोर डौकी के बिहाव और ऑटो वाले भांटो में वह नायिका के रूप में सामने आई। क्षमानिधि मिश्रा ने इस रोल में उन्हें आजमाया और सफल रहे। उपासना कहती है कि रोल कोई भी हो उसे जीवंत बनाना ही उनका शौक है। अब वह कुछ हटकर रोल करना चाहती है। वे कहती है कि हमारी इमेज एक साफ सुथरी और आदर्श नायिका की होती है जिसे पूरी तरह भुला कर हमें एक ऐसा किरदार निभाना पड़ता है जो खलनायिका के गुण भी दिखा दें और दर्शक भी उसे पसंद करें ।
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय
कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे जितने अच्छे अभिनेता है उतने ही अच्छे डायरेकटर, फाइटर और कोरियोग्राफर है। उन्हें इस साल सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर का अवार्ड दिया गया। उनका कहना है कि मैंने बहुत संघर्ष किया है। जब मैं शुरू में आया था तो मेरा कोइ ठिकाना नहीं था। मैं भूखा भी सोया हूं। फिल्मों में कोरियोग्राफी का मौका मिलने के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। वे कहते हैं की आज हर माता-पिता अपने बच्चों को बहुआयामी बनाना चाहते हैं लेकिन करियर की जब बात आती है तो सिर्फ इंजीनियरिंग या डॉक्टरी जैसे बरसों से चले आ रहे रुढि़वादि क्षेत्रों में ही आगे बढऩे पर जोर दिया जाता है। सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा पेंटिंग भी करे, गाए भी, नाचे भी पर करियर की बात आते ही इन क्षेत्रों से मुंह फेर लिया जाता है।यदि गहराई से सोचा जाए तो नाचने-गाने जैसे क्षेत्र में भी अच्छा पैसा और नाम कमाया जा सकता हैं। कोरियोग्राफी आज एक नए और अनोखे करियर के रूप में सामने आया है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए अधिक समस्या भी नहीं होती। आपको संगीत के साथ थिरकना पसंद है और शरीर में लचीलापन है तो आपके पास भी एक मौका है कि कोरियोग्राफर बन जाइए।
सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेत्री संजना सोनी
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अदाकारा संजना सोनी ने रंगरसिया में वो कर दिखाया कि लोग देखते ही रह गए।  इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट हास्य अभिनेत्री का एवार्ड मिला है। अवार्ड मिले के बाद संजना सोनी ने कहा कि वो लोककला मंच के कलाकारों के लिए कुछ करना चाहती है और  उसके लिए ही जीना चाहती है । वे  कहती है कि उसे सभी तरह के रोल पसंद है।छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है , जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे , उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और उनका शोक है।
सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता रजनीश झांझी
छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सीनियर कलाकार रजनीश झांझी को इस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता का अवार्ड मिला तो पूरा स्थल तालियों से गूँज उठा । छालीवुड स्टारडम ने उन्हें बी ए सेकण्ड ईयर फिल्म में बेहतर अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता का अवार्ड दिया । अवार्ड लेने के लिए वह मंच पर आये तो यह उनके लिए  का  खुशनुमा पल था।उन्होंने अब तक कई फिल्मे की है जिसमे अधिकाँश फिल्मों में वे पिता की भूमिका में ही है। उसने हिन्दी और भोजपुरी फिल्मे भी की है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में ललित बच्चों पर प्यार लुटाते हुए नजर आते है  बीएसेकण्ड ईयर फिल्म में उन्होंने नायिका के पिता किरदार निभाया है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। यह भूमिका उन्हें भी पसंद है। इस अवार्ड को उन्होंने  जींदगी का सबसे खूबसूरत संपत्ति बताया है।
सर्वश्रेष्ठ पीआरओ श्रीमती केशर सोनकर
नई फि़ल्मी पत्रिका हमर छालीवूड़ लेकर मैदान में आई श्रीमती केशर सोनकर को बेहतर प्रचार प्रसार के लिए सर्वश्रेष्ठ पीआरओ का अवार्ड मिला है. उन्होंने फिल्म रंगरसिया को अपने कव्हर पेज में देकर जो प्रचार प्रसार किया व: अपने आप में काबिलेतारीफ थी. उनकी सोच भी अच्छी है वे चाहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का मीडिया में अछा से प्रचार प्रसार हो. अवार्ड लेकर टीम रंगरसिया को धन्यवाद देते हुए वे कहती है कि व्यावहारिक रूप छत्तीसगढ़ी फिल्मोंं को प्रचार प्रसार की बहुत ही जरुरत है और इसे ही ध्यान में रखकर ही हमने 'Óहमर छालीवुड पत्रिका लेकर आये है. हमारा प्रयास यही होगा कि छोटे-बड़े सभी कलाकारों को अपनी पत्रिका के माध्यम से दर्शकों से रूबरू कराएं. प्रचार-प्रसार फिल्मों के लिए सबसे बड़ा माध्यम होता है. बड़े अफ़सोस के साथ कह रही हूँ कि मीडिया में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को वो जगह नहीं मिल पाती जो मिलना चाहिए. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के समीक्षक, चिंतक विजय मिश्रा ने बॉलीवुड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को छॉलीवुड का नाम दिया। उनका योगदान अतुलनीय है। पत्रकारों की बात करें तो श्री रमेश पांडे, दिलीप नामपल्लीवार, अरुण बंछोर, हितेश मेहता, विनोद डोंगरे जैसे कुछ नाम है जिन्होंने छॉलीवुड को अपनी लेखनी के माध्यम से आगे बढ़ाने का हमेशा से प्रयास किए है. छॉलीवुड इन पत्रकारों का शुक्रगुजार है. आगे भी अखबारों में छालीवूड़ फिल्मो को महत्त्व दिया जाना चाहिए।
