रविवार, 17 सितंबर 2017

छत्तीसगढ़ी फिल्मोंं को प्रचार की जरुरत

- श्रीमती केशर सोनकर 
छॉलीवुड अब टीन एज में प्रवेश कर चुका है। यही वह उम्र होती है जब कोई या तो बन जाता है या फिर बिगड़ जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले 17 सालों में जिसने सबसे अधिक संघर्ष किया है वह छत्तीसगढ़ी फिल्म और यहां के फिल्मों में काम करने वाले कलाकार। राज्य बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है।  वर्तमान में जो सिनेमा बन रहा है उसमें कुछ लोग अच्छा कर रहे हैं तो कुछ ग्लैमर की चकाचौंध के आकर्षण में फंस फिल्मों से जुड़ गए है। इसी वजह से दर्शकों को निराशा होती है। व्यावहारिक रूप
छत्तीसगढ़ी फिल्मोंं को प्रचार प्रसार की बहुत ही जरुरत है और इसे ही ध्यान में रखकर ही हमने ''हमर छालीवुड पत्रिका लेकर आये है. हमारा प्रयास यही होगा कि छोटे-बड़े सभी कलाकारों को अपनी पत्रिका के माध्यम से दर्शकों से रूबरू कराएं. प्रचार-प्रसार फिल्मों के लिए सबसे बड़ा माध्यम होता है. बड़े अफ़सोस के साथ कह रही हूँ कि मीडिया में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को वो जगह नहीं मिल पाती जो मिलना चाहिए. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के समीक्षक, चिंतक विजय मिश्रा ने बॉलीवुड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को छॉलीवुड का नाम दिया। उनका योगदान अतुलनीय है। पत्रकारों की बात करें तो श्री रमेश पांडे, दिलीप नामपल्लीवार, अरुण बंछोर, हितेश मेहता, विनोद डोंगरे जैसे कुछ नाम है जिन्होंने छॉलीवुड को अपनी लेखनी के माध्यम से आगे बढ़ाने का हमेशा से प्रयास किए है.  छॉलीवुड इन पत्रकारों का शुक्रगुजार है. इसी कड़ी को अब हम आगे बढ़ाने नई पत्रिका लेकर आये हैं जो कलाकारों को खुला मंच प्रदान करेगी. छोटे से छोटे और नए कलाकार तक अपनी जानकारी हमें लिखकर भेजें. हम उन्हें स्थान देंगे. सहयोग चाहेंगे छॉलीवुड से जुड़े सभी लोगों का, जिनके सहयोग से ही हम छॉलीवुड को आगे ले जाने सक्षम हो पाएंगे. फिल्म निर्माता संकट के इस दौर में फिल्म बनाते हैं जो साहस का काम है. उनका हौसला बढ़ाया जाना चाहिए ताकि नए उत्साह और नए संचार से और फिल्म बनाएं.
                                                        
 
से फिल्म मेकिंग जानने के बाद ही निर्माण हो तो अच्छा होगा।

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