रविवार, 17 दिसंबर 2017

गायिकी में पहचान बनाना चाहती है चंपा निषाद


- श्रीमती केशर सोनकर
छॉलीवुड की गायिका चंपा निषाद इसी क्षेत्र में ही अपने पहचान बनाना चाहती है। कई स्टेज शो कर चुकी चंपा छॉलीवुड की 7-8 फिल्मों में अपनी आवाज दे चुकी है। उनकी आवाज को लोक पसंद भी करते है। गाने का शौक उन्हें बचपन से ही रहा है लेकिन अब पिछले दो साल से उन्हें मौका मिलने लगा है। कमलादेवी संगीत महाविद्यालय में बी.ए. संगीत की छात्रा चंपा अब आगे सिर्फ और सिर्फ गाना गाना चाहती है। एक्टिंग, डांस का उन्हें कोई शौक नहीं है।
फिल्म अंधियार, ले चल नदिया के पार, राजा छत्तीसगढिय़ा-2, प्रेम अमर है एवं भाई बहिनी एक अटूट बंधन जैसे फिल्मों में उनकी आवाज दर्शकों को सुनने को मिलेगी। करीब 200 से अधिक एल्बम चंपा निषाद की बाजार में उपलब्ध है। चंपा निषाद गाने को एक चुनौती मानती है। वे कहती है किसी गाने को सुर और ताल में आवाज देना उतना ही कठिन है जितना किसी अभिनय को निभाना। ब्रेक कैसे मिला के जवाब में उनका कहना है कि गांव से जब शहर आई तो एक स्टूडियो में ऐसे ही गाना गा रही थी जो लोगों को पसंद आया और उसे एल्बम के लिए सलेक्ट कर लिया गया। 
उनका यह भी कहना है कि अच्छे कलाकारों की छॉलीवुड में तब तक कोई कदर नहीं होती या तब तक उन्हें काम नहीं मिलता जब तक कोई पहचान न हो। वे बताती है उनके परिवार वाले सिंगर बनाने के लिए बहुत कुछ किए है। उनके पिता गणेश राव निषाद ही उनके प्रेरणास्रोत है और गुरु भी। उनके ही बदौलत आज वह इस मुकाम को पा सकी है। उसकी दिली तमन्ना एक अच्छे सिंगर के रुप में पहचान बनाने की है।

फिर आएगा कभी ये अवसर तीन स्टार एक साथ



  • - अरुण कुमार बंछोर
    छालीवुड के तीन चर्चित स्टार अनुज शर्मा, करण खान और प्रकाश अवस्थी कभी एक मंच पर होते थे. जब वे एक मंच पर होते थे तब यहां के दर्शक खूब रोमांचित होते थे. अब ये तीनों स्टार अलग अलग राह पर है. क्या यहां के दर्शकों को ये स्टार एक बार फिर कभी साथ साथ दिखाई दे देख सकेंगे, ये कहना असंभव है. जब हमने उन्हें टटोलने की कोशिश की तो ऐसा लगा कि ऐसा अवसर अब छालीवुड के दर्शकों को नहीं मिल पायेगा। 
  • बातों ही बातों में सुपर स्टार अनुज शर्मा ने ये संकेत दिए थे कि अब वे करण  खान और प्रकाश अवस्थी के साथ कभी काम नहीं करेंगे , जबकि प्रकाश अवस्थी का कहना था कि ऐसा कोइ अवसर आये तो वे विचार करेंगे, इस सम्बन्ध में करण  खान से बात नहीं हो पाई.
    अनुज (रामानुज) शर्मा
    रामानुज शर्मा छत्तीसगढ़ में अनुज शर्मा के नाम से जाने जाते हैं । छत्तीसगढ़ी फिल्मों के माध्यम से वे एक मानक बन गए हैं, उन्होंने अभिनय के साथ गायन और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी प्रतिमान स्थापित किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी लोक कला को लोकप्रिय बनाने के लिए रेडियो और सेटेलाइट चैनल्स पर भी नई पहल करते हुए भारी सफलता पाई है । छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय नायक और आज के सुपर स्टार बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनुज सदैव सक्रिय और अग्रणी रहे। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपर स्टार अनुज ने अब तक लगभग 40 से अधिक फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है । छत्तीसगढ़ी कि अब तक कि सबसे सफल चार सिल्वर जुबली फिल्मों में से चारों के नायक अनुज ही है 7 इसके साथ-साथ उन्होंने फिल्म निर्माण, निर्देशन तथा फिल्मों में गायन भी किया है । अपनी अभिनय कला और बहुमुखी प्रतिभा के चलते वे लोक-आंचलिक फिल्मों के अत्यंत चहेते एवं सफल कलाकार हैं ।
    प्रकाश अवस्थी
    छत्तीसगढ़ फिल्मों के सुपेर स्टार प्रकाश अवस्थी मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी सीक्वल फिल्म मया टू का निर्माण कर रिलीज की अब राजू दिलवाला की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं।
    करण खान
    करण खान का असली नाम ताहिर खान है. उन्होंने छालीवुड में अपनी ख़ास पहचान बनाई है. उन्होंने इस इंडस्ट्री को काफी कुछ दिया है.अभी वे कई फिल्मो की शूटिंग में व्यस्त हैं. उनकी आने वाली है- राधे अंगूठा छाप.
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गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

करन खान का ड्रीम प्रोजेक्ट है राधे अंगूठा छाप

केशर सोनकर 
छॉलीवुड के पहले सुपर स्टार करण खान का ड्रीम प्रोजेक्ट है राधे अंगूठा छाप, सिनेमाघरों में धूम मचाने के लिए बेताब है. उन्होंने एक बार कहा था -  सिनेमाघर हो ही तब ही ना हमन छत्तीसगढ़ी फिल्म देखे बर जाबो। ये कहना है खरोरा के स्कूल बच्चों का जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वे छत्तीसगढ़ी फिल्में देखते है। यह बात छत्तीसगढ़ी मूवी के सबसे ज्यादा फिल्म अभिनय करने वाले अभिनेता करन खान ने कही। करण की आगामी फिल्म है राधे अंगूठा छाप, जो प्रदर्शन के लिए तैयार हैं.


श्री खान कहते है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा किसी भी दृष्टि में हिन्दी फिल्मों से कमतर नहीं है बस सरकार थोड़ा सा सहयोग कर दे कि हर बीस किलोमीटर की दूरी में एक थियेटर खोलने में मदद कर दे। छत्तीसगढ़ सिनेमा के पचास साल के कालखंड पर वो कहते है कि पहले 35 साल में दो ही फिल्मे बनी फिर सतीश जैन की मोर छईयां भुईंया ने जो रास्ता खोला तब से धारा बह रही है छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास में पहले दशक में सौ से ज्यादा फिल्मों बनी है और उनमें बीस से ज्यादा में करन खान है। यानी हर पांचवी फिल्म उनके अभिनय से सजी हुई। मोर गंवई गांव,जरत हे जिया मोर, तोर मया के  मारे, बैर,तीजा के लुगरा, ए मोर बांटा, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा तोर मया म का जादू हे, मया होगे रे, करम के लेखा, मोरगांव किस्मत के खेल, तोला ले जाऊ उडि़रिया, मितान 420, भांवर, अजब जिनगी गजब जिनगी, बंधना,  दगाबाज , मोही डारे, लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप, जो भोजपुरी में डब होकर लैला माल बा छैला धमाल बा में भी सुपरहिट रही बाप बड़े नाभ भइया सबले बड़े रुपइया भी अच्छी फिल्म है। सन 1994 में इप्टा के  नाटक से एक्टिंग का जो सफल शुरु हुआ वो छत्तीसगढ़ी एलबम से फिल्मों तकक जारी है।
करन खान छत्तीसगढ़ी सिनेमा के ऐसे अभिनेता है जिन्होने किस्मत के खेल और लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप में डबल रोल कि ये इस के अलावा सर्वाधिक सात बार छत्तीसगढ़ी सिने अवार्ड के विजेता में भी उनका नाम शुमार है। सन् 2003 में रंग झांझर ने जरत हे जिया मोर के लिये सबसे पहले सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरूस्कार दिया उसके बाद 2004 में बहुरंग ने तोर मया के  मारे के  लिये 2011 में एबेलान ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2013 में एबेलान ने दगाबाज, 2013 मेें फिल्मी छत्तीसगढ़ी ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2014 में ही फिल्मी छत्तीसगढ़ी में तोला ले जाऊं उड़रिया के लिये तो 2012 में रंग झांझर ने मितान 420 में।  उन्हें अक्कीनेनी  नागेश्वर राव दक्षिण भारतीय फिल्मो के सुपर स्टार के नाम पर सम्मान मिलना भी उपलब्धि ही कही जायेगी। करन खान बताते है की छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज को आत्म निर्भर बनाने में छत्तीसगढ़ी एलबम का बड़ा योगदान रहा। सन 2003 में झन भुलव मां बाप के  बाद जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर ब्रेक लगा तब एलबम का दौर शुरु हुआ। ये समय ऐसा था जब छत्तीसगढ़ी के ही कलाकार ,तकशियनों को मौका  मिला। इससे पहले मुंबई की यूनिट छत्तीसगढ़ी आती थी और तब बहुत भेदभाव भी होता था एलबम यहां बनने लगे तो को रियोग्राफर कैमरामैन मेकअप आर्टिस्ट, लाईटमेन और प्रोडक्शन से जुड़े लोग धीरे धीरे पारंगत हो गये और यही लोग बाद में पुन: छत्तीसगढ़ी फिल्मों का  दौर शुरु होने पर छालीवुड को  आत्मनिर्भर बनाने में कारगर साबित हुये। श्री खान नाटक के दौर को भी याद करते है कि  राही मासूम रजा के टोपी शुक्ला को  देख कर प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर  भी भाव विभोर हो गये है और उन्होने इसे मुंबई में भी आोयजित करवाया था। करन खान छत्तीसगढ़ी एलबम के दौर में भी सुपर स्टार रहे है। अब तक  हजार से भी ज्यादा गीतों में अभिनय का रिकार्ड है देश विदेश में सुपरहिट गुलाबी कली केटूरा न जाने  रे के साथ ही झोटू राम बना दिये , संतरंगी रे में दो गीत प्रेम चंद्राकर के का  तै जादू करे,  का  तै मोहनी डारे सहित सतीश जैन के एक मात्र एलबम मया के  बुखार में चार गानों में नृत्य  किया। दुकालू यादव के  का तोला माने दाई और गोरेलाल बर्मन के मोला बईयां बना के छोड़ देबे का जैसे सुपरहिट गानों से करन खान को लोकप्रियता मिली। छत्तीसगढ़ी फिल्म विकास निगम और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के विकास के लिये वे यही कहते है कि हमारी बहुत ज्यादा मांगे नहीं है बस सरकार यहां टाक़ीज खोलने में थोड़ी सी सहायता कर दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों की  गंगा बहने लगेगी। उम्मीद है अब सरकार इस दिशा में ठोस और त्वरित कदम उठायेगी।

