रविवार, 17 दिसंबर 2017

गायिकी में पहचान बनाना चाहती है चंपा निषाद


- श्रीमती केशर सोनकर
छॉलीवुड की गायिका चंपा निषाद इसी क्षेत्र में ही अपने पहचान बनाना चाहती है। कई स्टेज शो कर चुकी चंपा छॉलीवुड की 7-8 फिल्मों में अपनी आवाज दे चुकी है। उनकी आवाज को लोक पसंद भी करते है। गाने का शौक उन्हें बचपन से ही रहा है लेकिन अब पिछले दो साल से उन्हें मौका मिलने लगा है। कमलादेवी संगीत महाविद्यालय में बी.ए. संगीत की छात्रा चंपा अब आगे सिर्फ और सिर्फ गाना गाना चाहती है। एक्टिंग, डांस का उन्हें कोई शौक नहीं है।
फिल्म अंधियार, ले चल नदिया के पार, राजा छत्तीसगढिय़ा-2, प्रेम अमर है एवं भाई बहिनी एक अटूट बंधन जैसे फिल्मों में उनकी आवाज दर्शकों को सुनने को मिलेगी। करीब 200 से अधिक एल्बम चंपा निषाद की बाजार में उपलब्ध है। चंपा निषाद गाने को एक चुनौती मानती है। वे कहती है किसी गाने को सुर और ताल में आवाज देना उतना ही कठिन है जितना किसी अभिनय को निभाना। ब्रेक कैसे मिला के जवाब में उनका कहना है कि गांव से जब शहर आई तो एक स्टूडियो में ऐसे ही गाना गा रही थी जो लोगों को पसंद आया और उसे एल्बम के लिए सलेक्ट कर लिया गया। 
उनका यह भी कहना है कि अच्छे कलाकारों की छॉलीवुड में तब तक कोई कदर नहीं होती या तब तक उन्हें काम नहीं मिलता जब तक कोई पहचान न हो। वे बताती है उनके परिवार वाले सिंगर बनाने के लिए बहुत कुछ किए है। उनके पिता गणेश राव निषाद ही उनके प्रेरणास्रोत है और गुरु भी। उनके ही बदौलत आज वह इस मुकाम को पा सकी है। उसकी दिली तमन्ना एक अच्छे सिंगर के रुप में पहचान बनाने की है।