सर्वश्रेष्ठ खलनायक आशीष सेंद्रे
आशीष सेंद्रे ने लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का अवार्ड अपने नाम किया है. इस बार उन्हें यह अवार्ड फिल्म खलिहान के लिए दिया गया है। वे अपने अभिनय से काफी संतुष्ट रहते हैं। वे एक मंजे हुए कलाकार है उन्हें कला अपने पिताजी से विरासत में मिली है। आशीष शेंद्रे के नाम कई हिट फिल्मे है। वे हर प्रकार की भूमिका को निभाने में माहिर है। वे छालीवुड के कादर खान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपनी अभिनय का लोहा मनवा चुके अभिनेता आशीष शेंद्रे की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करने की है।
सर्वश्रेष्ठ खलनायिका श्वेता शर्मा
छालीवूड़ की चरित्र अभिनेत्री श्वेता शर्मा को इस बार फिल्म ले चल नदिया के पार के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायिका का अवार्ड दिया गया है. फिल्म गोहार रामराज से अपनी फि़ल्मी करियर की शुरुआत करने वाली श्वेता के खाते में अब 25 फिल्मे हो गयी हैं । उस फिल्म में वे मंत्री जी की पत्नी की भूमिका में है और फिल्म मोहनी में ठकुराइन की भूमिका की है जो उनकी पसंदीदा फिल्म है। इस फिल्म में भी उनकी भूमिका में बदलाव किया गया है। पहले वह छोटी भूमिका में थी अब उन्हें बड़ी भूमिका दी गयी है।
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता सलीम खान
छालीवुड के चर्चित चेहरों में से एक सलीम खान जितने अच्छे कलाकार हैं उतने ही अच्छे निर्देशक भी है. छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में इस बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का अवार्ड मिला है. वे अवार्ड लेने मंच पर आये तो भावुक होकर इसका श्री अपनी टीम आशिक मयावाले को दिया। यह अवार्ड उन्हें इसी फिल्म के लिए दिया गया है जिसमे उन्होंने एक बेहतर एक्टर की भूमिका में है.सलीम का कहना है कि इस फिल्म में काम कर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। डायरेक्टर नीतेश लहरी ने बेहतर ढंग से फिल्म का निर्देशन किया है. इस फिल्म में सभी ने अच्छा काम किया है.ऐसा नहीं लगा कि बतौर नायक यह उनकी फिल्म है.उनका कहना है कि शूटिंग के दौरान पूरा माहौल खुशनुमा रहा है. तान्या तिवारी बहुत ही सुन्दर अदाकारा है.हर अदा उनकी काबिलेतारीफ रही है. मुझे तो यह अवार्ड लेने में बहुत ही गर्व महसूस हुआ है . उनकी तमन्ना छालीवुड में बहुत कुछ करने की है। वे कहते है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता।
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री एलीना
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री एलीना डेविड मसीह को इस बार फिल्म लगन मोर सजन से के लिए यह अवार्ड मिला है. वे छालीवूड़ स्टारडम की टीम का आभार व्यक्त करती हुई कहती है कि यह क्षण मेरे लिए बहुत ही कीमती है. मेरे कामों का आज नतीजा मुझे मिला है। वे कहती अहै कि फिल्मों में अपनी भूमिका को इंज्वॉय करती हूँ। जो भी भूमिका मिलती है उसमे डूब जाती हूँ और दिल से पूरा करती हूँ ताकि लोग मेरे अभिनय को सराहे। बचपन से ही मेरी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। मुझे गाने का बहुत शौक था। टीवी रेडियो में गाने देखकर सुनकर मुझे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। बचपन से ही उनकी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। उन्हें एक्टिं का बहुत शौक था। टीवी देखकर उसे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। और आज वे सफलता के मुकाम पर है।
सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायक सुनील सोनी
छत्तीसगढ़ के मशहूर पाश्र्व गायक एवं संगीतकार सुनील सोनी को फिल्म रंगरसिया के लिए एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायक 2017 का अवार्ड मिला है. लगातार कई सालों से उन्हें यह अवार्ड मिलता आ रहा है. वे आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. हर घर घर ने उनके गाने सुने जाते हैं, गुनगुनाये जाते हैं. उनकी आवाज में गजब का जादू हैं.जब वे गातें हैं तो लोग अपना दर्द भूल जातें है।उनकी ख्वाहिश भी अपने लिए नहीं है. वे कहते हैं छालीवुड फिल्म इंडस्ट्री को काफी आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं.यही उनकी ख्वाहिश है.सुनील बताते हैं की उन्होंने निर्माता अशोक तिवारी की फिल्म रंगरसिया को सर्वश्रेष्ठ संगीत देने की कोशिश की है. यही फिल्म है जिसमे उन्हें बहुत ही मेहनत करनी पडी है.अब तक 5000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दे चुके श्री सोनी आठ बार छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायक का अवार्ड हासिल कर चुके हैं. 6 साल की उम्र से अपना कॅरियर शुरू करने वाले इस महान गायक को कभी किसी बात पर अहम नहीं हुआ. जितंने अच्छे गायक है उतने ही अच्छे संगीतकार है और उतने ही सभ्य मिलनसार भी हैं.वे चाहतें हैं कि हर एहसास अपनी गायकी मे डालें और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास कराये। संगीत उन्हें अपने पापा के मार्गदर्शन से मिला है। सुनील सोनी संगीत के हर अंदाज़ को जीना चाहता है और कुछ नया करना चाहता है।