गुरुवार, 16 नवंबर 2017

"टूरा चायवाला" से छालीवुड में तेजल चौधरी की धमाकेदार एंट्री

- अरुण बंछोर / श्रीमती केशर सोनकर
हिन्दी, भोजपुरी और मराठी फिल्म की नायिका तेजल चौधरी अब छालीवुड में जलवा दिखाएगी। अभिनेता राजेश अवस्थी की फिल्म "टूरा चायवाला" से वह छालीवुड में धमाकेदार एंट्री करने जा रही है. तेजल बास्केटबाल की नॅशनल प्लेयर है. कुश्ती और कबड्डी उनका शौक है. जिसमे वह स्टेट प्लेयर हैं.कुश्ती में
तेजल को विदर्भ केशरी का खिताब भी मिला हुआ है.यही कारण है कि तेजल की पहचान महाराष्ट्र में एक पहलवान की है. तेजल को छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के लोग बहुत पसंद है.वह कहती रहती है छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया। वे बताती है कि उन्हें फ़िल्मी दुनिया से कोइ लगाव नहीं था बस उनके रग रग में खेल बसा हुआ था.लेकिन सीरियल देख देख कर कुछ कर गुजरने का मन हुआ और फिल्म लाइन में आ गयी. मात्र 3 साल में ही सेजल ने अपनी एक्टिंग और डांसिंग से सबको पीछे छोड़ दिया है. उसकी तमन्ना अपनी माता पिता को दुनिया घुमाने की है. फिल्म के नायक ,निर्माता, निर्देशक राजेश अवस्थी का कहना है कि तेजल चौधरी जितनी अच्छी डांसर है उतनी ही अच्छी एक्ट्रेस भी है.छालीवुड में उनकी काफी अच्छी संभावनाएं दिखाई दे रही है.तेजल सेट पर काफी मेहनत कर रही है.जो लोगो को परदे पर भी दिखाई देगी। वही तेजल चौधरी खुद भी कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म "टूरा चायवाला" को लेकर वे बहुत ही उत्साहित हैं.और इसमें काम करने का अनुभव भी ख़ास होगा।  फिल्म "टूरा चायवाला" के सेट पर हमने उनसे मुलाक़ात की.पेश है बातचीत के सम्पादित अंश.
० आप नेशनल और स्टेट स्टार की प्लेयर है फिर फिल्म का शौक कैसे हुआ?
०० मै तो फिल्म करने की सोची भी नहीं थी. खेल ही मेरा सब कुछ था, पर सीरियल देख देख कर इस ऒर रुझान हुआ और आ गयी.परिणाम भी अच्छा ही है.
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 बिलकुल नहीं ! शुरू से ही मै खेल को कॅरियर बनाने की सोचकर चली थी। डांस जरूर मेरा शौक रहा है अब फ़िल्मी लाइन में आ गयी हूँ तो इसी लाईन पर काम करती रहूंगी।
० कितनी भाषा में फिल्मे कर चुकी है?
०० हिन्दी , भोजपुरी और मराठी फिल्मे मैंने की है. अब छत्तीसगढ़ी फिल्म कर रही हूँ. सिर्फ तीन साल से ही इस लाइन में हूँ.
० आपको ब्रेक कैसे और कहाँ मिली ?
०० मराठी फिल्म से मुझे अच्छी खासी पहचान मिली है. वैसे मैंने यामी गौतम के साथ एक ऐड किया था जो मेरे लिए काफी लकी साबित रहा है.
० छत्तीसगढ़ी और छत्तीसगढ़ के बारे में आपकी क्या राय है?
०० छत्तीसगढ़ बहुत ही अच्छी जगह है यहां के लोग भी उतने ही अच्छे है. छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया।
० छत्तीसगढ़ी फिल्म करने में आपको भाषा को लेकर दिक्कत नहीं आएगी?
०० बिलकुल नहीं आएगी, मैंने छत्तीसगढ़ी सीख ली है और सीख भी रही हूँ. वैसे मुझे हर कल्चर पसंद है और सभी कल्चर सीखूंगी।
० आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
०० मेरी अपनी कोइ तमन्ना नहीं है बस अपने माता पिता को दुनिया घुमाना चाहती हूँ.
० छालीवुड और बॉलीवुड में क्या फर्क नजर आता है ?
०० ज्यादा अंतर नहीं है दोनों अपनी अपनी जगह पर एक जैसे हैं.वहां बड़े स्तर पर काम होता है और यहां क्षेत्रीय स्तर पर.लेकिन यहां के लोग बहुत ही अच्छे हैं. छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया।

सोमवार, 30 अक्टूबर 2017

"ले चल नदिया के पार"

को लेकर बहुत ही उत्साहित है अनिकृति
छालीवुड की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अनिकृति चौहान अपनी आने वाली नई फिल्म "ले चल नदिया के पार" को लेकर बहुत ही उत्साहित है. यह फिल्म 3 नवम्बर को बड़े परदे पर आ रही है.इस फिल्म में सभी कलाकारों ने बहुत ही मेहनत की है. अनिकृति कहती है इस फिल्म का जैसा नाम है वैसा ही कहानी है और प्रदर्शन भी.बहुत ही साफ़ सुथरी प्रेम कहानी है जो युवा वर्ग को बहुत ही भाएगी। बतौर अनिकृति इस फिल्म का अनुभव बहुत ही बेहतर रहा है. 14 दिनों की शूटिंग छत्तीसगढ़ की सुंदर वादियों रैनखोल में हुई.  बार देखा बहुत ही अच्छी जगह है.