फिर आएगा कभी ये अवसर तीन स्टार एक साथ



  • - अरुण कुमार बंछोर
    छालीवुड के तीन चर्चित स्टार अनुज शर्मा, करण खान और प्रकाश अवस्थी कभी एक मंच पर होते थे. जब वे एक मंच पर होते थे तब यहां के दर्शक खूब रोमांचित होते थे. अब ये तीनों स्टार अलग अलग राह पर है. क्या यहां के दर्शकों को ये स्टार एक बार फिर कभी साथ साथ दिखाई दे देख सकेंगे, ये कहना असंभव है. जब हमने उन्हें टटोलने की कोशिश की तो ऐसा लगा कि ऐसा अवसर अब छालीवुड के दर्शकों को नहीं मिल पायेगा। 
  • बातों ही बातों में सुपर स्टार अनुज शर्मा ने ये संकेत दिए थे कि अब वे करण  खान और प्रकाश अवस्थी के साथ कभी काम नहीं करेंगे , जबकि प्रकाश अवस्थी का कहना था कि ऐसा कोइ अवसर आये तो वे विचार करेंगे, इस सम्बन्ध में करण  खान से बात नहीं हो पाई.
    अनुज (रामानुज) शर्मा
    रामानुज शर्मा छत्तीसगढ़ में अनुज शर्मा के नाम से जाने जाते हैं । छत्तीसगढ़ी फिल्मों के माध्यम से वे एक मानक बन गए हैं, उन्होंने अभिनय के साथ गायन और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी प्रतिमान स्थापित किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी लोक कला को लोकप्रिय बनाने के लिए रेडियो और सेटेलाइट चैनल्स पर भी नई पहल करते हुए भारी सफलता पाई है । छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय नायक और आज के सुपर स्टार बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनुज सदैव सक्रिय और अग्रणी रहे। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपर स्टार अनुज ने अब तक लगभग 40 से अधिक फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है । छत्तीसगढ़ी कि अब तक कि सबसे सफल चार सिल्वर जुबली फिल्मों में से चारों के नायक अनुज ही है 7 इसके साथ-साथ उन्होंने फिल्म निर्माण, निर्देशन तथा फिल्मों में गायन भी किया है । अपनी अभिनय कला और बहुमुखी प्रतिभा के चलते वे लोक-आंचलिक फिल्मों के अत्यंत चहेते एवं सफल कलाकार हैं ।
    प्रकाश अवस्थी
    छत्तीसगढ़ फिल्मों के सुपेर स्टार प्रकाश अवस्थी मया, टूरा रिक्शा वाला, टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी,दू लफाडू जैसी सुपर हिट फिल्मों में हीरो से सुपर स्टार बने प्रकाश अवस्थी इन दिनों पहली छत्तीसगढ़ी सीक्वल फिल्म मया टू का निर्माण कर रिलीज की अब राजू दिलवाला की तैयारी में जुटे है। वे इस फिल्म के निर्देशक भी हैं। छत्तीसगढ़ी के अलावा बंगला फिल्म,भोजपुरी और हिन्दी फिल्म अग्निशिक्षा में कार्य किया हैं।
    करण खान
    करण खान का असली नाम ताहिर खान है. उन्होंने छालीवुड में अपनी ख़ास पहचान बनाई है. उन्होंने इस इंडस्ट्री को काफी कुछ दिया है.अभी वे कई फिल्मो की शूटिंग में व्यस्त हैं. उनकी आने वाली है- राधे अंगूठा छाप.
    ----------

गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

करन खान का ड्रीम प्रोजेक्ट है राधे अंगूठा छाप

केशर सोनकर 
छॉलीवुड के पहले सुपर स्टार करण खान का ड्रीम प्रोजेक्ट है राधे अंगूठा छाप, सिनेमाघरों में धूम मचाने के लिए बेताब है. उन्होंने एक बार कहा था -  सिनेमाघर हो ही तब ही ना हमन छत्तीसगढ़ी फिल्म देखे बर जाबो। ये कहना है खरोरा के स्कूल बच्चों का जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वे छत्तीसगढ़ी फिल्में देखते है। यह बात छत्तीसगढ़ी मूवी के सबसे ज्यादा फिल्म अभिनय करने वाले अभिनेता करन खान ने कही। करण की आगामी फिल्म है राधे अंगूठा छाप, जो प्रदर्शन के लिए तैयार हैं.