बंगाल गर्ल मनीषा की छालीवुड में एंट्री

श्रेष्ठ अभिनेत्री बनने की ख्वाहिश है
- श्रीमती केशर सोनकर
मॉडलिंग से छालीवुड में कदम रखने वाली नायिका मनीषा चक्रवर्ती की तमन्ना सभी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने और अपनी पहचान बनाने की है.साथ ही मौका मिले तो छोटे परदे पर भी काम करना चाहती है। वे चाहती है कि  लोग उन्हें श्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में जाने। बंगाल गर्ल यानि  कोलकाता की मनीषा की छालीवुड में फिल्म प्रेमसंगिनी से शानदार एंट्री होने जा रही है. इसी दुनिया में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली मनीषा चक्रवर्ती कहती है कि उनका मकसद छालीवुड में ही नाम कमाने की है। मॉडलिंग से मनीषा ने अपने कॅरियर की शुरुवात की थी, अब वे फिर छालीवुड में धमाकेदार एंट्री करने जा रही है.वे इस समय फिल्म प्रेमसंगिणी की नायिका है और शूटिंग में व्यस्त हैं..खूबसूरत मनीषा ने कला के क्षेत्र में किसी से प्रेरणा नहीं ली है और अपने बलबूते ही बुलंदियां छूने लगी है। वे छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। छोटी सी उम्र मॉडलिंग कर रही है और अब फि़ल्मी दुनिया में ऊचांईयों को छूना चाहती है.