इस फिल्म में काम कर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। डायरेक्टर ज्ञानेश ने बेहतर ढंग से फिल्म का निर्देशन किया है. नायक अशरफ अली ने भी अच्छा काम किया है.ऐसा नहीं लगा कि बतौर नायक यह उनकी पहली फिल्म है.उनका कहना है कि शूटिंग के दौरान पूरा माहौल खुशनुमा रहा है. अनिकृति बहुत ही सुन्दर अदाकारा है.प्रेम सुमन में तो उनकी कला का जवाब ही नहीं है.हर अदा उनकी काबिलेतारीफ रही है. मुझे तो बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड देने में बहुत ही गर्व महसूस हुआ था. छालीवुड में एल्बम से फिल्मो में कदम रखने वाली नायिका अनिकृति चौहान की तमन्ना छालीवुड में बहुत कुछ करने की है। वे कहती है कि मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। फिल्मों में काम करने का अनिकृति चौहान को कोइ शौक नहीं था लेकिन अपने दोनों चाचा आनंद और लक्ष्मण चौहान की प्रेरणा से फिल्मों में आई और अब फिल्मों को ही करियर बनाना चाहती है। चार साल

हुए है उन्हें छालीवुड में आये। एक्टिंग का शौक नहीं था। पर एल्बम करने के बाद आफर मिला तो फिल्में करने लगी। अनिकृति कहती है कि एल्बम में काम करने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। मेरे दोनों चाचा ही मेरे प्रेरणाश्रोत है जो हर पल मेरे साथ होते है। फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाने की नहीं सोची थी पर अब मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।वे कहती है कि छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। छालीवुड स्टारडम सिने अवार्ड में मुझे सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का अवार्ड मिला जिससे मेरा हौसला और बढ़ा है। मेरे माता-पिता और पूरा परिवार मुझ पर गर्व करने लगा है। मै उनकी उम्मीदों पर खरा उतरकर दिखाना चाहूंगी। सच बताऊँ अवार्ड समारोह में जाने में मुझे डर लग रहा था। सबके जिद्द पर गयी और आज सब मुझ पर गर्व कर रहे हैं।

रविवार, 1 अक्टूबर 2017

संस्कारी बहू हिना से होगा अंगूरी भाभी का मुकाबला

बिग बॉस 11
बिग बॉस सीजन 11 का आगाज रविवार को कलर्स चैनल पर शुरू होने जा रहा है। सलमान ख़ान की अगुवाई में शो में एक बार फिर से नए सेलिब्रिटी घर में कई तरह के ट्विस्ट लेकर आएंगे और काफी धमाल होगा। लेकिन, सबकी निगाहें सबसे अधिक किसी पर टिकेंगी तो वह है 'सही पकड़े हैं' फेम अंगूरी भाभी यानी शिल्पा शिंदे पर।
जी हां, इस शो की पहली प्रतिभागी के रूप में शामिल होने वाली शिल्पा शिंदे ही हैं। हालांकि शिल्पा ने पिछले दिनों लगातार मीडिया से यह कहा कि वह बिग बॉस का हिस्सा कभी भी नहीं बनेंगी। लेकिन, अब उनके बारे में खबर आ रही है कि उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए कहा था, क्योंकि उन्हें ऐसा कहने को कहा गया था।साथ ही शिल्पा को किसी भी शो का हिस्सा बनने की इजाजत नहीं थी, लेकिन खबर है कि उन्हें इस बुधवार को एंटिसिप्टेरी बेल के बाद शो का हिस्सा बनने की इजाजत दी गई है।दूसरी तरफ दिलचस्प खबर यह भी है कि उनका पाला शो में प्रोड्यूसर रहे विकास गुप्ता से भी पड़ेगा, जिनसे उनकी बिल्कुल नहीं बनती हैं। दोनों ही एक-दूसरे को पसंद नहीं करते।
शिल्पा और एंड टीवी के शो भाबी जी घर पर हैं के प्रोड्यूसर के बीच विवाद के दौरान विकास चैनल की टीम में शामिल थे और शिल्पा को शो से हटाने का उनका निर्णय भी रहा था। ऐसे में दोनों के बीच विवाद होना तो लाजिमी है घर में और यह देखना भी दिलचस्प होगा।
इन दोनों के अलावा शो में हिना ख़ान को देखना भी काफी दिलचस्प होगा, जो कि हाल ही में ये रिश्ता क्या कहलाता है शो से अलग हुई थीं और उसके बाद लगातार विवादों में रहीं। पिछले साल करण मेहरा शो का हिस्सा थे। इस साल हिना हैं, जो कि संस्कारी बहू के रूप में जानी जाती रही हैं। देखना यह है कि बिग बॉस में वह खुद को किस तरह से अच्छी बहू साबित कर पाती हैं।

शनिवार, 30 सितंबर 2017

फ़िल्मी खबरें

छत्तीसगढ़ की प्रिया की छोटे परदे पर धूम

छत्तीसगढ़ की बेटी प्रिया शर्मा आज छोटे परदे पर अपने अभिनय का जादू बिखेर रही है। सीआईडी जैसे धारावाहिक में काम करना सबका सपना होता है प्रिया को मुम्बई जाते ही सीआईडी में काम करने का मौका मिला. ससुराल सिमर का, अकबर बीरबल, जय श्री अग्रसेन जैसी शारावाहिक कर रही प्रिया का कहना है कि लोग मुझे मेरे अभिनय से पहचाने बस यही तमन्ना है। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो के लिए राज्य सरकार को बेहतर से बेहतर करना चाहिए। प्रिया को दु:ख इस बात का है कि आज के युवा अपनी भाषा के प्रीति रुचि नहीं रखते।
त्रिवेणी अब 9 नवंबर को आएगी
पीवीबी के बैनर तले बनी फिल्म त्रिवेणी अब 9 नवंबर को रिलीज होगी।पहले यह फिल्म आज यानी 29 नंवंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन सेंसर बोर्ड ने खूनखराबे वाली दृश्य पर आपत्ति जताई है. निर्माता चंद्रशेखर
चौहान भी उस दृश्य को हटाने के लिए तैयार नहीं है और सेंसर बोर्ड से टकराने के मूड में है.यह फिल्म महिला प्रधान है,जिसमे महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को दर्शाया गया है. प्रताडि़त महिलाओं पुरुषों को सबक सिखाती है. फिल्म में चंद्रशेखर चौहान, डॉ अजय सहाय, उषा विश्वकर्मा, पूजा देवांगन, मेहर, अहाना दिखाई देंगे। फिल्म का डायरेक्शन एजाज वारसी का है.
डिब्बे में गयी शीतला माई
डायरेक्टर मनोजदीप के निर्देशन में बन रही जय शीतला माई एक बार फिर डब्बे में चली गयी. लगता है शीतला माई छालीवुड से नाराज है क्योकि जब जब फिल्म बनने को आई तब तब फिल्म का काम रूका। डायरेक्टर मनोजदीप ने जब पहली बार शीतला माई की शूटिंग शुरू की तब कहानीकार और स्क्रिप्ट लेखक ने आपत्ति की. मनोजदीप ने फिर इसे बंद कर नई कहानी लेकर शीतला माई की शूटिंग शुरू। अब कलाकारों के बीच मतभेद होने के कारण यह फिल्म बंद हो गयी. इसकी काफी शूटिंग हो चुकी है.अब आगे इसकी शूटिंग होने की संभावना लगभग ख़त्म हो गयी है. इस फिल्म में जीत शर्मा, राजेश पंडया, दिव्या यादव, ज्योति वैष्णव, श्वेता शर्मा कलाकार है.
आशीष शेंद्रे छाये रहें साल भर
छालीवुड के सीनियर कलाकार आशीष शेंद्रे मनोज वर्मा की फिल्म भूलन द मेज करने के बाद साल भर छाये रहेंगे। वे अपने अभिनय से काफी संतुष्ट हैं। वे एक मंजे हुए कलाकार है उन्हें कला अपने पिताजी से विरासत में मिली है। आशीष शेंद्रे के नाम कई हिट फिल्मे है। वे हर प्रकार की भूमिका को निभाने में माहिर है। वे छालीवुड के कादर खान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अपनी अभिनय का लोहा मनवा चुके अभिनेता आशीष शेंद्रे की तमन्ना है कि हिन्दी फिल्मो में भी अभिनय करने की है। भूलन को वे अपने जिंदगी का सबसे बेहतरीन उपलब्धी मानते हैं। साल 2017 में सबसे व्यस्त रहने वाले कलाकार आशीष शेंद्रे ही हैं.
दो बहनों की कहानी है मोर मया ला राखे रहिबे
छत्तीसगढ़ी एवं भोजपुरी में बनकर तैयार फिल्म मोर मया ला राखे रहिबे एक पारिवारिक फिल्म है जिसमे दो बहनों की कहानी को बेहतर ढंग से चित्रित किया जाएगा। यह फिल्म अगले महीने रिलीज होने जा रही है। बाबी खान , राजेश नायक, अक्षरा सिंह, प्रतिभा पांडे, शैलेन्द्र साव , शैलेन्द्र भट्ट, श्वेता शर्मा, ललित उपाध्याय एवं अनुराधा दुबे मुख्य भूमिका में है। भोजपुरी में अविनाश मिथलेश और छत्तीसगढ़ी में राजेश नायक इस फिल्म का निर्देशक हैं। एबी फिल्म्स के बेनर तले बनी इस फिल्म के कैमरामेन तोरण राजपूत हैं। इस फिल्म के ड्रामा पोरशन की शूटिंग तरपोंगी में और क्लाईमेक्स की शूटिंग माढर में हुई है। फिल्म के सहायक निर्देशक भूपेन्द्र चंदनिया है।
सजना साथ निभाबे में एलीना
छत्तीसगढ़ी फिल्म सजना साथ निभाबे में छालीवुड की नायिका एलीना डेविड मसीह भी नजर आयेंगी। इस फिल्म की अधिकाँश शूटिंग डोंगरगढ़ में की गयी हैं। एलीना इस फिल्म में उर्वशी साहू की बेटी की भूमिका में हैं। एलीना को इस फिल्म से बहुत ही उम्मीद है। वे कहती है कि फिल्मों में अपनी भूमिका को इंज्वॉय करती
हूँ। जो भी भूमिका मिलती है उसमे डूब जाती हूँ और दिल से पूरा करती हूँ ताकि लोग मेरे अभिनय को सराहे। बचपन से ही मेरी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। मुझे गाने का बहुत शौक था। टीवी रेडियो में गाने देखकर सुनकर मुझे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। बचपन से ही उनकी रूचि कला के क्षेत्र में रही है। उन्हें एक्टिं का बहुत शौक था। टीवी देखकर उसे भी वैसे ही बनने की इच्छा होती थी। और आज वे सफलता के मुकाम पर है।