श्री खान कहते है कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा किसी भी दृष्टि में हिन्दी फिल्मों से कमतर नहीं है बस सरकार थोड़ा सा सहयोग कर दे कि हर बीस किलोमीटर की दूरी में एक थियेटर खोलने में मदद कर दे। छत्तीसगढ़ सिनेमा के पचास साल के कालखंड पर वो कहते है कि पहले 35 साल में दो ही फिल्मे बनी फिर सतीश जैन की मोर छईयां भुईंया ने जो रास्ता खोला तब से धारा बह रही है छत्तीसगढ़ी फिल्मों के इतिहास में पहले दशक में सौ से ज्यादा फिल्मों बनी है और उनमें बीस से ज्यादा में करन खान है। यानी हर पांचवी फिल्म उनके अभिनय से सजी हुई। मोर गंवई गांव,जरत हे जिया मोर, तोर मया के  मारे, बैर,तीजा के लुगरा, ए मोर बांटा, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा तोर मया म का जादू हे, मया होगे रे, करम के लेखा, मोरगांव किस्मत के खेल, तोला ले जाऊ उडि़रिया, मितान 420, भांवर, अजब जिनगी गजब जिनगी, बंधना,  दगाबाज , मोही डारे, लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप, जो भोजपुरी में डब होकर लैला माल बा छैला धमाल बा में भी सुपरहिट रही बाप बड़े नाभ भइया सबले बड़े रुपइया भी अच्छी फिल्म है। सन 1994 में इप्टा के  नाटक से एक्टिंग का जो सफल शुरु हुआ वो छत्तीसगढ़ी एलबम से फिल्मों तकक जारी है।
करन खान छत्तीसगढ़ी सिनेमा के ऐसे अभिनेता है जिन्होने किस्मत के खेल और लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप में डबल रोल कि ये इस के अलावा सर्वाधिक सात बार छत्तीसगढ़ी सिने अवार्ड के विजेता में भी उनका नाम शुमार है। सन् 2003 में रंग झांझर ने जरत हे जिया मोर के लिये सबसे पहले सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरूस्कार दिया उसके बाद 2004 में बहुरंग ने तोर मया के  मारे के  लिये 2011 में एबेलान ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2013 में एबेलान ने दगाबाज, 2013 मेें फिल्मी छत्तीसगढ़ी ने लैला टिपटाप छैला अंगूठा छाप 2014 में ही फिल्मी छत्तीसगढ़ी में तोला ले जाऊं उड़रिया के लिये तो 2012 में रंग झांझर ने मितान 420 में।  उन्हें अक्कीनेनी  नागेश्वर राव दक्षिण भारतीय फिल्मो के सुपर स्टार के नाम पर सम्मान मिलना भी उपलब्धि ही कही जायेगी। करन खान बताते है की छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्रीज को आत्म निर्भर बनाने में छत्तीसगढ़ी एलबम का बड़ा योगदान रहा। सन 2003 में झन भुलव मां बाप के  बाद जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर ब्रेक लगा तब एलबम का दौर शुरु हुआ। ये समय ऐसा था जब छत्तीसगढ़ी के ही कलाकार ,तकशियनों को मौका  मिला। इससे पहले मुंबई की यूनिट छत्तीसगढ़ी आती थी और तब बहुत भेदभाव भी होता था एलबम यहां बनने लगे तो को रियोग्राफर कैमरामैन मेकअप आर्टिस्ट, लाईटमेन और प्रोडक्शन से जुड़े लोग धीरे धीरे पारंगत हो गये और यही लोग बाद में पुन: छत्तीसगढ़ी फिल्मों का  दौर शुरु होने पर छालीवुड को  आत्मनिर्भर बनाने में कारगर साबित हुये। श्री खान नाटक के दौर को भी याद करते है कि  राही मासूम रजा के टोपी शुक्ला को  देख कर प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर  भी भाव विभोर हो गये है और उन्होने इसे मुंबई में भी आोयजित करवाया था। करन खान छत्तीसगढ़ी एलबम के दौर में भी सुपर स्टार रहे है। अब तक  हजार से भी ज्यादा गीतों में अभिनय का रिकार्ड है देश विदेश में सुपरहिट गुलाबी कली केटूरा न जाने  रे के साथ ही झोटू राम बना दिये , संतरंगी रे में दो गीत प्रेम चंद्राकर के का  तै जादू करे,  का  तै मोहनी डारे सहित सतीश जैन के एक मात्र एलबम मया के  बुखार में चार गानों में नृत्य  किया। दुकालू यादव के  का तोला माने दाई और गोरेलाल बर्मन के मोला बईयां बना के छोड़ देबे का जैसे सुपरहिट गानों से करन खान को लोकप्रियता मिली। छत्तीसगढ़ी फिल्म विकास निगम और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के विकास के लिये वे यही कहते है कि हमारी बहुत ज्यादा मांगे नहीं है बस सरकार यहां टाक़ीज खोलने में थोड़ी सी सहायता कर दे तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों की  गंगा बहने लगेगी। उम्मीद है अब सरकार इस दिशा में ठोस और त्वरित कदम उठायेगी।