0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। फिर मॉडलिंग करने लगी। जब जब टीवी देखती थी तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ करना चाहिए
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे पापा मम्मी ही मेरे प्रेरणाश्रोत है। लोगो ने मेरा अभिनय देखा और मॉडलिंग में मौका दिया। पापा ही मेरे आदर्श है जो हर पल मेरे साथ होते है। फेसबुक से अशरफ से परिचय हुआ जिसके चलते मुझे ये फिल्म मिली और मै छालीवुड चली आई।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
नहीं ! शुरू से ही मै मॉडलिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली थी । अब फि़ल्मी लाईन पर ही काम करती रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी , लेकिन सीरियस रोल ज्यादा पसंद है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपने कामो और कला से खूब नाम कमाना चाहती हूँ. लोग मुझे श्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में जाने।यही ख्वाहिश है.
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी। बतातें है कि यहां दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों की कमी को सरकार पूरा करे।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।

मोर जोड़ीदार में नजर आएंगी माही खान


भोजपुरी फिल्मों के बाद अब यहां जलवे बिखरेंगी

- श्रीमती केशर सोनकर

भोजपुरी फिल्म जगत की चर्चित एक्ट्रेस माही खान अब जल्द ही एक छत्तीसगढ़ी फिल्म में नजर आने वाली हैं. 'मोर जोड़ीदारÓ नाम की इस फिल्म की शूटिंग रायपुर में हुई है. अब इसके प्रदर्शन की तैयारी चल रही है. माही ने बताया कि निर्देशक पुरु साहू की इस फिल्म की शूटिंग में उन्हें काफी मजा आया. इस फिल्म से उन्हें काफी उम्मीद है.बता दें कि 'बलमा बिहार वाला 2Ó , 'तू ही तो मेरी जान है राधा 2Ó , 'गदर 2Ó सहित कई फिल्मों में अभिनय कर चुकीं माही खान न सिर्फ अपनी एक्टिंग के कारण चर्चा में रहती है बल्कि उनका फिगर भी उन्हें आम भोजपुरी एक्ट्रेसेस से अलग करती है.माही ने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद वह तुरंत ही एक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग शुरू की है. 'गदर 2Ó की तरह इस फिल्म में भी उनके हीरो विशाल सिंह ही हैं जबकि निर्देशक है धीरज ठाकुर.माही का कहना है कि छालीवुड इंडसट्री बहुत ही अच्छी है. इसका भविष्य आगे बेहतर होगा। वे कहती है कि मुझे बताया गया है कि यहां थियेटरों की कमी है जो वास्तव में चिंतनीय है.सरकार को चाहिए कि  थियेटर बनाये।

तहरा दुपट्टा सरक गईल में दिखाएंगी जलवा

भोजपुरी और छत्तीसढ़ी भाषा में बनी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल एक पारिवारिक और मनोरंजक फिल्म है जिसमे पांच अदाकारा अपनी अभिनय का जलवा बिखेरेंगी। आईये इन अदाकारों से रूबरू होते हैं.
पायल चौरे
भिलाई की पायल चौरे भोजपुरी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल की नायिका है. अदाकारी उनके रग रग में है. थियेटर से  की शुरुआत करने वाली पायल की यह डेव्यू फिल्म है. जिससे वे भोजपुरी और छालीवुड इंडस्ट्री में एंट्री की है. एक्टिंग में माहिर पायल अब फिल्म को ही अपना कॅरियर बनाना चाहती है. वे कहती है कि मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए । तहरा दुपट्टा सरक गईल में उनकी डेव्यू फिल्म है उसके बारे में उनका कहना है कि इसमें मेरा रोल अच्छा है मैं सह अभिनेत्री हूँ। फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है काम करके मजा आया। सभी कलाकारों का भरपूर सहयोग मिला। उनकी नजर में छालीवुड की सम्भावनाये अच्छी है, बेहतर है।