मेरा छालीवुड पेज


लगन ने बनाया आदित्य को एक्टर

 भोजपुरी फिल्म की तैयारी में जुटे
- श्रीमती केशर सोनकर
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह साबित किया है आदित्य दीपक देवांगन ने। छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है।
उनका मानना है कि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता ही है। वे अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट है। आदित्य को कभी निराशा नहीं होती और ना ही वे किसी की नक़ल नहीं करना चाहते , अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। दीपक रोज 15 रुपये कमाकर अपनी पढ़ाई पूरी की और आज वे बड़ी कंपनी में रीजनल मैनेजर है. उनके पिताजी आज भी सब्जी बेचने का काम करते हैं. दीपक ने दो फिल्मे की है और बतौर हीरो उनकी तीसरी फिल्म तहार दुपट्टा सरक गईल की शूटिंग जल्द शुरू होने वाली है.आदित्य से हमने हर पहलुओं पर बात की है. पेश है बातचीत के सम्पादित अंश.
आपको एक्टिंग के प्रति कैसे दिलचस्पी हुई ?
बचपन से शौक था एक्टिंग करने का। लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।फिल्म छइयां भुईंयां देखी तब से मन में लगन जागी।
कैसे और कहाँ से आपने एक्टिंग का सफर शुरू किया?
बचपन में मै स्कूल में ड्रामा किया करता था। बाद में मुझे नाटकों का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया।
सूना है आपने बहुत संघर्ष किया है?
जी हाँ! मैंने बचपन में सोनपापड़ी बेचा करता था.रोज 15 रुपये मिला करते थे जिससे मैंने पढ़ाई की. मेरे पिताजी आज भी सब्जी का धंधा करते हैं.
फिल्मों में काम करते आपको कितना वक्त हो गया ?
पिछले कुछ सालों से ही मै इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ। मेरी पहली फिल्म जुग जुग बंधना है ,फिर प्रेम छत्तीसगढिय़ा में सेकण्ड लीड रोल किया।
अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
मैंने 3 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है।अभी एक भोजपुरी फिल्म तहार दुपट्टा सरक गईल की शूटिंग जल्द शुरू होने वाली है.
आप छत्तीसगढी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है।
क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं?
हाँ, मैं अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। जुग जुग बंधना मेरे जीवन की सबसे बेहतर फिल्म है।
आप किस कलाकार को फॉलो करते है?
00 मैं किसी की नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। सब मेरे लिए अच्छे है पर मै किसी को भी फॉलो नहीं करता।

फिल्म प्रेम के बंधना का इन्तजार

अनुज शर्मा हैं मुख्य भूमिका में
छत्तीसगढ़ फिल्म प्रेम के बंधना में सुपर स्टार अनुज शर्मा सहित कई बड़े कलाकार अपना जलवा दिखाते नजर आएंगे। बिलासपुर के तखतपुर में फिल्म की शूटिंग हुई थी जिसके निर्माता- अशोक सिंह ठाकुर एवं निर्देशक- शिवनरेश केशरवानी हैं । फिल्म में मुख्य भूमिका में अनुज शर्मा, लवली अहमद की जोड़ी एवं सेकेण्ड लीड में बिलासपुर के उभरते कलाकार अशरफ अली और सनम परवीन की जोड़ी नजर आएगी।
सहायक कलाकारों में प्रदीप शर्मा, अनिल शर्मा, उपासना वैष्णव, अरुण बंछोर ,चन्द्रकला तिवारी, धर्मेंद्र चौबे, हेमलाल कौशल, संतोष निषाद, संतोष सारथी, श्वेता शर्मा, सरला सेन , पुष्पेंद्र सिंह जैसे कलाकार हैं. इस फिल्म के निर्देशक शिवनरेश केशरवानी इसके पहले भी मोहनी, और चंदू अऊ चांदनी जैसी बड़ी फिल्म बना चुके हैं।। चंदू अऊ चांदनी में तो उन्होंने बॉलीवुड के तीन बड़े कलाकार स्व.रज्ज़ाक खान, मुश्ताक खान एवं सहजाद खान को लेकर काम कर चुके हैं। और इस बार फिर छत्तीसगढ़ के सभी बड़े स्टार कास्ट को लेकर प्रेम के बंधना बनायें हैं। इस फिल्म की सभी गाने की रिकॉर्डिंग कटक में पूरी की गयी है जिसमे छत्तीसगढ़ के सभी बड़े गायक गायिका के सांथ बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने भी इस फिल्म के गानों को अपने स्वर से सजाया हैं।फिल्म के एक गाने बैंकाक में शूट किये गए हैं.

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

मोबाइल ने धीर को बनाया कलाकार

एक्टिंग,रैम्पवॉक , मॉडलिंग में है माहिर
कहतें हैं मोबाइल से खेलना बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक है पर धीर उपारकर एक ऐसा मासूम बालक है जिसे मोबाइल ने ही एक कलाकार बना दिया। मोबाइल से खेलते खेलते धीर उपारकर एक्टिंग, रैम्पवॉक , मॉडलिंग में महारत हासिल कर ली है. मात्रा 4 साल की उमरी में धीर ने कई अवार्ड और सम्मान जीते है.उनके घर में ऐसा कोइ माहौल नहीं है.माँ प्रियंका उपारकर एक गृहणी है और पापा का कला के क्षेत्र से कोइ नाता नहीं है.हाँ स्कूल में धीर जरूर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया करता था.पापा प्रवीण उपारकर बताते है कि धीर को घर में कभी भी ऐसा कोइ माहौल नहीं मिला। बस मोबाइल से खेला करते थे.ऐसा करते करते वह रेनवॉक करने लगा फिर टीवी देखकर कलाकारों का नक़ल करने लगा.कब धीर एक्टिंग में माहिर हो गया पता नहीं चला.उनकी रूचि को देखते हुए स्पर्धाओं में हमने शामिल  कराया उसका परिणाम बेहतर मिला, धीर अब तक कई एवार्ड जीत चुका है.मम्मी प्रियंका उन्हें भरपूर साथ देती है उनका मानना है कि उनकी रूचि कला में है इसलिए जरूरी है कि बच्चो अपने टैलेंट को अपनी विशेषता बनाएं।

सुमन की छालीवुड में धमाकेदार वापसी

 फि़ल्मी दुनिया में ही कॅरियर बनाएगी
- श्रीमती केशर सोनकर
मन में दृढ़ इच्छा और लगन हो तो कोइ भी काम असम्भव नहीं होता। जो मन में ठान ले उसे पूरा करके ही रहता है। यह कर दिखाया है सुमन कोसरे(कश्यप) ने। छत्तीसगढ़ के भिलाईनगर में पली बढ़ी सुमन कोसरे ने अपनी छोटी सी उम्र में एक बढ़ी उपलब्धी हासिल कर ली है। छइयां भुईंया, मयारू भौजी जैसी फिल्मो में काम कर चुकी है। फि़ल्मी दुनिया में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली सुमन कहती है कि उनका मकसद
छालीवुड में ही नाम कमाने की है। दूरदर्शन की धारावाहिक से सुमन ने अपने कॅरियर की शुरुवात की थी, फिल्मो में आई फिर आठ साल इस इंडस्ट्री से दूर रही.अब वे फिर छालीवुड में धमाकेदार एंट्री करने जा रही है.चौरां मा गोंदा रसिया, मोर बारी मा पाताल उनका पाह;ला एल्बम है जो खूब धूम मचाई थी.खूबसूरत सुमन ने कला के क्षेत्र में किसी से प्रेरणा नहीं ली है और अपने बलबूते ही बुलंदियां छूने लगी है। सुमन छालीवुड में सभी प्रकार की भूमिका निभाना चाहती है ताकि उन्हें कटु अनुभव हो जाए। वे कहती है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में गुणवत्ता हो तो जरूर थियेटरों में चलेगी। 7 साल की उम्र में पहला स्टेज शो और 11 साल की उम्र में पहला एल्बम करने वाली सुमन अब फिल्मो में ही अपना देखती है.
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करती थी फिर नाटकों में किया। जब जब टीवी देखती थी तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ करना चाहिए ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए । थियेटरों  की कमी को सरकार पूरा करे।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां होती है। फिल्मो में वो गुणवत्ता नहीं होती जो यहां के लोगो को चाहिए।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मेरे पापा मम्मी ही मेरे प्रेरणाश्रोत है। लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया। पापा रवि कश्यप ही मेरे आदर्श है जो हर पल मेरे साथ होते है।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चली हूँ। अब इसी लाईन पर काम करती  रहूंगी।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगी , लेकिन सीरियस रोल ज्यादा पसंद है।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ। अपने कामो और कला से खूब नाम कमाना चाहती हूँ.

रविवार, 17 सितंबर 2017

छत्तीसगढ़ी फिल्मोंं को प्रचार की जरुरत

- श्रीमती केशर सोनकर 
छॉलीवुड अब टीन एज में प्रवेश कर चुका है। यही वह उम्र होती है जब कोई या तो बन जाता है या फिर बिगड़ जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले 17 सालों में जिसने सबसे अधिक संघर्ष किया है वह छत्तीसगढ़ी फिल्म और यहां के फिल्मों में काम करने वाले कलाकार। राज्य बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है।  वर्तमान में जो सिनेमा बन रहा है उसमें कुछ लोग अच्छा कर रहे हैं तो कुछ ग्लैमर की चकाचौंध के आकर्षण में फंस फिल्मों से जुड़ गए है। इसी वजह से दर्शकों को निराशा होती है। व्यावहारिक रूप
छत्तीसगढ़ी फिल्मोंं को प्रचार प्रसार की बहुत ही जरुरत है और इसे ही ध्यान में रखकर ही हमने ''हमर छालीवुड पत्रिका लेकर आये है. हमारा प्रयास यही होगा कि छोटे-बड़े सभी कलाकारों को अपनी पत्रिका के माध्यम से दर्शकों से रूबरू कराएं. प्रचार-प्रसार फिल्मों के लिए सबसे बड़ा माध्यम होता है. बड़े अफ़सोस के साथ कह रही हूँ कि मीडिया में छत्तीसगढ़ी फिल्मों को वो जगह नहीं मिल पाती जो मिलना चाहिए. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के समीक्षक, चिंतक विजय मिश्रा ने बॉलीवुड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ फिल्म इंडस्ट्री को छॉलीवुड का नाम दिया। उनका योगदान अतुलनीय है। पत्रकारों की बात करें तो श्री रमेश पांडे, दिलीप नामपल्लीवार, अरुण बंछोर, हितेश मेहता, विनोद डोंगरे जैसे कुछ नाम है जिन्होंने छॉलीवुड को अपनी लेखनी के माध्यम से आगे बढ़ाने का हमेशा से प्रयास किए है.  छॉलीवुड इन पत्रकारों का शुक्रगुजार है. इसी कड़ी को अब हम आगे बढ़ाने नई पत्रिका लेकर आये हैं जो कलाकारों को खुला मंच प्रदान करेगी. छोटे से छोटे और नए कलाकार तक अपनी जानकारी हमें लिखकर भेजें. हम उन्हें स्थान देंगे. सहयोग चाहेंगे छॉलीवुड से जुड़े सभी लोगों का, जिनके सहयोग से ही हम छॉलीवुड को आगे ले जाने सक्षम हो पाएंगे. फिल्म निर्माता संकट के इस दौर में फिल्म बनाते हैं जो साहस का काम है. उनका हौसला बढ़ाया जाना चाहिए ताकि नए उत्साह और नए संचार से और फिल्म बनाएं.
                                                        
 
से फिल्म मेकिंग जानने के बाद ही निर्माण हो तो अच्छा होगा।

जेठू साहू के खाते में एक और फिल्म "राधे अंगूठा छाप"


छत्तीसगढ़ी फिल्म राधे अंगूठा छाप निर्माण के अंतिम चरण में है. इसके साथ ही निर्माता जेठू साहू के खाते में एक और फिल्म जुड़ जाएगा।जेठू साहू सबसे तेज गति से फिल्म बनाने वाले निर्माता होंगे।खबरों के अनुसार श्री साहू सात फिल्मे एक साथ बना रहे हैं। उनकी पहली फिल्म दीवाना छत्तीसगढिय़ा 2016 की पहली फिल्म थी. छालीवुड के सुपर स्टार करण खान इस फिल्म का निर्देशन कर रहे है और साथ ही इस फिल्म के हीरो भी है. करण ने इसके पहले मोर भाई नंबर वन का किया था। करण ने फिल्म दबंग देहाती का भी निर्देशन अप्रत्यक्ष रूप से किया था.फिल्म राधे अंगूठा छाप में कई नामी कलाकार काम कर रहे हैं. प्रदीप शर्मा, आशीष शेंद्रे, उपासना वैष्णव जैसे कलाकार अपनी भूमिका निभा रहे है.जी,प्रोडक्शन कंट्रोलर-करीम खान , कैमरामेन-जितेन्द्र और उनका स्टाफ,लाईटमेन-बापी दा और उनका स्टाफ, मेकअप मेन-आलेख और उनका स्टाफ,फाईटमास्टर-बीरबल पाणिग्रही है.

नीतेश लहरी का ड्रीम प्रोजेक्ट है आशिक मयावाले

जी आर फिल्म्स का बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट आशिक मयावाले रिलीज के लिए तैयार है और प्रदर्शन से पहले ही सुर्खियों में छा रहा है। हो भी क्यों ना.नंदा सिन्हा, सलीम खान, तान्या तिवारी, उर्वशी साहू, प्रभाकर बर्मन जैसे कलाकारों के बाद फिल्म का चर्चा होना तो बनता है।   नीतेश लहरी ने जिसका यह ड्रीम प्रोजेक्ट है. उनके निर्देशन की परिक्षा भी इसी फिल्म से होना है. वैसे तो नायक की भूमिका निभाने वाले सलीम खान भी दीवाना छत्तीसगढिय़ा जैसे फिल्म कानिर्देशन कर चुके हैं.

नंदा सिन्हा एकदम फिल्म के गेटअप में नजर आते हैं.. कोई शक नहीं आशिक मयावाले बाकी फिल्मों से एकदम ही अलग नजर आने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो फिल्म में नंदा और सलीम के बीच धमाकेदार एक्शन सीन भी है जिसके लिए दोनों एक्टर्स ने बेहद मेहनत की है. इस फिल्म में नीतेश लहरी ने अपना पूरा समय और ज्ञान लगाया है उनकी कोशिश रही है की इस फिल्म को नम्बर वन का फिल्म बनाएं इसमें वे सफल भी रहे हैं. यह फिल्म अच्छी बनी है.निश्चित ही नीतेश लहरी को इसका श्रेय जाएगा। यह एक पारिवारिक कॉमेडी फिल्म है.दो दोस्तों की कहानी है जिसमे नंदा सिन्हा और सलीम खान की दोस्ती और दुश्मनी दोनों देखने को मिलेगी। तान्या तिवारी की अदाकारा एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन के जरिये लोगो को पसंद आएगा। प्रभाकर बर्मन, उर्वशी साहू को दर्शक कॉमेडी करते लड़ते झगड़ते देखंगे तो खूब मनोरंजन होगा। नंदा सिन्हा ने भी बेहतर अदाकारी से सबका दिल जीतेगा इसमें कोई दो राय नहीं।

प्रदर्शन के लिए तैयार है "लगन मोर सजन से"