दिव्या नागदेवे
2016 की बेस्ट फिल्म प्रेमसुमन की निर्माता दिव्या नागदेवे को एक्टिंग में भी महारत हासिल है. थियेटर से फिल्मो में आई दिव्या अब फिल्मो में ही जमे रहना चाहती है. तहरा दुपट्टा सरक गईल में नायक की माँ की भूमिका में है. वे कहती है कि  उसे जो भी भूमिका मिलेंगे वे जरूर करेंगी। दिव्या को  को एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। पर अब शौक पूरा करने का मौका मिल रहा है. प्रेम सुमन उनकी पहली फिल्म है. वे कहती है कि इस फिल्म से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है क्योकि बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मजा ही कुछ और है. उनका कोई प्रेरणाश्रोत नहीं है अपने आप एक्टिंग सीखी है। टीवी देख कर अभिनय की ओर उनका रुझान हुआ।
सुमन कोसरेतहरा दुपट्टा सरक गईल में नायक की मामी की भूमिका निभाने वाली सुमन दूरदर्शन की धारावाहिक से सुमन ने अपने कॅरियर की शुरुवात की थी, फिल्मो में आई फिर आठ साल इस इंडस्ट्री से दूर रही.अब वे फिर छालीवुड में धमाकेदार एंट्री करने जा रही है.चौरां मा गोंदा रसिया, मोर बारी मा पाताल उनका पाह;ला एल्बम है जो खूब धूम मचाई थी.खूबसूरत सुमन ने कला के क्षेत्र में किसी से प्रेरणा नहीं ली है और अपने बलबूते ही बुलंदियां छूने लगी है। सुमन छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए।  छत्तीसगढ़ के भिलाईनगर में पली बढ़ी सुमन कोसरे ने अपनी छोटी सी उम्र में एक बढ़ी उपलब्धी हासिल कर ली है। छइयां भुईंया, मयारू भौजी जैसी फिल्मो में काम कर चुकी है। फि़ल्मी दुनिया में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली सुमन कहती है कि उनका मकसद छालीवुड में ही नाम कमाने की है।
केशर सोनकर
हमर छालीवुड की सम्पादक केशर सोनकर में गजब की प्रतिभा है. पत्रकारिता से फिल्मो में कदम रखने वाली केशर भोजपुरी फिल्म तहरा दुपट्टा सरक गईल में नायिका पायल चौरे की माँ की भूमिका में है. वे कहती है कि मेरा सपना है कि एक दिन मैं बड़ा कलाकार बनूँ और खूब नाम कमाऊं। मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ। मुझे हर प्रकार की भूमिका पसंद है और मै दिल से निभाना चाहूंगी। जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व महसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
पूजा देवांगन
तहरा दुपट्टा सरक गईल की नायिका पूजा देवांगन मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में भी एक्टिंग किया करती थी। कई नाटकों में भाग लिया था। एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है थियेटर की कलाकार हूँ। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। पूजा जितनी अच्छी डांसर है उतनी ही अच्छी एक्ट्रेस भी है.छालीवुड में उन्हें काफी अच्छी संभावनाएं दिखाई दे रही है. पूजा सेट पर काफी मेहनत करती है.जो लोगो को परदे पर भी दिखाई देगी। वही वे खुद भी कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म 'तहरा दुपट्टा सरक गईलÓ को लेकर वे बहुत ही उत्साहित हैं.और इसमें काम करने का अनुभव भी खास होगा। 

राजू दिलवाला में अहम किरदार में है तारा साहू

स्टेज शो में अपनी एक खास पहचान बना लेने और साथ ही तीन फिल्में कर लेने के बाद भी छत्तीसगढ़ की अभिनेत्री और सिंगर तारा साहू को एक ऐसी मूवी का इंतजार है, जिसमें उनका काम अलग दिखे। परदे पर वे भले कम दिखें, लेकिन भूमिका ऐसी हो, जो पूरी फिल्म पर अलग छाप छोड़ जाए। अब तक तारा साहू कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। जिसमें किरिया, चक्कर गुरूजी के और बाप बड़े न भईया-सब ले बड़े रुपइया प्रमुख हैं।

वे बताती हैं, किरिया में वे लीड रोल पर थीं, जबकि चक्कर गुरूजी के में उन्होंने टीचर का किरदार निभाया। बाप बड़े न भईया-सब ले बड़े रुपइया में उन्होंने हीरो की भाभी यानी मंझली बहु की भूमिका निभाई। तारा कहती हैं, मैं उन लोगों में शामिल हूं, जिनका मकसद हीरोइन बनना ही नहीं है। हां, यह जरूर है कि अच्छी कहानी और अच्छी भूमिका मिली तो जरूर करूंगी। वे कहती हैं, एक्टिंग मेरा पेशा नहीं है, मेरा शौक है। इसलिए अच्छे प्रोजेक्ट्स चून कर करती हूं। तारा साहू यह भी कहती हैं, कि सिंगिंग मेरा पेशा है। मैं रंग-तरंग नाम से खुद का स्टेज शो करती हूं, लेकिन इन दिनों सरकारी कार्यक्रमों का समय पर भुगतान न हो पाने के कारण छत्तीसगढ़ के कलाकार परेशान हैं। छत्तीसगढ़ी व्यंजन, छत्तीसगढ़ की जीवन शैली, गार्डनिंग, कुकिंग जैसी एक्टिविटीज का शौक रखने वाली अदाकारा तारा कहती हैं, कि सरकार को न केवल कलाकारों के हितों का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा के उत्थान के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। तारा बताती हैं, कि अभी उनकी दो फिल्में रीलिज होने के लिए तैयार हैं, जिसमें से एक है राजू दिलवाला और दूसरी है अंधियार । प्रकाश अवस्थी निर्देशित और अभिनीत राजू दिलवाला में भी तारा एक अहम किरदार में आ रही हैं। वे पूरे समय स्क्रीन पर हीरोइन शिखा चितांबरे के इर्द-गिर्द ही नजर आएंगी। यह फिल्म 25 जनवरी 2018 को रीलिज होने जा रही है।
तारा कहती हैं, अंधियार में भी उनकी भूमिका एक फ्रेंड की ही है। यह फिल्म एजाज वारसी के निर्देशन में बनी है। आपको बता दें, तारा साहू का नाम छत्तीसगढ़ी कला जगत में उन नामों में शुमार हैं, जो अपने काम से मतलब रखती हैं। उनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि वे बेहद रिजर्व नेचर की हैं। लेकिन इसके जवाब में तारा यह कहती हैं, कि शो और शूट से जो भी समय बचता है, उसमें या तो वे परिवार के साथ होती हैं या फिर रियाज करती हैं। खाली समय में पढऩा-लिखना और देश-दुनिया की खबरें जानना भी तारा साहू के रूटीन में शामिल है।

कलाकारों के असली प्रसंशक गाँवों में है


- अरुण बंछोर
छत्तीसगढ़ी फि ल्मों की माली हालत जो भी हो, परंतु कलाकार की बड़ी प्रशंसक संख्या इनकी बड़ी ताकत है। गाँवों में इनके चाहने वालों की लम्बी चौड़ी फौज होती है. शहर के लोग भले ही ना जाने पर गाँव के लोग अपने कलाकारों को जानते हैं पहचानते है. गाँवों में टाकीज नहीं होने के कारण ग्रामीण छत्तीसगढ़ी फिल्म जरूर नहीं देख पाते पर उनकी पसंदीदा कलाकार छत्तीसगढ़ के ही होते हैं. अनुज शर्मा, मोहन सुंदरानी, मोना सेन, प्रकाश अवस्थी ऐसे कलाकार है जिन्हे गाँव- गाँव में जाना जाते हैं. जब यही कलाकार हैं गाँवों में जाते हैं तो भीड़ उमड़ पड़ती है. मैंने मोहन सुंदरानी के साथ कई गावों का दौरा किया। लोग उनके साथ फोटो खिचवाने के लिए टूट पड़ते हैं. अनुज शर्मा का कार्यक्रम हमने देखा, उनकी एक झलक पाने लोग बेकाबू हो जाते हैं. यही हाल मोना सेन का भी है. यही उनकी लोकप्रियता का सबूत है यही उनके लिए सच्ची तोहफा है. मुझे अच्छे से याद है जब बीरगांव में फिल्म रंगरसिया के एक गाने की शूटिंग हो रही थी. अनुज शर्मा को देखने लोग रात भर बैठे रहे. रात 3 बजे जब शूटिंग ख़त्म हुई तब लोग अपने अपने घर गए , ये उनकी लोकप्रियता है. चुनाव के दौरान जब यही कलाकार गाँवों में जाते हैं तो लोग उन्हें देखने सुनने दौड़ पड़ते हैं. इनकी मेहनत भी किसी से कम नहीं होती है.शूटिंग में इन्हे काफी पसीना बहाना पड़ता है.
हम गावों में जाते हैं और लोग हमें देखने उमड़ पड़ते हैं तब लगता है कि छत्तीसगढ़ी फिल्में अपने आपमें एक धरोहर हैं। सरकार ने भी कोशिश की है, कि इन्हें अच्छे मौके मिलें और स्थानीय कलाकार भी फु लटाइमर अपना करियर यहां दे सकें। हमारी कोशिश है नित नए प्रयोग करें। हाल ही में हमने राजा छत्तीसगढिय़ा फिल्म को हॉलीवुड स्टाइल में पेश किया है। हमारे लिए अच्छे दिन ये हैं कि आज हम प्रदेश के बड़े दायरे तक पहुंचते हैं। बलरामपुर के एक छोटे से गांव की बात हो या राजनांदगांव के। इन फिल्मों की रीच है। अब राजा छत्तीसगढिय़ा की सीक्वल 2 दिसंबर को रिलीज किया गया है। आप यकीन मानिए इसे प्रदेश के सारे के सारे सिंगल स्क्रींस मिले हैं।
- अनुज शर्मा, अभिनेता, छत्तीसगढ़ी फिल्म