 ० अरुण बंछोर
लक्ष्य इंजरटेनमेंट वर्ल्ड एवं आरडी हाडा फिल्मस के बैनर तले बनी छत्तीसगढ़ी फिल्म 'लगन मोर सजन सेÓ अब प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस फिल्म में स्टार कास्ट है वही नए कलाकारों पर भी दांव खेला गया है. इसकी शूटिंग बगीचा, अंबिकापुर, मैनपाट, सारासोर, अमृतधारा एवं रायपुर में की गई है। यह फिल्म आम छत्तीसगढ़ी फिल्म से अलग है। इस फिल्म के निर्माण का उद्देश्य सरगुजा की कला संस्कृति एवं पर्यटन को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना है। साथ ही समाज को फिल्म के माध्यम से स्वस्थ मनोरंजन देने का प्रयास किया गया है। फिल्म में पुलिस की साफ-सुथरी भूमिका दिखाई गई है। इस फिल्म में विनय अम्बष्ट, कृष्णानंद तिवारी, अरुण मिश्रा, बाली कुर्रे, नीलम देवांगन, नेहा, संध्या मानिकपुरी, हेमलाल, उपासना बैष्णव, प्रदीप शर्मा, धर्मेंद्र चौबे, पवन गुप्ता, कपूर, राहुल, लक्ष्मी, अनिल, संजय गोस्वामी, नंद केवलियार आदि कलाकारों ने काम किया है। कैमरामैन ,सिनेमेटोग्राफर सिद्धार्थ सिंह ने फि़ल्म को बहुत सुंदर पिरोया है.22  सितम्बर को कई सिनेमाघरों में फिल्म लग रही है.
" लगन मोर सजन से" इस फि़ल्म के ज़रिये छत्तीसगढ़ी सिनेमा में कुछ नया करने करने की कोशिश हमने की है इस फि़ल्म में रोमांस, कॉमेडी, एक्शन, थ्रिलर और संगीत को एक बेहतरीन कहानी में पिरो कर पेश करने का प्रयास है जो उम्मीद है आपको पसंद आएगा।
- वैभव अम्बष्ड निर्देशक

कॉमेडी से भरपूर मनोरंजक फिल्म है" तीन ठन भोकवा "

फिल्म समीक्षा- श्रीमती केशर सोनकर   
छत्तीसगढ़ के सिनेमाघरों में धूम मचा रही फिल्म तीन ठक भोकवा कॉमेडी से भरपूर एक मनोरंजक फिल्म है. पूरी फिल्म में अनुपम भार्गव दर्शकों को हंसाते हुए नजर आते हैं.नायिका प्रगति राव की इस फिल्म से छालीवुड में एंट्री हुई है.नई होने के बावजूद उनका काम ठीक ठाक है.फिल्म को समीक्षकों से काफी अच्छे रिव्यू मिल रहे हैं। तीन ठक भोकवा देखने के लिए आप दिल-दिमाग साथ ले जा सकते हैं। लंबे समय बाद यह ऐसी कॉमेडी है जो धैर्य की परीक्षा नहीं लेती और हंसाने के लिए चुटकुले नहीं उछालती। परिवार-दोस्तों के साथ आप इसका लुत्फ उठा सकते हैं। कोई दृश्य या संवाद बगलें झांकने नहीं देगा। इसका श्रेय निर्देशक अनुपम भार्गव को जाता है। वह कॉमेडी के बढिय़ा फ्लेवर के साथ यह फिल्म लाए हैं। निश्चित ही इसमें अमित चक्रवर्ती और भीखम साव ने उन्हें अच्छा सहयोग दिया। इन तीनों की तिकड़ी की निराश नहीं करती। हालांकि इसमें अनुपम भार्गव दर्शकों के बीच बाजी मार ले जाते हैं। कहानी की खूबसूरती यह है कि सारे किरदार शुरू से अंत तक अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं। कोई बीच में छूटता नहीं। फिल्म में आशिकों की कॉमेडी के साथ
इमोशनल प्यार, लड़ाई-झगड़े और अहंकार का ट्रेक मजेदार है। सभी कलाकारों ने अपने ये रोल बखूबी निभाए हैं। शुरू से अंत तक कहानी जिस सधे अंदाज में बढ़ती है और हरेक सीन दूसरे से बंधा रहता है, वह स्क्रिप्ट पर की गई मेहनत को दर्शाता है। पारिवारिक-मनोरंजक कॉमेडी लिखने के इच्छुक लोगों के लिए यह फिल्म एक गाइड जैसा काम कर सकती है।अनुपम भार्गव फिल्म में अपनी पूरी एनर्जी के साथ मौजूद हैं और उन्होंने अपने दोस्तों को आगे बढऩे में खूब सहारा दिया। यहां संगीत ठीक-ठाक है गीतÓ रोचक है। निश्चित ही यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जिन्होंने लंबे समय से परिवार के साथ साफ-सुथरी कॉमेडी नही देखी।

रविवार, 25 जून 2017

संगीत तो सीख रहा हूँ -सुनील सोनी

रंगरसिया को सर्वश्रेष्ठ संगीत देने की कोशिश की
साक्षात्कार- श्रीमती केशर सोनकर
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छत्तीसगढ़ के मशहूर पार्श्व गायक एवं संगीतकार सुनील सोनी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. हर घर घर ने उनके गाने सुने जाते हैं, गुनगुनाये जाते हैं. उनकी आवाज में गजब का जादू हैं.जब वे गातें हैं तो लोग अपना दर्द भूल जातें है।उनकी ख्वाहिश भी अपने लिए नहीं है. वे कहते हैं छालीवुड फिल्म इंडस्ट्री को काफी आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं.यही उनकी ख्वाहिश है.सुनील बताते हैं की उन्होंने निर्माता अशोक तिवारी की फिल्म रंगरसिया को सर्वश्रेष्ठ संगीत देने की कोशिश की है जबकि फिल्म भूलन में डिफरेंट गाने गाये और संगीत दिए, यही फिल्म है जिसमे उन्हें बहुत ही मेहनत करनी पडी है.सुनील सोनी ने संगीत की शिक्षा अपने पहले गुरु जागेश्वर प्रसाद देवांगन , के एल सहगल के हारमोनियम वादक से ली है.अब तक 5000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दे चुके श्री सोनी सात बार छालीवुड के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का अवार्ड हासिल कर चुके हैं. 6 साल की उम्र से अपना कॅरियर शुरू करने वाले इस महान गायक को कभी किसी बात पर अहम नहीं हुआ. जितंने अच्छे गायक है उतने ही अच्छे संगीतकार है और उतने ही सभ्य मिलनसार भी हैं.वे चाहतें हैं कि हर एहसास अपनी गायकी मे डालें और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास कराये। संगीत उन्हें अपने पापा के मार्गदर्शन से मिला है। सुनील सोनी संगीत के हर अंदाज़ को जीना चाहता है और कुछ नया करना चाहता है।
सुनील को मात्र 6 साल की उम्र में 1984 में पहली बार मंच मिला। गाने की शुरुआत उन्होंने एल्बम से की.2010 तक एलबमों का दौर चला और वे करीब एल्बम के लिए 3000 से अधिक गानों को अपनी आवाजें दी.सन 2000 से फिल्मों का अध्याय शुरू हुआ और अब तक उन्होंने करीब 2000 गाने फिल्मों के लिये गाये।वे बतातें हैं कि गानॉन को आवाज देना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम होता है.उनके कई विधा होती है.वही संगीत से सजाना और भी कठिन होता है.आज भी मै एक विद्यार्थी की तरह संगीत सीखता रहता हूँ.रंगरसिया फिल्म में मैंने सर्वश्रेष्ठसँगीत देने की कोशिश की है क्योकि निर्माता अशोक तिवारी और निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह ने मुझे पूरी आजादी दी थी जिसके चलते बेहतर बना सका.तिवारी जी ने बहुत ही सुंदरा गीत लिखे हैं जिसे संगीत देने में मुझे बहुत आनंद आया.
चीनी नहीं जापानी नहीं, बात मान ले पाकिस्तानी! इस गीत को संगीत से सजाने में अलग तरह की मेहनत की. सुनील को संगीत की प्रेरणा गुरु अरनब चटर्जी से मिली। वे कहतें हैं कि अपनी संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है सिनेमा । हम भी फिल्मो के माध्यम से लगातार अपनी भाषा की तरक्की के लिए ही काम करते है। हम चाहते है कि हमारी भाषा खूब आगे बढ़े। मै चाहता हूँ कि मेरी आवाज को सुन कर लोग अपना दर्द भूल जायेँ. मैने संगीत को महसूस करना सीखा है. मैं चाहता हूँ कि वही एहसास मैं अपनी गायकी मे डाल पाऊँ और अपने सुनने वालों को सुकुन का एहसास करा सकूँ.