संगीत पक्ष इन फिल्मों को जबरदस्त है। साथ ही डांसिंग को लेकर भी दर्शक अब मांग करने लगे हैं। प्रयोगों से लबरेज कोरियोग्राफी की डिमांड है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में एक तरह से हर तरह का तड़का लगा होता है। कोरियोग्राफी के भी पेशेवर स्थानीय स्तर पर ही मिलने लगे हैं। फाइटिंग के लिए भी निर्भरता खत्म हो रही है। चूंकि 4 करोड़ दर्शकों की बड़ी संख्या वाला यह सशक्त सिनेमा है।
                                                                                            - निशांत उपाध्याय, कोरियोग्राफर एवं कलाकार

छालीवुड जि़ंदा है. हमारा असली तोहफा वही है जो जनता से प्यार मिलता है.उनकी तालियां हमारा उत्साह बढ़ाता है. सही मायने में गांवों में ही बसता है छत्तीसगढ़ी फिल्मों का संसार।
                                                                                                                                                - मोना सेन
परिपक्वता तो पर्याप्त है। संसाधनों की कमी है, लेकिन इससे न तो निर्माण पर असर पड़ता है और न ही कहीं भी प्रस्तुतिकरण पर। अगर पूर्वाग्रह छोड़ दें तो यकीनी तौर पर फर्क करना मुश्किल होगा कि कौन सी फिल्म बॉलीवुड की है और कौन सी छत्तीसगढ़ी।
                                                                                                                            - अशरफ, फिल्म कलाकार
फि ल्में पैसा वसूल स्टाइल पर अभी नहीं आई हैं। हम लोग ऐसी फिल्में बनाना चाहते हैं जो दर्शक के मन में स्थान बनाएं। सिर्फ पैसा लगाकर पैसा निकाल लेना तो आम बात है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा आने वाले दिनों में पर्याप्त रूप से समृद्ध होगा।
                                                                                               - अशोक ठाकुर, फिल्म निर्माता, प्रेम के बंधना
कैमरा फिल्म की जान होता है। अभिनय, निर्देशन, आलेख, संपादन, संगीत, गीत, वादन तमाम फिल्मी शाखाएं अपनी तरह से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कैमरे का काम चुनौतीपूर्ण है। चूंकि रिटेक्स, लोकेशंस और सिचुएशन के हिसाब से शूटिंग में घंटों खड़े रहना। जब तक संतुष्ट नहीं होना तब तक कि शॉट डिमांड के अनुरूप नहीं आया कठिन है। फिल्म किसी भी बजट की हो, मेहनत बराबर लगती है।
                                                                                                                               - राजकुमार, कैमरामैन