रविवार, 21 मई 2017

यूँ ही आ गयी एक्टिंग में, डांस मेरा शौक है

मेरी आशिकी तुमसे ही की नायिका राधिका मैदान से ख़ास चर्चा 

- अरुण कुमार बंछोर
"मेरी आशिकी तुमसे ही की " नायिका राधिका मैदान कहती है कि एक्टिंग में तो मैं यूँ ही आ गयी। मेरा शौक तो डांस है और मैं डांसर ही बनाना चाहती थी। इसके लिए मैंने काफी तैयारी भी की थी। एक प्रश्न के उत्तर में राधिका हंसती हुई कहती है कि एकता कपूर के सीरियल में तो कई कई शादी होना तो सामान्य बात हैं, हो सकता है इतनी मुझे भी करनी पड़े। टीवी धारावाहिक की नायिका राधिका मैदान अपने निजी प्रवास पर रायपुर आई तो हमने उनसे कई पहलूओं पर बेवाक बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कैसे हुआ?
00 एक्टिंग में तो मैं यूँ ही आ गयी। मैं एक्टिंग में नहीं आना चाहती थीं। पर अब धारावाहिक में काम करना अच्छा लग रहा है।
0 फिर किस क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाह रही थी?
00 डांसिंग में ! डांस मेरा शौक भी है और पसंदीदा चाह भी। डांस की ट्रेनिंग लेने यूएस जाने का प्लान भी कर ली थी। लेकिन जाने से पहले सीरियल मिल गई , तो नहीं जा पाई।
0 कभी-कभी एक्टिंग में आपको आलोचना भी सहनी पड़ती होगी ?
00 हाँ जरूर ! जो जितना सफल होते है उतने ही उनके ज्यादा दुश्मन होते है।
0 आपको सीरियल कैसे मिला ?
00 आर्टिस्ट सलेक्शन क्रू के कुछ मेंबर्स ने फेसबुक पर मेरा फोटो देखा और सीरियल के ऑडिशन के लिए बुलाया।फिर मैंने आडिशन दिया। किरदार के चेहरे पर जो मासूमियत चाहिए थी, वह सलेक्शन टीम को मेरे चेहरे में नजर आई और मुझे रोल दे दिया गया।
0 आपने झलक दिखला जा में भी हिस्सा लिया था?
00 बहुत अच्छा अनुभव रहा। मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। जल्दी बाहर होने का भी मुझे ज्यादा दुख नहीं हुआ। आगे और कोशिश करूंगी।
0  इस क्षेत्र  में कभी निराशा हुई है ?
00 कभी नहीं! मैं कभी निराश नहीं होती।
0  और कभी ऐसा क्षण हो आया हो जब आप बहुत ज्यादा उत्साहित हुई हो?
00 हमेशा उत्साहित रहती हूँ। क्योकि मेरे परिवार मेरे साथ है।
0 आपको इसके लिए परिवार से कितना सहयोग मिलता है?
00 पूरा सहयोग मिलता है। एक लड़की होने के बाद भी मेरे माता-पिता ने मुझे कभी बंधन में नहीं रखा। यहां भी खूब मेहनत कर रही हूं। कभी-कभी तो पापा कहते हैं, ज्यादा शूटिंग करती हो, इतना काम करने की क्या जरूरत है। अगर अभी भी लगता है, तो वापस आ जाओ। मैं कॉलेज लाइफ मिस करती हूं, लेकिन मुझे कॅरियर बनाना है तो सब ठीक है।
0 ऐसा आपका कोई सपना जो आप पूरा होते हुए देखना चाहती हों?
00 अब और कोई तमन्ना नहीं है बस एक्टिंग में ही आगे जाना चाहती हूँ। पहले सोचती थी डांसिंग स्टार बनूंगी पर मौका मिला तो एक्टिंग में आ गई।अब इसी को कॅरियर बनाउंगी।

मंगलवार, 16 मई 2017

लोग मुझे बेस्ट खलनायक के रूप में ही पहचाने : अरविन्द

छत्तीसगढ़ी फिल्मो को प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के चर्चित नाम है अरविन्द गुप्ता,जिन्होंने 25 से अधिक फिल्मो में अपने अभिनय से
निर्माता निर्देशकों का दिल जीत लिया है। उनका कहना है कि लोग मुझे बेस्ट खलनायक के रूप में ही पहचाने। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए। अरविन्द कहतें हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो का भविष्य काफी
अच्छा है। दबंग देहाती में शानदार भूमिका निभाने वाले अरविन्द कहते हैं कि सरकार को भी छालीवुड की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कलाकारों का भला हो सके।दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। स्कूल में नाटकों में भाग लिया करता था फिर थियेटर ज्वाइन किया। जब जब टीवी देखता था तब तब मुझे लगता था कि मुझे भी कुछ बनना चाहिए ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में बहुत सारी कमियां दिखती है। दूसरी और लोगो को छत्तीसगढ़ी फिल्मो के बारे में बताया जाना चाहिए। प्राइमरी स्कूल के सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मैंने कई फिल्मे कर ली है। थियेटर करने के बाद लोगो ने मेरा अभिनय देखा और फिल्मो में मौका दिया।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। अब इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।

सोमवार, 15 मई 2017

छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और संस्कृति की कमी झलकती है

 पात्र के अनुसार कलाकारों का चयन हो - विनय अम्बष्ड 

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक के रूप में तेजी से उभरे अम्बिकापुर के विनय अम्बष्ड का कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मो में मौलिकता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की कमी झलकती है। यही नहीं कलाकारों का चयन
भी पात्रों के अनुसार होना चाहिए। विनय अम्बष्ड ने थियेटर से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी और आज छत्तीसगढ़ी फिल्मों का एक जाना पहचाना नाम बन गया है। उन्होंने बॉलीवुड की दो फिल्मे कर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है। अब वे लगातार फिल्मे ही करते रहना चाहते हैं। दैनिक सन स्टार ने उनसे हर पहलुओं पर बात की।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। जब मै पांच साल का था तब पहली फिल्म देखा था ,तब से कुछ अलग करने की सोच ली थी। मन में लगन हो तो सब संभव है। मैंने थियेटर ज्वाइन किया और आज इस मुकाम पर हूँ।
0 छालीवुड की क्या सम्भावनाये दिखती है?
00 बेहतर है। आने वाले समय में यहां की फिल्मे बॉलीवुड की तरह ही चलेंगी।यहां फिलहाल दर्शकों की कमी है। लोगो में अपनी भाषा के प्रति वो रूचि नहीं है जो होनी चाहिए और जो दर्शक है उनकी रुझान हिन्दी फिल्मो की ऑर है।
0 तो छालीवुड की फिल्मे दर्शकों को क्यों नहीं खीच पा रही है?
00 क्योकि यहां की फिल्मो में अपनी संस्कृति और मौलिकता की कमी झलकती है। कलाकारों का चयन भी पात्रों के अनुसार नहीं होता क्योकि निर्माता सबसे पहले फाइनेंसर की तलाश में होता है। जो पैसा लगाता है वो कलाकार बन जाता है।
0 फिर मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 एक्टिंग मैंने खुद से सीखा है। मेरा कोई रोल मॉडल नहीं है। मै थियेटर से आया हूँ। मेरी पहली फिल्म एक हॉरर फिल्म है। सही मायने में मेरी पहली फिल्म सरपंच है जो बड़े परदे पर सफल रही है। पंकज कपूर मेरे आदर्श हैं। फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा ने मुझे छत्तीसगढ़ में अभिनेता के तौर पर पहचान दी है और अभी मेरे पास धर्मेन्द्र चौबे की करवट तथा बही तोर सुरता मा जैसे फिल्मे हैं।
0 कभी आपने सोचा था की फिल्मो को ही अपना कॅरियर बनाएंगे ?
00 हाँ ! शुरू से ही मै एक्टिंग को कॅरियर बनाने की सोचकर चला था। इसी लाईन पर काम करता रहूंगा। लगातार काम करूंगा।
0  छालीवुड फिल्मो में आपको कैसी भूमिका पसंद है या आप कैसे रोल चाहेंगे।
00  मैं हर तरह की भूमिका निभाना चाहूंगा ताकि मुझे सभी प्रकार का अनुभव हो। छोटे बड़े सभी रोल मुझे पसंद है। मैं किसी भी भाषा की फिल्म हो जरूर करूंगा।
0 सरकार से आपको क्या अपेक्षाएं हैं?
00 सरकार छालीवुड की मदद करे। टाकीज बनवाए, नियम बनाये , टाकिजों में छत्तीसगढ़ी फिल्म दिखाना अनिवार्य करे। छत्तीसगढ़ी फिल्मो को सब्सिडी दें ताकि कलाकारों को भी अच्छी मेहनताना मिल सके।
0 आप फिल्मो में भूमिका को लेकर कैसा महसूस करते हैं ?
00 जब मैं कोई भूमिका निभाता हूँ तो पहले गंभीरता से मनन करता हूँ। उसमे पूरी तरह से डूब जाता हूँ।
0 रिल और रियल लाइफ में क्या अंतर है?
00 रिल और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। रील लाइफ काल्पनिक होता है और रियल लाइफ में सच्चाई होती है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 छालीवुड में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। अब लगातार फिल्मो में ही काम करते रहने की तमन्ना है।

छालीवुड परदे के बुरे इंसान

छालीवुड परदे पर ये कलाकार बुरे इंसान के किरदार में जरूर नजर आतें हैं पर वास्तविक जिंदगी में
उतने ही मिलनसार और अच्छे इंसान होते हैं। खलनायक का पात्र किसी भी फिल्म का मुख्य हिस्सा होता है। खलनायकों के साथ एक विडंबना यह भी होती है, वो अपना काम कितने भी अच्छे से कर जाएं, कभी प्यार नहीं पाते। फिर भी खलनायक बनने की लालसा सबमे होती है। बॉलीवुड में बड़े बड़े नायक भी खलनायक की भूमिका निभा चुके है। आइये हम आपको मिलवाते है छालीवुड के खलनायकों से।
 - अरुण कुमार बंछोर

डॉ अजय सहाय - मशहूर मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ होने के साथ साथ छालीवुड के बेस्ट खलनायक भी है। इन्होने अब तक कई दर्जन फिल्मे की है। हिन्दी और भोजपुरी फिल्मो में भी वे अपनी कला का जादू बिखेर
चुके है। आज डॉ अजय सहाय निर्माताओं की पहली पसंद है। वे छोटे बड़े सभी नायकों के साथ काम कर चुके हैं। सन 2014 में वे बेस्ट खलनायक का खिताब हासिल कर चुके है। इसके पहले उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं।

मनमोहन ठाकुर -  छालीवुड में गिरधारी पांडे के नाम से मशहूर सबसे बड़े खलनायक मनमोहन ठाकुर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे अब तक 80 से ज्यादा फिल्मो में अपने
अभिनय का जादू दिखा चुके हैं। मनमोहन सबसे चर्चित खलनायक हैं। उनकी कला के सब कायल है। हालांकि अब वे नायक की भूमिका में आने लगे है पर उनकी पहचान एक खलनायक के रूप में ही है। कई चार्चित फिल्मों में उनकी तूती बोलती रही है।

धर्मेन्द्र चौबे - जाने माने खलनायक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। हाल ही में रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में
धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इस फिल्म ने एक करोड़ को पार किया था। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।

काशी नायक - छालीवुड के खलनायकों में काशी नायक का नाम ना ले तो कहानी अधूरी लगेगी। मया 2 फिल्म अभी थियेटरों में धूम मचा रही मचा रही है जिसमे खलनायक काशी
नायक ने अमिट छाप छोड़ी है । काशी के कला में दम है। रोबदार आवाज , कुटिल मुस्कान ही उनके अच्छे विलेन होने का सबूत है। काशी ने फिल्म दबंग देहाती में भी मुख्य विलेन का किरदार निभाया है।

पुष्पेन्द्र सिंह - पांच भाषाओं में फिल्म करने वाले पुष्पेन्द्र सिंह बिरले इंसान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में खलनायक के रूप में यह एक जाना पहचाना नाम है। अब तक 50 छत्तीसगढ़ी फिल्म , 4 भोजपुरी 1 मराठी 2 बुन्देखंडी 3 हिन्दी और 1 उडीयां फिल्म में अपनी भूमिका से सबको प्रभावित किया है।
यही नहीं पुष्पेन्द्र सिंह  को कई कलाओं में महारत हासिल है। इन्होने अब बॉलीवुड की ओर रूख कर लिया है फिर भी छालीवुड के लिए वे हमेशा ही उपलब्द्ध रहेंगे ।

विनय अम्बष्ड - एक जानदार खलनायक है जिन्होंने कई फिल्मो में विलेन के किरदार में लोगो का दिल जीता है। सरपंच ,राजा छत्तीसगढिय़ा इनकी मुख्य फिल्म है। थियेटर से छालीवुड में कदम रखने वाले विनय अम्बष्ड ने फिल्मो में अपनी कला से सबका दिल जीता है। एक खलनायक के रूप में इनकी पहचान बन गयी है। विनय जी को खलनायकी बहुत पसंद है।

प्रदीप शर्मा - छालीवुड के सीनियर कलाकार प्रदीप शर्मा ने कई फिल्मो में खलनायक की भूमिका में जान डाल दी है। भिलाई थियेटर से फिल्मो में आये
श्री शर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा हिंदी ,उडिय़ा,और साउथ की फिल्मो में भी काम किया है। अभी हाल ही में वे हिलण्डी फिल्म आशिक आवारा करके वापस छत्तीसगढ़ लौटे है। विलेन के साथ साथ वे तमाम हीरो हीरोइन के पिता की भूमिका में नजर आ चुके हैं।

बलराज पाठक -मयारू भौजी में आपने तीखे ओर कड़क इंसान को देखा होगा। वे कोई और नहीं बलराज
पाठक ही है। पाठक जी ने कई छालीवुड की फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाकर लोगो के दिलों में अपनी जगह बनाई है। उन्हें खलनायकी ही पसंद है। वे कहते हैं की विलेन ही फिल्म का में किरदार होता है। विलेन ना हो तो फिल्म बेजान होत है।

विजय मेहरा - छत्तीसगढ़ फिल्म मितवा के दाऊ जी यानी विजय मेहरा आज छालीवुड के जाना पहचाना नाम है। खलनायक के रूप में उन्होंने छालीवुड में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। फिल्म मया दे दे मयारू में
निगेटिव किरदार निभाने वाले विजय मेहरा फिल्म मितवा में ऐसी खलनायकी की जिससे लोगो में नायक की नहीं बल्कि खलनायक की ज्यादा चर्चा हुई।

एजाज वारसी - छालीवुड का एक अहम किरदार है एजाज वारसी जिन्होंने कई कलाओं में महारत हासिल की है। वे एक खलनायक के साथ साथ एक निर्देशक और एक एक्टर भी है। वे हिन्दी छत्तीसगढ़ी भोजपुरी और पंजाबी फिल्म में खलनायक का किरदार निभा चुके है। एजाज वारसी के नाम 70 -80 भी ज्यादा फिल्मे है। उनका माने तो खलनायक ही  मुख्य किरदार है।

उपासना वैष्णव - छालीवुड के सबसे सीनियर महिला कलाकार उपासना वैष्णव को आप छत्तीसगढ़ी फिल्मो में दयालू माँ के अलावा क्रूर महिला के रूप में भी देखे होंगे। कई फिल्मो में वे
खलनायिका का रोल निभा चुके हैं। गुरावट , मया जैसी फिल्मो में निगेटिव रोल करने वाली उपासना वैष्णव ने अब तक, करीब 90 फिल्मे कर चुकी है। उपासना फिल्मो में जितनी क्रूर नजर आती है वास्तविक जिंदगी में उतनी ही मिलनसार और अच्छी महिला है।

श्वेता शर्मा - छालीवुड में माँ बहन की भूमिका में नजर आने वाली श्वेता शर्मा कई फिल्मों में खलनायिका की
भूमिका अदा कर चुकी है। हाल ही में बनी फिल्म दबंग देहाती में भी वे खलनायिका के रूप में लोगो को डराती नजर आएंगी। श्वेता भी वास्तविक जिंदगी में बहुत ही मिलनसार महिला है जो बुरे वक्त में लोगो के साथ खड़ी नजर आती है।

उर्वशी साहू - छालीवुड की सबसे तीखी नजर आने वाली महिला उर्वशी साहू छात्तीसगढ़ी फिल्मो की एक अच्छी खलनायिका है। माँ बहन भाभी की भूमिका में जान डालने वाली उर्वशी खलनायिका की भूमिका में
ज्यादा प्रभावी होती हैं। 50 से अधिक फिल्मे कर चुकी उर्वशी साहू को भी निगेटिव रोल ही पसंद है। उनकी आने वाली फिल्म दबंग देहाती है जिसमे वे नायक करण खान की मा की भूमिका में है।

मनोजदीप - छालीवुड के बेस्ट कोरियोग्राफर मनोज दीप मौका मिलने पर सभी प्रकार के किरदार निभा लेते
है। उन्होंने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभा चुके है।मया 2 में भी उनकी भूमिका निगेटिव है और इस भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है। मनोजदीप जितने अच्छे विलेन है उतने ही अच्छे कलाकार और कोरियोग्राफर है। निगेटिव किरदार में बुरे इंसान कहलाने वाले मनोज वास्तविक जिंदगी में एक जिंदादिल इंसान है।

संतोष सारथी -छालीवुड में संतोष सारथी एक ऐसा नाम है जिन्होंने नायक के साथ साथ खलनायक के रूप में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है । संतोष सारथी ने 4 फिल्मो में खलनायक की भूमिका निभाई है। वे
छालीवुड के सबसे जल्द लोकप्रिय होने वाले पहले कलाकार है। उनकी कला का लोहा छोटे बड़े सभी मानते है।