क्षेत्रीय फिल्मों में काम करना अपने आपमें बड़ा मेहनती है। आपको बहुत क्रिएटिव होना चाहिए। दर्शक के अनुरूप अभिनय देना, संगीत, नृत्य की प्रधानता इन फिल्मों की बैकबॉन होती है। हमें खुशी होती है कि छत्तीसगढ़ में हम औसतन 30 से 35 फिल्में सालाना बना रहे हैं।
                                                                                                                         -लवली अहमद, अभिनेत्री
हम सब एंजॉय करते हैं। इतना वक्त हो गया कि अभिनय में अब रम गए हैं। अच्छा लगता है जब दूरदराज गांवों तक में हमारे अभिनय के कद्रदान मिलते हैं। संकट तो है, पर वैसा नहीं जैसा राज्य बनने से पहले था। अब देखिए इन 16 सालों में प्रदेश में जहां सालभर में एक फिल्म भी नहीं बन पा रही थी, वहीं अब औसतन 30 से 35 फिल्में बन रही हैं। अगर व्यावसायिक संभावनाएं कम होती तो यह कैसे संभव होता।
                                                                                                                                   - चंद्रकला, कलाकार
छत्तीसगढ़ी का प्रभाव हमारे 27 जिलों की 3 करोड़ जनता में तो है ही, साथ ही मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ से जुड़े जिलों में भी खासा है। एक तरह से हम मोटामोटी देखें तो 4 करोड़ दर्शक वर्ग के साथ एक मैच्योर सिनेमा की ताकत रखते हैं। आने वाला दौर है, जिसमें छत्तीसगढ़ी फिल्मों में जोखिम वाले प्रयोग भी होने लगेंगे। चूंकि बजटिंग एक बड़ा मसला है, ऐसे में जोखिम वाले प्रयोग करना मुमकिन नहीं। इसके अलावा इन फिल्मों को अंडरएस्टिमेट करने की एक वर्ग विशेष की आदत भी कई बार घातक है, लेकिन उन्हें भी जवाब मिल रहा है।
                                                                                                         -शिवनरेश केशरवानी, फिल्म निर्देशक
हम लोग तो थिएटर के लोग हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्में हमे प्रतिभा निखारने का तो मौका देती ही हैं साथ ही एक प्लेटफॉर्म भी हैं जहां हम लगातार कुछ न कुछ नया करने के लिए तत्पर रहते हैं। थिएटर स्तर की गंभीरता फिलहाल तो बॉलीवुड में संभव नहीं है तब क्षेत्रीय सिनेमा से उम्मीद बेमानी होगी। बहरहाल, हम सब मिलकर एंजॉय करते हुए इन फिल्मों में कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करते हैं।
                                                                                                                               - अनिल शर्मा, कलाकार
रिमोट लोकेशंस में शूट के सिलसिले में दूर रहना पड़ता है। पर जैसे ही हम कैमरे के सामने होते हैं तो यकीन मानिए कि खुशी होती है। लंबी शूटिंग की सारी थकान कहीं खो जाती है।
                                                                                                                                  - धर्मेंद्र चौबे, कलाकार

ग्रामीण नौजवानों की कहानी है दहाड़

किस एंटरटेमेंट के बैनर तले एक और फिल्म दहाड़, मई या जून में दहाड़ मारने की तैयारी में है, ग्रामीण परिवेश पर बनी इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है और अब फिल्म के डायरेक्ट एजाज वारसी एडिटिंग की टेबल पर इस फिल्म को फिनिशिंग देने के काम में जुटे हैं, फिल्म के डायरेक्टर एजाज वारसी ने बताया कि उनकी कोशिश होगी कि इस फिल्म को जल्द प्रदर्शित किया जाए साथ ही उन्होंने बताया कि ये फिल्म ग्रामीण परिवेश में रह रहे नौजवानों की कहानी है जिसमें सोशल वर्क का मैसेज भी है।


आपको बता दें कि इस फिल्म में विलेन से हीरो बने मनमोहन सिंह ठाकुर, शेखर चौहान, और किसलाल कुर्रे मुख्य भूमिका में है, वहीं फिमेल अदाकारों की बात की जाए तो अंजना और पुष्पांजली अहम किरदार अदा कर रही है, जबकि इस फिल्म को किसलाल कुर्रे और पुनीत सोनकर प्रोड्यूस कर रहे हैं संजय तेलंग और रवि टेमरे को-प्रोड्यूसर की भूमिका में हैं, वहीं अगर फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो इस फिल्म को शिव जांगड़े ने म्यूजिक दिया है और उनके इन गानों पर मनोज दीप ने न सिर्फ कोरियोग्राफी की है, बल्कि फाइट सीन का जिम्मा भी इन्हीं के कंधों पर रहा है, जबकि इस फिल्म को खूबसूरत तरीके से फिल्माने का काम पुनित सोनकर और जॉनसन अरुण ने किया है ।
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